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अजमेर दरगाह प्रमुख के उत्तराधिकारी ने बताए वक्फ बिल के फायदे, ओवैसी बोले- 'वो सरकारी कर्मचारी है'

सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का बयान शेयर किया है. वो कह रहे हैं, “संशोधन का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि मस्जिदें या संपत्तियां छिन जाएंगी. यह कहना गलत होगा. बिल चर्चा के बाद ही लाया गया है. इस पर जेपीसी में भी चर्चा की गई. सरकार ने सबको सुना. इसके बाद ही बिल लाया गया."

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2 अप्रैल को पेश हो सकता है वक्फ बिल. (फोटो- इंडिया टुडे)
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हिमांशु मिश्रा

अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उत्तराधिकारी सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने वक्फ बिल (Waqf Bill) के संशोधन पर समर्थन जताया है. उन्होंने कहा कि बिल में संशोधन की ज़रूरत है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि मस्जिदें या संपत्तियां छिन जाएंगी. दूसरी तरफ, इसे लेकर सियासत और तेज़ हो गई है. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने चिश्ती के इस बयान पर कटाक्ष किया है.

न्यूज एजेंसी ANI ने ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का बयान शेयर किया है. वो कह रहे हैं,

“संशोधन का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि मस्जिदें या संपत्तियां छिन जाएंगी. यह कहना गलत होगा. बिल चर्चा के बाद ही लाया गया है. इस पर जेपीसी में भी चर्चा की गई. सरकार ने सबको सुना. इसके बाद ही बिल लाया गया. मुझे पूरा यकीन है कि संशोधन के बाद वक्फ के काम में पारदर्शिता आएगी. वक्फ की संपत्ति प्रोटेक्ट होंगी, अतिक्रमण हटेगा और वक्फ का किराया बढ़ेगा जो कौम के लिए काम आएगा.”

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चिश्ती ने कहा कि सहमति और असहमति लोकतंत्र का हिस्सा हैं और बिल का विरोध करने वाले ‘गुमराह करने कि कोशिश’ कर रहे हैं.

वक्फ पर विपक्ष बिफरा

उधर बिल को लेकर विपक्ष का बीजेपी पर हमला करना जारी है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, 

“हम वक्फ बिल के खिलाफ हैं. भारतीय जनता पार्टी हर जगह हस्तक्षेप करना चाहती है. हर जगह अपना कंट्रोल चाहती है. बीजेपी किसी से कुछ भी बुलवा सकती है. यह उनका कमाल है.”

वहीं AIMIM पार्टी प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 

“वक्फ बिल असंवैधानिक है. यह वक्फ बर्बाद बिल है. अजमेर दरगाह के चिश्ती ख्वाज़ा एक्ट के तहत वह (नसरुद्दीन सैयद चिश्ती) राजस्थान गवर्नमेंट का कर्मचारी है. हाई कोर्ट के ऑर्डर की तरह उन्हें हर साल डेढ़ करोड़ रुपये मिलते हैं. क्या इस पैसे से उन्होंने मुस्लिम महिलाओं और ग़रीब बच्चों की मदद की? उनका तो कई वक्फ भी नहीं है.”

इसके अलावा कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि अगर अल्पसंख्यकों को और ज्यादा पीछे की ओर धकेला जाएगा तो उनमें अकेलेपन की भावना आएगी. इससे कट्टरता और दूसरे सवाल बढ़ेंगे. रावत ने आरोप लगाया कि यह केंद्र सरकार की हठधर्मिता है जिसका नतीजा देश के सौहार्द को भुगतना पड़ेगा.

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वक्फ पर सरकार का पक्ष 

वहीं बिल पर बनी जेपीसी के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने इस मुद्दे पर कहा, 

“कई मुस्लिम मौलवी इस बिल का समर्थन कर रहे हैं, वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस पर आपत्ति जता रहा है. ईद पर भी उन्होंने लोगों से इस बिल के विरोध में प्रदर्शन करने की अपील की. लेकिन क्यों? पहले संशोधित कानून तो आने दीजिए. जब हम सबका साथ, सबका विकास की बात कर रहे हैं. कांग्रेस, ओवैसी और AIAMPLB मुसलमानों को वोट बैंक की तरह देख रहे हैं. तुष्टीकरण कर रहे हैं.” 

मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर कहा, “कुछ दल और संगठन लोगों को गुमराह कर रहे हैं. कुछ भी बोलने से पहले बिल को पढ़ें और फिर तर्क दें. झूठ बोलकर समाज को गुमराह ना करें. बिल को लाने की तैयारी पूरी कर ली गई है.”

वक्फ संशोधन बिल अगस्त 2024 में जॉइंट पार्लियामेंट कमेटी (JPC) को भेजा गया था. तब भी इस बिल को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था. इंडिया टुडे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अब यह बिल 2 अप्रैल को लोकसभा के पटल पर रखा जा सकता है. इससे पहले सीनियर बीजेपी मंत्री I.N.D.I.A. ब्लॉक के नेताओं के साथ इस पर चर्चा कर सकते हैं.

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