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दोस्त की डिग्री से बना मेट्रो का AGM, डेढ़ साल नौकरी भी की, फिर ऐसे खुला मामला!

गुजरात मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (GMRC) में असिस्टेंट जनरल मैनेजर (AGM) का पद पाने के लिए एक शख्स ने जाली डिग्री का इस्तेमाल किया. इसके लिए उसने अपने इंजीनियर दोस्त की डिग्री का इस्तेमाल किया.

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आरोपी के दोस्त ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है (फोटो: आजतक/सांकेतिक)

गुजरात मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (GMRC) में फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी पाने वाले एक शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. इतना ही नहीं, उसने GMRC में तकरीबन डेढ़ साल तक नौकरी भी की. बताया जा रहा है कि फर्जी डिग्री बनाने के लिए उसने अपने एक इंजीनियर दोस्त की डिग्री का इस्तेमाल किया. इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब आरोपी के दोस्त ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

क्या है पूरा मामला?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, GMRC में असिस्टेंट जनरल मैनेजर (AGM) का पद पाने के लिए कपिल शर्मा नाम के शख्स ने कथित तौर पर जाली डिग्री का इस्तेमाल किया. गिरफ्तार किये जाने के बाद उसने पुलिस को बताया कि उसने मेट्रो में नौकरी हासिल की थी और डेढ़ साल तक काम भी किया था. लेकिन बाद में उसने अपनी मर्जी से कंपनी छोड़ दी. बता दें कि उस वक्त कंपनी को गांधीनगर और अहमदाबाद के लिए मेट्रो-लिंक एक्सप्रेस (मेगा) के नाम से जाना जाता था.

ये मामला तब खुला जब गांधीनगर के रहने वाले पंकजप्रसून दिनेशचंद्र सिंह ने कपिल शर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. पंकज ने पुलिस को बताया कि कपिल ने उसे साझेदारी में कंस्ट्रक्शन कंपनी शुरू करने का झांसा दिया था. इसके बाद उसने कपिल को अपने निजी दस्तावेज शेयर कर दिए. जिसका कथित तौर पर उसने दुरुपयोग किया. रिपोर्ट के मुताबिक, कपिल पर आरोप है कि उसने शिकायतकर्ता का पहचान पत्र और B.E सिविल इंजीनियरिंग प्रमाणपत्र के अलावा मार्कशीट और अन्य जरूरी दस्तावेज हासिल किए. इन्हीं दस्तावेजों से उसने अपने नाम पर फर्जी डिग्री प्रमाण पत्र तैयार किए.

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कई धाराओं में मामला दर्ज 

पुलिस का कहना है कि आरोपी कपिल पर कई कंपनियों के लेटरहेड पर जाली ‘एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट’ भी बनाने का आरोप है. इससे पहले उस पर मध्य प्रदेश के इंदौर में भी दो मामले दर्ज किए गए थे. FIR में आरोप लगाया गया है कि कपिल ने इन जाली दस्तावेजों के आधार पर 2011 में अहमदाबाद मेट्रो के AGM के पद के लिए आवेदन किया था. कपिल पर IPC की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 467 (दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेजों को असली के रूप में उपयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. स्थानीय अदालत ने आरोपी को चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है.

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