भारत में सबको शिक्षा का समान अधिकार है. लेकिन अधिकार की प्राप्ति समान है या नहीं, इस पर बहस जारी है. क्यों जारी है, इसे एक वायरल पोस्ट से समझा जा सकता है. एक एक्स यूजर ने अपनी बच्ची की प्राइमरी एजुकेशन का सालाना खर्च बताया है. उसके मुताबिक वो बेटी का एक अंतरराष्ट्रीय प्राइवेट स्कूल में ग्रेड 1 में एडमिशन कराना चाहते हैं. यूजर का कहना है कि स्कूल वालों ने एडमिशन चार्ज, फीस समेत तमाम शुल्क लगाकर उन्हें साढ़े चार लाख रुपये से ज्यादा का खर्च बता दिया. पोस्ट में यूजर ने माना है कि यह फीस मिडिल क्लास नहीं अफोर्ड कर सकता.
बेटी की पहली क्लास की एडमिशन फीस '4.50 लाख' रुपये! पिता ने तस्वीर क्या डाली भूचाल आ गया
पिता बेटी का एक अंतरराष्ट्रीय प्राइवेट स्कूल में एडमिशन कराना चाहता है. उसका कहना है कि स्कूल वालों ने एडमिशन चार्ज, फीस समेत तमाम शुल्क लगाकर उन्हें साढ़े चार लाख रुपये से ज्यादा का खर्च बता दिया. पोस्ट में यूजर ने माना है कि यह फीस मिडिल क्लास नहीं अफोर्ड कर सकता.
एक्स यूजर का नाम Rishabh Jain है. उन्होंने प्राइवेट स्कूल का फीस स्ट्रक्चर एडमिशन फॉर्म की तस्वीर के साथ साझा किया है. ग्रेड 1 के फीस स्ट्रक्चर में लिखा है,
रजिस्ट्रेशन फीस- 2000
एडमिशन फीस- 40000
कॉशन मनी (रिफंडेबल)- 5000
एनुअल चार्जेज- 2,52,000
बस का चार्ज- 1,08,000
बुक्स व यूनिफॉर्म - 20000
टोटल- 4,27,000
कम पड़ जाएगी 20 लाख की भी सैलरी.
यूजर ने पोस्ट में आगे लिखा कि बच्चों को शहर के किसी भी स्कूल में पढ़ाने के लिए 20 लाख रुपये पैकेज वाली नौकरी भी कम पड़ जाएगी (High Paying Jobs), क्योंकि सरकार दुनिया भर के टैक्स के नाम पर कमाई का 50% वसूल ही लेती है. आयकर, GST, पेट्रोल पर वैट, रोड टैक्स, टोल टैक्स, प्रोफेशनल टैक्स, कैपिटल गेन, भूमि रजिस्ट्री शुल्क आदि में चला जाता है.
आगे ये भी लिखा है कि EMI, टैक्स, खाना-पीना, कपड़े, किराया भरने जैसे जरूरी खर्च पूरे करने के बाद स्कूल फीस जमा कर पाना आसान नहीं होता है. उसमें भी जिन घरों में 2 बच्चे हों तो सेविंग के बारे में सोच पाना भी मुश्किल हो जाता है.
लोग क्या बोले?
फीस स्ट्रक्चर की फ़ोटो 17 नवंबर को शेयर की गई. जिस पर लोग तरह-तरह के कॉमेेंट कर रहे हैं. @jagdish_2204 नाम के एक यूजर ने लिखा,
“अगर आप प्राइवेट स्कूल का खर्चा नहीं उठा सकते तो सरकारी स्कूल में दाखिला लें! 'क्वालिटी स्कूल' में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कोई गारंटी नहीं!”
अखिल अग्रवाल नाम के यूजर ने लिखा,
“अच्छी शिक्षा कभी भी लग्जरी नहीं होनी चाहिए. यह एक जरूरी अधिकार होना चाहिए, खासकर जरूरतमंद लोगों के लिए.”
@vishan_khadke नाम के यूजर ने अगले 12 साल की फीस खर्च का अनुमान लगाते हुए लिखा,
“इस हिसाब से 12 सालों में लगभग 1-1.2 करोड़ रुपये खर्च पहुंच जाएगा. जो बहुत अधिक है. मध्यम वर्ग इतनी ऊंची फीस वहन नहीं कर सकता. यह एक गंभीर मुद्दा है. इस पर विचार-विमर्श की जरूरत है कि इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है. अन्यथा बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आएगी.”
अंकुर चौरसिया ने लिखा,
“आप अभी भी भाग्यशाली हैं कि आपके शहर में अभी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के कुछ विकल्प मौजूद हैं. हालांकि ये बहुत महंगे हैं. मैं सागर (MP में टियर 4 टाइप का शहर) में रह रहा हूं. मेरे पास वित्तीय साधन होने पर भी यहां ऐसे विकल्प नहीं हैं.”
इस पोस्ट को खबर लिखे जाने तक तक 14 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं. 11 हजार यूजर्स ने पोस्ट को लाइक किया है. बता दें कि ऋषभ जैन ने अभी अपनी बेटी का एडमिशन इस स्कूल में करवाया नहीं है. वह अगले सेशन में एडमिशन की तैयारी के लिए अलग-अलग स्कूल्स की फीस कंपेयर कर रहे हैं.
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