The Lallantop

ज़ुकाम में नाक बहना समझा आता है, लेकिन मुंह का टेस्ट क्यों चला जाता है?

ये ज़ुकाम न बड़ी बुरी चीज़ है! एक तो इंसान खुलकर सांस नहीं ले पाता. ऊपर से मुंह का टेस्ट गायब हो जाता है. सब कुछ बेस्वाद लगता है. ज़ुकाम में नाक जाम होना समझ में आता है. मगर मुंह का स्वाद क्यों चला जाता है, ये हमें समझाया डॉक्टर ने.

post-main-image
जब स्वाद और सुगंध मिलते हैं, तभी खाने का असली फ्लेवर आता है

आजकल ज़रा भी ठंडा पानी पियो, तुरंत ज़ुकाम हो जाता है. ज़रा-सी ठंडी हवा लग जाए, तो गले में खिच-खिच शुरू हो जाती है. एक-दो दिन बाद ज़ुकाम, फिर नाक जाम.

cold
सर्दियों में ज़ुकाम होना बहुत कॉमन है (सांकेतिक तस्वीर)

अब ये ज़ुकाम न बड़ी बुरी चीज़ है! एक तो इंसान खुलकर सांस नहीं ले पाता. ऊपर से मुंह का टेस्ट गायब हो जाता है. सब कुछ बेस्वाद लगता है. 

ज़ुकाम में नाक जाम होना समझ में आता है. मगर मुंह का स्वाद क्यों चला जाता है, ये हमें समझाया डॉक्टर सुरिंदर ने. 

dr surinder kumar
डॉ. सुरिंदर कुमार, जनरल फिज़ीशियन, एमबीबीएस, नई दिल्ली

हमारी जीभ पर बहुत सारे छोटे-छोटे उभार होते हैं. इन्हें पैपिले (Papillae) कहा जाता है. हर पैपिले में टेस्ट बड्स (Taste Buds) होते हैं. अब हर टेस्ट बड में 50 से 100 टेस्ट रिसेप्टर सेल्स (Taste Receptor Cells) होते हैं. इन सेल्स में छोटे-छोटे बाल जैसे स्ट्रक्चर होते हैं. जिन्हें माइक्रोविली (Microvilli) कहा जाता है.

taste bud
टेस्ट बड की बनावट

ये माइक्रोविली खाने-पीने की चीज़ों में मौजूद केमिकल्स के संपर्क में आते हैं. फिर टेस्ट रिसेप्टर सेल्स इन केमिकल्स की जानकारी नर्व्स के ज़रिए दिमाग तक भेजते हैं. हमारा दिमाग इन संकेतों को पहचानकर तय करता है कि खाने का स्वाद कैसा है.

अब इस खाने के स्वाद में हमारी नाक की भी भूमिका रहती है. देखिए, जब हम खाना खाते हैं तो खाने से खुशबू निकलती है. ये खुशबू नाक और गले को जोड़ने वाले हिस्से नेसोफैरिंक्स (Nasopharynx) से होकर नाक तक पहुंचती है. फिर नाक में मौजूद ऑलफैक्ट्री रिसेप्टर्स (olfactory receptors) इस खुशबू को पहचानकर उसकी जानकारी दिमाग तक भेजते हैं.

ऑलफैक्ट्री रिसेप्टर्स को हिंदी में गंध रिसेप्टर्स भी कहते हैं. गंध यानी Smell. ये रिसेप्टर्स हर तरह की स्मेल को पहचान सकते हैं. 

जब स्मेल और टेस्ट, यानी स्वाद और सुगंध दोनों मिलते हैं, तभी खाने का असली फ्लेवर पता चलता है.

मगर जब जुकाम होता है. तो नाक में मौजूद झिल्ली में सूजन आ जाती है. बलगम भी ज़्यादा पैदा होता है. इससे नाक के रास्ते बंद हो जाते हैं. फिर खाने की स्मेल ऑलफैक्ट्री रिसेप्टर्स तक नहीं पहुंच पाती. नतीजा? दिमाग को खाने की स्मेल का पता नहीं चल पाता. फिर खाने का स्वाद भी पूरी तरह पता नहीं चलता और हमें खाना बेस्वाद और फीका लगने लगता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहतः सर्दियों में ये 5 सब्ज़ियां ज़रूर खाएं, बीमार नहीं पड़ेंगे