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इस वजह से पेट पर ही जमा होती है सारी चर्बी, निपटने का तरीका 'आसान' है!

How to reduce belly fat: जब भी वज़न बढ़ता है तो सबसे पहला असर बैली यानी पेट पर ही दिखता है.

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बहुत सारे लोग बैली फैट से परेशान हैं.

बैली फैट. ये सिर्फ दो शब्द नहीं, दुख के प्रतीक हैं. आज ज़्यादातर लोगों के शरीर पर बैली फैट है. चाहें वो महिला हों या पुरुष. बैली फैट समझते हैं न आप? पेट के निचले हिस्से में जो चर्बी जमा हो जाती है, उसे बैली फैट (Belly Fat) कहते हैं.

लेकिन, आखिर ये चर्बी सबसे ज़्यादा पेट पर ही क्यों जमा होती है, कहीं और क्यों नहीं? ये हमने पूछा डॉक्टर सुनीता नागपाल से. 

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डॉ. सुनीता नागपाल, जनरल फिज़ीशियन, सैलूब्रिटास मेडसेंटर

डॉक्टर सुनीता बताती हैं कि बैली फैट दो तरह का होता है. पहला, सबक्यूटेनियस फैट. इसमें हमारी स्किन के नीचे फैट की परत जम जाती है. इस तरह का फैट कम खतरनाक होता है. दूसरा है, विसरल फैट. ये बड़ा डेंजरस है. इसमें शरीर के अंगों, जैसे लिवर और आंतों पर फैट जमा हो जाता है. विसरल फैट की वजह से ही डायबिटीज़, दिल की बीमारियां और कुछ तरह के कैंसर होते हैं.

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शरीर में दो तरह का फैट होता है (सांकेतिक तस्वीर)

बैली फैट जमा होने की पहली वजह है स्ट्रेस. जब भी हम स्ट्रेस में होते हैं, तब शरीर में कोर्टिसोल नाम का हॉर्मोन रिलीज़ होता है. ये हॉर्मोन शरीर को खतरे के लिए तैयार करता है. अगर स्ट्रेस थोड़ी देर के लिए हो, तब तो कोई दिक्कत नहीं. लेकिन, अगर स्ट्रेस लंबे वक्त तक रहे, तब शरीर में लंबे समय तक कोर्टिसोल हॉर्मोन हाई रहता है. इस वजह से पेट पर फैट जमा होने लगता है.

अच्छा, स्ट्रेस की सिचुएशन में शरीर को ज़्यादा एनर्जी की ज़रूरत होती है. इस वजह से हमारी भूख भी बढ़ जाती है. ये भूख सिर्फ खाना खाने की नहीं होती बल्कि कुछ मीठा, कुछ चटपटा, कुछ मसालेदार खाने की भी होती है. फिर जब हम ऐसा खाना खाते हैं, तो हमारे शरीर में फैट बढ़ने लगता है.

बैली फैट बढ़ाने में इंसुलिन रेज़िस्टेंस का भी रोल है. इंसुलिन रेज़िस्टेंस यानी शरीर के सेल्स खाने को ठीक तरह से ग्लूकोज़ में नहीं बदल पाते. तब पेट के आसपास फैट इकट्ठा होने लगता है. इंसुलिन रेज़िस्टेंस से टाइप 2 डायबिटीज़ का भी खतरा रहता है. अब ये इंसुलिन रेज़िस्टेंस कई वजहों से हो सकता है. जैसे खराब डाइट. एक्सरसाइज़ न करना और जेनेटिक कारण.

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घर के बजाय बाहर का खाना ज़्यादा खाते हैं तो भी बैली फैट बढ़ने लगता है

डॉक्टर सुनीता आगे कहती हैं कि अगर आप प्रोसेस्ड फूड और ऐडेड शुगर वाली चीज़ें ज़्यादा खाते हैं. जैसे चिप्स, सोडा, फ्रूट जूस, पेस्ट्री, एनर्जी ड्रिंक्स. तो भी आपका वज़न बढ़ने लगता है. इसके अलावा शराब पीने, आलस करने, अच्छी और पर्याप्त नींद न लेने, ट्रांस फैट खाने से भी वज़न बढ़ने लगता है. 

अब आप कहेंगे, जब ट्रांस फैट इतना ही बुरा है तो हम इसे क्यों खाएंगे? तो आप बता दें जो जंक फूड आप बड़े चाव से खाते हैं, उसमें ट्रांस फैट होता है.

वहीं अगर आप आपकी डाइट में प्रोटीन और फाइबर कमी है, तो भी आपका वज़न बढ़ सकता है. ये दोनों ही चीज़ें पेट को लंबे समय तक भरा रखती हैं. जिससे हम ओवरईटिंग नहीं करते. लेकिन अगर डाइट में प्रोटीन और फाइबर न हों, तो भूख जल्दी लगती है. फिर हम ज़्यादा खाते हैं और वज़न बढ़ता है.  

इसलिए, एक बैलेंस्ड डाइट लें. अपनी डाइट में प्रोटीन और फाइबर शामिल करें. प्रोटीन के लिए आप दूध, दही, पनीर, सोयाबीन और अंडे खा सकते हैं. वहीं फाइबर के लिए मिलेट्स, दालें, चना, पपीता और राजमा खाएं. बहुत ज़्यादा बाहर का न खाएं. स्ट्रेस कम लें. नींद भरपूर लें और रोज़ आधा-एक घंटा एक्सरसाइज़ करें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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