जब हम बहुत ज़्यादा थके होते हैं या नींद से जागते हैं, तो अंगड़ाई लेते हैं. इस पर हमारा बिल्कुल ज़ोर नहीं चलता. ये अपने आप आती है. लेकिन, अंगड़ाई आती क्यों है? कभी ये सोचा है? चलिए डॉक्टर तुषार तायल से समझते हैं.
दिन में कितनी बार अंगड़ाई लेते हैं आप? इसके आने की वजह जान लीजिए!
अंगड़ाई आना एक स्वाभाविक क्रिया है. जब हम अंगड़ाई लेते हैं, तो शरीर रिलैक्स होता है. उसे आराम मिलता है और हम एक्टिव होते हैं.


डॉक्टर तुषार कहते हैं कि अंगड़ाई लेना एक प्राकृतिक और स्वाभाविक क्रिया है. जब हम अंगड़ाई लेते हैं, तो शरीर रिलैक्स होता है. शरीर को आराम मिलता है. ये एक्टिव बनता है. अंगड़ाई फ़ायदेमंद है.
देखिए, लंबे वक्त तक बैठने या लेटे रहने से शरीर की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं. उनमें जकड़न आ जाती है. मगर जब हम अंगड़ाई लेते हैं, तो ये जकड़न दूर होती है और मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं. नतीजा? पूरे शरीर को राहत मिलती है.
अंगड़ाई लेने से शरीर में खून का बहाव भी सुधरता है. दरअसल, जब हम अंगड़ाई लेते हैं, तो मांसपेशियां खिंचती और सिकुड़ती हैं. इससे शरीर में खून का संचार सुधरता है. फिर ऑक्सीज़न और दूसरे पोषक तत्व बेहतर तरीके से अलग-अलग अंगों तक पहुंचते हैं.

जब हम सुबह उठते ही अंगड़ाई लेते हैं, तो दिमाग को सिग्नल मिलता है. भई, अब सुस्ती छोड़ो और एक्टिव हो जाओ. यानी अंगड़ाई नींद से जगाने में भी मदद करती है.
इसी तरह, जब हम एक ही पोज़ीशन में घंटों बैठकर काम करते हैं. तब भी अंगड़ाई आती है. ये शरीर में तनाव को कम करती है ताकि हम हल्का महसूस करें. हमें आराम मिले. और, दिमाग दोबारा एक्टिव हो जाए.
लिहाज़ा, जब भी आपको लगे कि शरीर थका हुआ है. बहुत आलस आ रहा है. नींद नहीं जा रही, तो बस एक अंगड़ाई ले लें.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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