'समर ऑफ़ 69'. ये वो गाना है जो 90s किड्स को मुंहजुबानी रटा हुआ है. आप 90s किड भले न हों, इस गाने से ज़रूर वाकिफ़ होंगे. साथ ही, वाकिफ़ होंगे इसे गाने वाले सिंगर से. ब्रायन एडम्स (Bryan Adams). एक से एक हिट गाने दिए हैं इन्होंने.
शुगर के मरीज़ों को बार-बार पेशाब के लिए क्यों जाना पड़ता है? वो पेशाब रोक क्यों नहीं पाते?
सिंगर ब्रायन एडम्स के कॉन्सर्ट में गए एक डायबिटिक पेशेंट के ओपन लेटर ने बहुत सारे मरीज़ों की समस्या को उजागर कर दिया है. यूरिन को होल्ड करने की समस्या.
13 दिसंबर को मुंबई के Bombay Convention & Exhibition Centre में इनका कॉन्सर्ट हुआ. ज़ाहिर सी बात है, अपने चहेते सिंगर को लाइव सुनने हज़ारों की भीड़ उमड़ी.
इस भीड़ में शामिल थे एक डायबिटिक पेशेंट शेल्डन अरेंजो, जिनका एक पोस्ट अब खूब वायरल हो रहा है. शेल्डन ने कॉन्सर्ट ऑर्गेनाइज करने के लिए ज़िम्मेदार EVA Global Events के हेड और कॉन्सर्ट के स्पॉन्सर Zomato के CEO दीपेंदर गोयल को एक ओपन लेटर लिखा है.
अपने लेटर में उन्होंने बताया कि उन्हें वॉशरूम जाना था. वो एक वॉशरूम के बाहर गए. लेकिन, लाइन बहुत लंबी थी. उन्हें पता था वो यूरिन इतनी देर तक होल्ड नहीं कर पाएंगे. इसलिए, वो पैवेलियन के दूसरी ओर गए. लेकिन, उस वॉशरूम को इस्तेमाल करने की इजाज़त उन्हें नहीं थी. थक-हारकर एक पेड़ के पास उन्हें यूरिन पास करना पड़ा. लेकिन, तब तक उनकी पैंट गंदी हो चुकी थी.
अपने पैंट की तस्वीर भी उन्होंने पोस्ट की है. शेल्डन ने अपने ख़त में लिखा: "मुझे ये कहने में कोई शर्म नहीं है कि मुझे डायबिटीज़ है. इसमें कॉन्टिनेंस इश्यू रहता है." Continence Issue यानी यूरिन को कंट्रोल नहीं कर पाना.
शेल्डन के इस लेटर ने बहुत सारे डायबिटिक पेशेंट्स की समस्या को उजागर कर दिया है. यूरिन को होल्ड करने की समस्या.
हमने डॉक्टर विक्रम जीत सिंह से पूछा कि क्यों डायबिटीज़ के मरीज़ों को दूसरों के मुकाबले ज़्यादा यूरिन पास होता है? और, क्यों वो यूरिन रोक क्यों नहीं पाते?
डॉक्टर विक्रम जीत बताते हैं कि डायबिटीज़ के मरीज़ों को बार-बार यूरिन पास करने जाना पड़ता है. डायबिटीज़ में अक्सर ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. यानी खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है. तब किडनी इसे बैलेंस करने के लिए एक्स्ट्रा शुगर शरीर से बाहर निकालती है. कैसे? यूरिन के ज़रिए. इसीलिए डायबिटीज़ के मरीज़ को बार-बार पेशाब के लिए जाना पड़ता है.
बार-बार यूरिन होने के कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है. इसलिए डायबिटीज़ के मरीज़ों को प्यास भी ज़्यादा लगती है. मुंह सूखता है. मरीज़ ज़्यादा पानी पीता है. फिर उसे यूरिन भी ज़्यादा होता है. और ये एक साइकिल चलती रहती है.
जहां तक बात यूरिन को रोकने की है. तो, कई बार डायबिटीज़ के मरीज़ अपना यूरिन नहीं रोक पाते हैं. उसकी कई वजहें हैं. जैसे नर्व डैमेज यानी डायबिटिक न्यूरोपैथी. लंबे वक्त तक हाई ब्लड शुगर की वजह से नर्व्स को नुकसान पहुंचता है. इसमें पेशाब की थैली को नियंत्रित करने वाली नसें भी शामिल हैं. इन नसों को पहुंचने नुकसान के कारण, पेशाब रोकने में परेशानी होती है.
अगर मरीज़ सिगरेट पीता है. या उसका वज़न ज़्यादा है. तो ब्लैडर से जुड़ी समस्याओं का रिस्क बढ़ जाता है. मोटापा और डायबिटीज़ का कॉम्बिनेशन पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को भी कमज़ोर कर सकता है. पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों का एक ग्रुप है. जो प्यूबिक बोन से लेकर टेलबोन तक फैला होता है. ये ब्लैडर, बॉवेल और दूसरे पेल्विक अंगों को सहारा देता है. लेकिन, जब इसकी मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं. तो वो यूरिन को रोककर नहीं रख पातीं.
डॉक्टर विक्रम जीत बताते हैं कि डायबिटीज़ की वजह से ब्लैडर की मांसपेशियां ज़्यादा संवेदनशील हो जाती हैं. इससे बार-बार पेशाब के लिए जाना पड़ता है. वहीं, कई बार डायबिटीज़ के मरीज़ों को UTI यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने का ख़तरा होता है. ये पेशाब के रास्ते में होने वाला इंफेक्शन है. इससे पेशाब को कंट्रोल में रखना मुश्किल हो जाता है.
इसलिए, सही डाइट, एक्सरसाइज़ और दवाओं की मदद से शुगर को कंट्रोल में रखें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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