कई बार जब हम डॉक्टर के पास जाते हैं. तो वो हमें X-Ray, MRI या फिर CT Scan कराने को कहते हैं. अब इनके नाम तो हमने कई बार सुने हैं. लेकिन, तीनों में आखिर फर्क क्या है. ये हमने पूछा डॉक्टर विभु क्वात्रा से.
X-Ray, MRI और CT Scan सुना तो खूब है, पर इन तीनों में फर्क क्या है?
X-Ray से हड्डियों की स्टडी की जाती है. कोई हड्डी कहां पर है. उसमें फ्रैक्चर तो नहीं हो गया. या हड्डी अपनी जगह से खिसक तो नहीं गई. इन सबका पता X-Ray से चलता है. MRI और CT Scan का काम इससे थोड़ा अलग है.
डॉक्टर विभु बताते हैं कि X-Ray, MRI और CT Scan, ये तीनों ही मेडिकल इमेजिंग की तकनीक हैं. यानी ये इमेज कैप्चर करती हैं. कहां की इमेज? शरीर के अंदरूनी हिस्सों की.
पहले बात X-Ray की
इसमें एक तरफ X-Ray मशीन होती है. दूसरी तरफ काले रंग की फिल्म लगाई जाती है. जिस पर बाद में X-Ray निकलकर आता है. इन दोनों के बीच में मरीज़ को खड़ा किया जाता है. फिर मशीन से X-किरणें निकलती हैं. जो हमारे शरीर से होते हुए उस फिल्म पर जाकर पड़ती है. फिर हमें थोड़ी देर बाद अपना X-Ray मिल जाता है.
अब शरीर के जिस हिस्से से X-किरणें आर-पार हो जाती हैं. वो हिस्सा X-Ray में काला दिखता है. लेकिन, जहां से ये किरणें पार नहीं हो पातीं, जैसे हमारी हड्डियों से, तो वो हिस्सा सफेद दिखता है.
X-Ray से हड्डियों की स्टडी की जाती है. कोई हड्डी कहां पर है. उसमें फ्रैक्चर तो नहीं हो गया. हड्डी अपनी जगह से खिसक तो नहीं गई. या फिर कोई जोड़ कहां पर है. इन सबका X-Ray से पता चलता है.
कुछ ट्यूमर्स जो कैल्शियम के जमा होने से बनते हैं, उनका पता भी X-Ray से चल जाता है. X-Ray कराना सस्ता होता है और इसकी रिपोर्ट जल्दी मिल जाती है.
अब बात CT Scan की
X-Ray की तरह इसमें भी X-किरणों का इस्तेमाल होता है. हालांकि इसकी मशीन, X-Ray वाली मशीन से काफी बड़ी होती है.
CT Scan करने के लिए मरीज़ को लिटाया जाता है. फिर उसे गोल-सी दिखने वाली मशीन के बीच में भेजा जाता है. वहां X-किरणें घूमते हुए, लगातार मरीज़ पर पड़ती हैं. CT Scan में शरीर की पूरी 360 डिग्री इमेज मिल जाती है. इसमें काफी डिटेल तरीके से शरीर को स्कैन किया जाता है.
जो चीज़ X-Ray से पता नहीं चल पाती, वो CT Scan से पता चल जाती है. इसका इस्तेमाल हड्डी के किसी फ्रैक्चर, ट्यूमर, ब्लड क्लॉट, या इंटरनल ब्लीडिंग का पता करने के लिए होता है.
अब बात MRI की
MRI में X-किरणों का इस्तेमाल नहीं होता. बल्कि बहुत शक्तिशाली चुंबक के ज़रिए रेडियो वेव्स को शरीर में पास कराया जाता है.
MRI कराना महंगा होता है. इसमें टाइम भी ज़्यादा लगता है. लेकिन, इससे शरीर की बहुत बारीक डिटेल मिल जाती है. MRI हमारे टिशूज़, कार्टिलेज, लिगामेंट्स, नर्वस और नसों की क्लियर पिक्चर देता है. अगर मरीज़ को जोड़ों, दिमाग, कलाई, एड़ी, दिल, ब्रेस्ट और ब्लड वेसल्स से जुड़ी कोई दिक्कत है तो डॉक्टर MRI कराने को कह सकते हैं.
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