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मामूली इंफेक्शन से भी हो सकता है Multi Organ Failure, कौन से अंग हो जाते हैं बंद

मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर में सबसे पहले Blood Pressure कम होता है. फिर Lungs खराब होने लगते हैं. इसके बाद हमारी Kidney और दूसरे अंगों पर असर पड़ता है.

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मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर में मरीज़ को लाइफ सपोर्ट की ज़रूरत पड़ती है

आपने Multi Organ Failure का नाम सुना है? इसमें शरीर के दो या दो से ज़्यादा अंग काम करना बंद कर देते हैं. मेडिकल की भाषा में, इसे Multiple Organ Dysfunction Syndrome कहा जाता है. ये बड़ा ही डेंजरस होता है. अगर आदमी को टाइम पर इलाज न मिले, तो जान जाना तय है.

अब आप कहेंगे कि जान का रिस्क है तो पक्का किसी बहुत बड़ी बीमारी में ही ये होता होगा. नहीं, मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर किसी मामूली-से दिखने वाले इंफेक्शन की वजह से भी हो सकता है. ऐसे में इसके बारे में जानना ज़रूरी है. इसलिए, आज हम डॉक्टर साहब से जानेंगे कि मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर क्या है. ये क्यों होता है. इसमें शरीर के कौन-कौन से अंग फ़ेल होते हैं. और, इससे बचाव और इलाज कैसे किया जाए. 

मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर क्या है और ये क्यों होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर मनोज के. सिंघल ने. 

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डॉ. मनोज के. सिंघल, प्रिंसिपल डायरेक्टर, नेफ्रोलॉजी, मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली

मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर यानी जब शरीर के बहुत सारे अंग काम करना कम कर दें या फिर बंद कर दें. आमतौर पर इस तरह की स्थिति बहुत गंभीर होती है. जैसे इन दिनों डेंगू के कई मामले (dengue cases) सामने आ रहे हैं. डेंगू होने पर शरीर में टॉक्सिंस (हानिकारक पदार्थ) रिलीज़ होने लगते हैं. इस वजह से बहुत सारे अंग ठीक से काम नहीं कर पाते. 

ऐसा होने पर सबसे पहले Blood Pressure कम होता है. फेफड़ों में खराबी आने लगती है जिससे मरीज़ सांस नहीं ले पाता है. Lung failure होना शुरू हो जाता है. किडनी में खून का फ्लो कम हो जाता है. इस वजह से किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती. फिर यूरिन नहीं बनता तो Kidney Failure होने लगता है. लिवर में खून का फ्लो कम होने से लिवर काम नहीं कर पाता. फिर लिवर फ़ेलियर या पीलिया (Jaundice) होने लगता है. 

इसी तरह, जब दिमाग में खून का फ्लो नहीं होता तो वो भी काम नहीं कर पाता है. मरीज़ बेहोशी में जाने लगता है. इस तरह से, जब शरीर के 4-5 अंग फेल होने लगते हैं, तो उसे मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर कहा जाता है.

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मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर यानी कई अंगों का ठीक से काम न करना

बचाव और इलाज

मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर होने पर मरीज़ को लाइफ सपोर्ट की ज़रूरत पड़ती है. जैसे मरीज़ को सांस देने के लिए वेंटिलेटर पर रखा जाता है. उसे ब्लड प्रेशर से जुड़ी दवाएं दी जाती हैं ताकि बीपी मेंटेन रहे. किडनी के ठीक से काम करने के लिए डायलिसिस किया जाता है. फिर जैसे ही इंफेक्शन ठीक होने लगता है और टॉक्सिंस का असर कम होने लगता है. वैसे ही शरीर में सुधार आना शुरू हो जाता है. मरीज़ का ब्लड प्रेशर बेहतर हो जाता है. लिवर ठीक से काम करने लगता है. किडनी में सुधार होने लगता है. फेफड़े ठीक से काम करने लगते हैं.

इसके बाद मरीज़ को लाइफ सपोर्ट की ज़रूरत नहीं पड़ती और धीरे-धीरे करके उसका लाइफ सपोर्ट हटा दिया जाता है. लेकिन, कई बार इसी गंभीर स्थिति में बहुत सारे मरीज़ नहीं बच पाते हैं. लिहाज़ा मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर से बचाव के लिए हमें इंफेक्शन से बचना होगा. इन दिनों डेंगू और मलेरिया सबसे ज़्यादा फैल रहे हैं. अगर हम मच्छरों से बचाव करेंगे और अपने आसपास सफाई रखेंगे तो इंफेक्शन से बचे रहेंगे.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहतः कब होता है मल्टी ऑर्गन फ़ेलियर, बचें कैसे? डॉक्टर ने बताया