एक वक्त था जब संडे-संडे दादा, पापा, चाचा लोग धूप में बैठकर ज़ोर की मालिश करवाते थे. मालिश करने के लिए एक खास शख्स को बुलाया जाता, जो अपनी पूरी ताकत लगाकर लोगों की पीठ, गर्दन और हाथ-पैरों की मालिश करता. अब ये नज़ारा तो कम दिखता है. पर मालिश ज़रूर मॉडर्न हो गई है. अब हम इसे कहते हैं ‘मसाज’.
डीप टिश्यू मसाज कैसे की जाती है? डॉक्टर से इसके फायदे जान लीजिए
डीप टिश्यू मसाज में शरीर के कुछ खास हिस्सों पर दबाव डालकर मसाज किया जाता है. इससे खून का बहाव सुधरता है.

जब भी घंटों ऑफिस में बैठने के बाद गर्दन और कमर अकड़ती है, तो मन करता है कोई बढ़िया मसाज कर दे.

मगर दर्द और अकड़न से निजात पाने के लिए कोई भी मसाज काफी नहीं है. इसके लिए करवाना पड़ता है ‘डीप टिश्यू मसाज’ (Deep Tissue Massage). इसमें शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर दबाव डालकर मसाज किया जाता है. इसके फायदे तभी हैं, जब इसे सही तरीके से क्या जाए.
बदन दर्द और मांसपेशियों के दर्द से परेशान बहुत सारे लोगों के लिए डीप टिश्यू मसाज बड़े काम का है. ऐसे में डॉक्टर से जानिए कि डीप टिश्यू मसाज क्या है. इसे कराने के फायदे क्या होते हैं. डीप टिश्यू मसाज कैसे किया जाता है. और, अगर डीप टिश्यू मसाज करवा रहे हैं, तो किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है, नहीं तो चोट भी लग सकती है.
डीप टिश्यू मसाज क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर विभू क्वात्रा ने.

डीप टिश्यू का मतलब है, शरीर की गहराई में मौजूद मांसपेशियां. हमारी मांसपेशियां स्किन की कई परतों के नीचे होती हैं. जो मांसपेशियां रीढ़ की हड्डी से जुड़ी होती हैं, उन्हें डीप मसल्स कहा जाता है. डीप टिश्यू में इन डीप मसल्स के अलावा टेंडन्स और लिगामेंट्स भी शामिल होते हैं. टेंडन्स मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ते हैं. वहीं लिगामेंट्स हड्डियों को आपस में जोड़ते हैं. टेंडन्स, लिगामेंट्स और डीप मसल्स को डीप टिश्यू का हिस्सा माना जाता है. डीप टिश्यू मसाज में शरीर के कुछ खास हिस्सों पर दबाव डालकर मसाज किया जाता है.
डीप टिश्यू मसाज कराने से खून का बहाव सुधरता है. अब हर व्यक्ति एक्सरसाइज़ नहीं करता, जिम नहीं जाता. ऐसे में ये मसाज कराने से मांसपेशियां मज़बूत और लचीली बनती हैं. मसाज से न केवल खून का बहाव सुधरता है, बल्कि नसें भी बेहतर तरीके से काम करती हैं. साथ ही, लंबे समय से चले आ रहे दर्द में राहत मिलती है. शरीर को आराम पहुंचता है. जब शरीर को आराम पहुंचता है, तो मानसिक रूप से भी काफी शांति महसूस होती है.

इसमें वर्टिकल (लंबाई) और सर्कुलर (गोल-गोल) मूवमेंट्स दोनों का इस्तेमाल किया जाता है. मसाज करने से पहले शरीर के कुछ खास हिस्सों की पहचान की जाती है. फिर उन हिस्सों पर प्रेशर डालकर सर्कुलर या वर्टिकल मूवमेंट करके मसाज किया जाता है.
डीप टिश्यू मसाज करवाते वक्त किन बातों का ध्यान रखें?डीप टिश्यू मसाज में किसी खास जगह पर प्रेशर डाला जाता है. लिहाज़ा, मसाज करने वाला व्यक्ति सही तरीके से प्रशिक्षित होना चाहिए. ये एक प्रेशर मसाज है, गलत तरीके से प्रेशर पड़ने से मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है. मांसपेशियां फट भी सकती हैं, जिसे मस्कुलर टियर कहते हैं. नसों को भी नुकसान पहुंच सकता है. कई लोग गर्दन के दर्द और स्पॉन्डिलाइटिस के लिए डीप टिश्यू मसाज कराते हैं. ऐसे लोग सावधानी बरतें क्योंकि इन हिस्सों में ऐसी नसें होती हैं, जिन पर गलत प्रेशर पड़ने से मौत तक हो सकती है.
दरअसल, ये नसें सीधे दिल से जुड़ी होती हैं. इसलिए, कुशल और अनुभवी व्यक्ति से ही डीप टिश्यू मसाज करवाएं. मसाज या एक्सरसाइज़ के बाद पानी खूब पिएं. अगर शुगर की बीमारी नहीं है तो ORS भी पी सकते हैं. ORS में ग्लूकोज़ होता है, जो शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है. डीप टिश्यू मसाज के दौरान मांसपेशियां पानी सोखती हैं. इसलिए, हाइड्रेशन बहुत ज़रूरी है. हाइड्रेशन की कमी से शरीर में सूखापन और अकड़न महसूस हो सकती है, इसलिए पानी पीना न भूलें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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