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आपकी सेहत के राज खोलता है बलगम का रंग, जानें किस रंग का क्या मतलब है

हमारा शरीर खुद से बलगम बनाता है ताकि श्वसन तंत्र को वायरस, बैक्टीरिया, एलर्जी या जलन से बचा सके. आमतौर पर, बलगम पारदर्शी होता है. लेकिन, कई बार इसका रंग बदल जाता है.

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बलगम का रंग बदलना सामान्य नहीं है

मौसम कोई भी हो, खांसी बिन बुलाए मेहमान की तरह कभी भी आ सकती है. कई बार खांसी अकेले नहीं आती. अपने बेस्ट फ्रेंड को भी साथ लाती है. बलगम यानी कफ़. अब इससे पहले आप बलगम का नाम सुनकर घिनाएं. ये जान लीजिए, बलगम का रंग आपकी सेहत के गहरे राज़ खोलता है.

सबसे पहले तो ये समझ लीजिए कि बलगम बनता क्यों है? इसे हमारा शरीर खुद बनाता है ताकि रेस्पिरेटरी सिस्टम को वायरस, बैक्टीरिया, एलर्जी या जलन से बचाया जा सके. रेस्पिरेटरी सिस्टम में वो सारे अंग आते हैं, जो सांस लेने और छोड़ने में हमारी मदद करते हैं.

अब अगर खांसी के साथ बलगम बाहर आ रहा है, तो इसका मतलब है कि शरीर रेस्पिरेटरी सिस्टम में मौजदू किसी बैक्टीरिया, वायरस या जलन पैदा करने वाले कणों को बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है. यानी एक तरह से बलगम आना अच्छा है.

लेकिन, अगर हर बार खांसी के साथ बलगम बाहर आ रहा है. या फिर बलगम का रंग बदल गया है. वो मटमैला, पीला, भूरा, लाल, गुलाबी या किसी दूसरे रंग का हो गया है. तो, ये किसी इंफेक्शन की ओर इशारा हो सकता है.

मटमैला बलगम बन रहा है तो इसका क्या मतलब है?

ये हमें बताया डॉक्टर कुलदीप कुमार ग्रोवर ने.

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डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर, हेड, पल्मोनोलॉजी, सी.के.बिड़ला हॉस्पिटल, गुरुग्राम

मटमैला बलगम तब बनता है, जब हम सांस के जरिए किसी इरिटेंट (जैसे धूल, धुआं या प्रदूषण) को अंदर लेते हैं. ऐसा तब होता है, जब हम कहीं बाहर जाते हैं. कोई ठंडी चीज़ खाते हैं. इससे गले या ट्रेकिया (सांस की नली) में सूजन आ जाती है, जिससे शरीर की प्रतिक्रिया के रूप में मटमैला बलगम बनता है. ये किसी बीमारी से जुड़ा नहीं है. इसमें एंटीबायोटिक्स की ज़रूरत नहीं होती. थोड़ा ध्यान देने और भाप लेने से ये ठीक हो सकता है.

लाल बलगम बन रहा है तो इसका क्या मतलब है?

लाल बलगम बनना चिंता की बात है. आमतौर पर, लाल रंग का बलगम नहीं आता. अगर आ रहा है तो इंफेक्शन का ख़तरा हो सकता है. ये इंफेक्शन मामूली भी हो सकता है. लेकिन, अगर कई दिनों से ताज़ा खून आ रहा है तो इसे नज़रअंदाज़ न करें, वरना ये लंबे समय तक चलने वाली समस्या बन सकती है. अगर लाल रंग का बलगम 3 हफ्ते से ज़्यादा समय तक रहता है. तब टीबी जैसी बीमारियों की जांच की जाती है.

वहीं अगर अचानक बुखार चढ़े और लाल रंग का बलगम आए, तो ये ज़्यादातर बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है. ऐसे मामलों में एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं. यानी लाल बलगम किसी न किसी इंफेक्शन से जुड़ा होता है.

गुलाबी बलगम आ रहा है तो इसका क्या मतलब है?

कई बार बलगम गुलाबी रंग का होता है. ऐसा बलगम दिल से जुड़ी दिक्कतों की वजह से बनता है. अगर बलगम गुलाबी है, तो इसका मतलब आप दिल के मरीज़ हैं. अगर आप एंटी-प्लेटलेट्स या दूसरी ब्लड थिनर दवाएं ले रहे हैं, तो खून पतला होने के कारण बलगम गुलाबी हो सकता है. कई बार व्यक्ति दिल का मरीज़ होता है, लेकिन उसे पता नहीं होता. रात में अचानक हार्ट फ़ेलियर जैसी इमरजेंसी हो जाए, तो भी गुलाबी बलगम आ सकता है.

भूरे बलगम का क्या मतलब है?

भूरा बलगम इंफेक्शन से जुड़ा होता है. अगर आपने इंफेक्शन को नज़रअंदाज़ किया और 10 दिनों तक सिर्फ लक्षणों के हिसाब से दवाएं लीं, तो बलगम भूरा हो सकता है. सूजन, इंफेक्शन या किसी टॉक्सिक पदार्थ के अंदर जाने से भी भूरा बलगम आ सकता है. अगर भूरे बलगम की मात्रा ज़्यादा है, तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं.

पीले बलगम का क्या मतलब है?

पीला बलगम किसी इंफेक्शन का इशारा होता है. अगर दो-तीन दिन से पीला बलगम आ रहा है और उसकी मात्रा कम है, तो ये ट्रैकिआइटिस (सांस की नली में इंफेक्शन) या ब्रॉन्काइटिस (फेफड़ों के ब्रॉन्कियल ट्यूब्स में इंफेक्शन) का संकेत हो सकता है. ऐसे मामलों में एंटीबायोटिक्स की ज़रूरत नहीं होती. लेकिन, अगर बलगम फेफड़ों से आ रहा है. उसकी मात्रा ज़्यादा है और साथ में बुखार है, तो ये चेस्ट इंफेक्शन का संकेत हो सकता है. इसमें डॉक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक्स लेना ज़रूरी है.

देखिए, अगर आपके बलगम के रंग में बदलाव है. बलगम ट्रांसपैरेंट यानी पारदर्शी से किसी और रंग का हो गया है, तो इसे बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ न करें. तुरंत डॉक्टर से मिलें और अपना चेकअप कराएं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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