हमारे एक कलीग हैं तरुण. खाने के बड़े शौकीन. उन्हें अक्सर मीठा खाने की तलब उठती है. फिर इस तलब के चक्कर में वो कभी रसमलाई खाते हैं. कभी जलेबी. दोनों न मिलें तो गुलाब जामुन खरीदकर ले आते हैं. हालांकि राहत की बात ये है कि तरुण को ये क्रेविंग रोज़-रोज़ नहीं होती.
क्यों कई बार मीठे के लिए मचल उठता है मन? जंक फ़ूड के बिना आखिर रहा क्यों नहीं जाता?
कई बार हमारी फ़ूड क्रेविंग्स के पीछे शरीर में कुछ खास पोषक तत्वों की कमी होती है.
मगर कई लोग ऐसे हैं जिन्हें रोज़ कुछ न कुछ खाने का बहुत तेज़ मन करता है. जैसे चिप्स. कुरकुरे. कुछ तला-भुना. इसी तरह कुछ लोगों को बर्फ चबाने की आदत होती है. कोई चाय पीने जाता है तो कुल्हड़ भी चट कर जाता है. क्रेविंग्स कभी-कभी हों तो कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन अगर ये रोज़-रोज़ होने लगें तो समझ जाइए, कुछ तो परेशानी है. इसलिए, आज डॉक्टर तुषार तायल से जानिए कि शरीर में किन चीज़ों की कमी से ये सब खाने का मन करता है. और, इन क्रेविंग्स को दूर करने का तरीका क्या है.
मीठा खाना
अगर बहुत ज़्यादा मीठा खाने की इच्छा हो रही है तो सबसे पहले देखना चाहिए कि कहीं डायबिटीज़ तो नहीं है. जिन्हें डायबिटीज़ होती है, वो लोग अपने शरीर में मौजूद ग्लूकोज़ का इस्तेमाल नहीं कर पाते. फिर शरीर को दिमाग मीठा खाने का सिग्नल देता है, ताकि उस शुगर का उपयोग कर सके. इसलिए सबसे पहले यही चेक करें कि कहीं शुगर की दिक्कत तो नहीं है. कई बार शरीर में क्रोमियम और कॉपर मिनरल की कमी होने पर भी बहुत मीठा खाने की इच्छा होती है. वहीं अगर कोई इमोशनल प्रॉब्लम है, डिप्रेशन या एंग्जायटी के लक्षण हैं तो भी ज़्यादा मीठा खाने की क्रेविंग हो सकती है.
नमक वाला खाना
अगर बहुत ज़्यादा नमक वाला खाना खाने की इच्छा हो रही है तो इसका मतलब कि हमारे शरीर में सोडियम की मात्रा कम है. सोडियम की कमी कई वजहों से हो सकती है. इसका पहला कारण डिहाइड्रेशन है. अगर आपने पानी कम पिया है, पसीना ज़्यादा आ रहा है तो शरीर से सोडियम कम हो सकता है. इस वजह से नमक वाली चीज़ें खाने की क्रेविंग हो सकती है.
वहीं अगर आपके शरीर में एड्रेनलिन ग्लैंड द्वारा रिलीज़ होने वाले एंटीडाययूरेटिक हॉर्मोन की मात्रा ऊपर-नीचे है तो भी शरीर में सोडियम की मात्रा कम हो सकती है. इस वजह से नमक वाली चीज़ें खाने का मन कर सकता है. इसके अलावा, अगर आपके शरीर में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम की मात्रा कुछ ऊपर-नीचे हो रही है तो भी आपको नमक वाला खाना खाने की इच्छा हो सकती है.
बर्फ़ और मिट्टी
अगर हमें बहुत ज़्यादा बर्फ़, मिट्टी या चॉक खाने की इच्छा होती है तो इसका मतलब है कि हमारे शरीर में आयरन की कमी है. अगर कोई मिट्टी खाता है तो इस कंडिशन को पाइका कहते हैं. ये दर्शाता है कि आपका हीमोग्लोबिन शायद कम है और आपके शरीर में आयरन की कमी है. आपके शरीर को आयरन की ज़रुरत है, इसलिए आप बर्फ या मिट्टी खा रहे हैं.
जंक फ़ूड
जब हमें जंक फ़ूड जिसमें खूब फैट होता है, उसे खाने की इच्छा होती है तो इसका मतलब है शरीर में ओमेगा-थ्री फैटी एसिड की कमी है. ओमेगा-थ्री फैटी एसिड चिकनाई/फैट वाले खाने में अच्छी मात्रा में होता है. ओमेगा-थ्री फैटी एसिड हमारे दिमाग के काम करने के लिए भी बहुत ज़रूरी है.
फ़ैटी फ़ूड ज़्यादा खाने के पीछे एक और वजह है, शरीर में विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन ई और विटामिन के की कमी. कभी-कभी शरीर में हॉर्मोन्स, खासकर कोर्टिसोल हॉर्मोन के असंतुलन की वजह से फैट वाला खाना खाने की इच्छा होती है. वहीं अगर शरीर में एनर्जी बहुत कम है, तब भी फ़ैटी फ़ूड खाने का मन कर सकता है. दरअसल जितने भी फ़ैटी फ़ूड होते हैं, उनसे हमें एनर्जी मिलती है.
चॉकलेट और नट्स
अगर हमें बहुत ज़्यादा चॉकलेट, ड्राई फ्रूट्स या सीड्स खाने की इच्छा हो रही है. जैसे फ्लैक्स सीड्स, पंपकिन सीड्स और चिया सीड्स. तो इसका मतलब कि हमारे शरीर में मैग्नीशियम की कमी है. मैग्नीशियम चॉकलेट्स, नट्स और सीड्स में अच्छी मात्रा में पाया जाता है. नट्स में भी काफी अच्छी मात्रा में ओमेगा-थ्री होता है. ओमेगा-थ्री की कमी से भी चॉकलेट और नट्स खाने की इच्छा हो सकती है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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