आपने उमराव जान फिल्म का वो गाना सुना है? ‘दिल चीज़ क्या है, आप मेरी जान लीजिए. बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए.’ वैसे इस गाने में दिल को जितना गैर-ज़रूरी बता दिया गया है, उतना वो है नहीं. अब अगर दिल ही ठीक न हो, तो जान हमेशा मुसीबत में रहेगी.
दिल खुद बताता है अपनी सेहत का हाल, बस इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज!
दिल से जुड़ी बीमारियां अचानक नहीं होतीं. धीरे-धीरे होती हैं. इस दौरान दिल कुछ वॉर्निंग साइन्स देता है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की एक रिपोर्ट है. Accidental Deaths And Suicides In India. इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में 32,457 लोगों की मौत हार्ट अटैक से हुई थी. इससे पहले साल 2021 में 28,413 लोग हार्ट अटैक से मारे गए थे.
जब हार्ट अटैक पड़ता है तो हमें हैरत होती है. हम सोचते हैं, 'अरे अचानक ऐसा कैसे हो गया?' अब यही तो बात है. अचानक कुछ नहीं होता. दिल एकदम से ख़राब नहीं होता. धीरे-धीरे बीमार पड़ता है. इस दौरान वो कुछ साइन भी देता है, कुछ लक्षण महसूस होते हैं जो आम इंसान इग्नोर कर देता है. उन पर ध्यान नहीं देता. समय रहते इन लक्षणों पर थोड़ा ध्यान दे दिया जाए तो कुछ बहुत ही आसान से टेस्ट किए जा सकते हैं. ये टेस्ट आपको बता देंगे आपका दिल सलामत है या नहीं. इसलिए, आज हम डॉक्टर साहब से जानेंगे कि कौन-से 5 लक्षण हैं, जो बताते हैं आपको हार्ट चेकअप करा लेना चाहिए. कौन-से टेस्ट करवाने से पता चल जाता है हार्ट हेल्दी है या नहीं. और, दिल की सेहत का ख़्याल रखने के लिए डॉक्टर साहब क्या सलाह देते हैं.
5 लक्षण जिन्हें देखकर हार्ट चेकअप करवाना चाहिए?
ये हमें बताया डॉक्टर तन्मई यरमल जैन ने.
पहला लक्षण, सीने में दर्द या भारीपन है. अगर हमें चलते वक्त सीने में भारीपन लगता है या दर्द होता है. जो बहुत से मरीज़ों में बढ़कर बाएं कंधे या पीठ की तरफ भी जा सकता है. तो ये हार्ट चेकअप की ज़रूरत का सबसे आम लक्षण है.
दूसरा लक्षण, चलते वक्त सांस फूलना या लेटने पर सांस लेने में दिक्कत होना है.
तीसरा लक्षण, दिल की धड़कन तेज़ होना. इसे पल्पिटेशन भी कहते हैं
चौथा लक्षण, चलते समय या बैठे-बैठे बहुत सारा पसीना आना है.
पांचवा लक्षण, चक्कर आना या फिर अचानक कुछ समय के लिए बेहोशी छाना है.
कौन से टेस्ट करवाने से पता चलता है कि हार्ट हेल्दी है?
अगर आपको इन 5 लक्षणों में से कोई लक्षण महसूस हो रहा है तो कुछ खास टेस्ट आपको करा लेने चाहिए. पहला टेस्ट ECG है यानी इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम. फिर 2D echo है जिसमें हार्ट की सोनोग्राफी होती है.
अगर इन दोनों जांचों से हार्ट में दिक्कत का पता नहीं चलता, तब ट्रेडमिल स्ट्रेस इकोकार्डियोग्राम टेस्ट कराया जाता है. इसमें मरीज़ को ट्रेडमिल पर चलाकर उसका ECG देखा जाता है. अगर हार्ट में ब्लॉकेज का चांस है तो इस टेस्ट से पता चल जाता है.
वहीं अगर हार्ट की कोई दिक्कत सामने आती है तो एडवांस टेस्ट किया जाता है. इसमें डॉक्टर सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी या सीटी कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट कर सकते हैं. इससे ये अंदाज़ा लग जाता है कि ब्लॉकेज का चांस क्या है और कितने ब्लॉकेज हैं. फिर अगर ज़रूरत पड़ती है तो एंजियोप्लास्टी से इसे ठीक भी किया जा सकता है.
दिल की सेहत का ख़्याल कैसे रखें?
दिल की सेहत का ख़्याल रखना बहुत ज़रूरी है. इसके लिए सबसे पहले हमें अपनी जीवनशैली को बदलना होगा. आजकल कई मरीज़ों को लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां हैं. इसलिए हमें अपनी जीवनशैली में ज़रूरी बदलाव करने चाहिए. जैसे अगर आप बैठकर काम करते हैं तो रोज़ एक्सरसाइज़ करें. फिज़िकल एक्टिविटी, वॉकिंग या योग करें. अपने खाने का भी ध्यान रखें. बाहर के खाने से परहेज़ करें. ऑयली और फ्राइड फ़ूड खाने से बचें. हमारे खाने में कार्बोहाइड्रेट्स और फैट्स कम मात्रा में होने चाहिए.
साथ ही, रेगुलर चेकअप कराएं. अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल और बाकी चीज़ें चेक करवाएं. वज़न घटाना भी बहुत ज़रूरी है. इसके अलावा शराब, सिगरेट पीना बंद कर दें. अपने स्ट्रेस को भी मैनेज करें क्योंकि कई मरीज़ों को स्ट्रेस की वजह से भी दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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