डायबिटीज़ के मामले बड़ों में ही नहीं, बच्चों में भी सामने आते हैं. इसे टाइप-1 डायबिटीज़ कहा जाता है. देखिए, डायबिटीज़ दो तरह की होती है. टाइप 1 डायबिटीज़ और टाइप 2 डायबिटीज़. टाइप 2 डायबिटीज़ खराब लाइफस्टाइल की वजह से होती है. लाइफस्टाइल सुधारकर इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. मगर टाइप 1 डायबिटीज़ जन्मजात होती है. इसे कंट्रोल में तो किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता.
अगर बच्चों में दिख रहे हैं ये लक्षण तो ध्यान दीजिए, टाइप-1 डायबिटीज हो सकता है
ICMR के मुताबिक, साल 2022 में 95,600 बच्चों को डायबिटीज़ थी. ये बच्चे 14 साल से कम उम्र के थे. यही नहीं, हर साल देश में टाइप 1 डायबिटीज़ के 16 हज़ार नए मामले सामने आते हैं.
Indian Council Of Medical Research यानी ICMR के मुताबिक, साल 2022 में 95 हज़ार 600 बच्चों को डायबिटीज़ थी. ये बच्चे 14 साल से कम उम्र के थे. यही नहीं, हर साल देश में टाइप 1 डायबिटीज़ के 16 हज़ार नए मामले सामने आते हैं. यानी समस्या बड़ी भी है और गंभीर भी.
हालांकि, बच्चों में डायबिटीज़ के कुछ वॉर्निंग साइन्स दिखाई पड़ते हैं. अगर इन पर ध्यान दे दिया जाए, तो उनकी डायबिटीज़ बहुत हद तक कंट्रोल की जा सकती है.
बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज़ होने के क्या लक्षण हैं? हमने पूछा डॉक्टर सौरभ खन्ना से.
बार-बार भूख लगना
डॉक्टर सौरभ बताते हैं कि अगर बच्चे को बार-बार भूख लग रही है, तो ये डायबिटीज़ का लक्षण हो सकता है. देखिए, हम जो भी खाते हैं. वो शरीर में जाकर ग्लूकोज़ में बदलता है. फिर हमारे सेल्स इस ग्लूकोज़ को एनर्जी में बदल देते हैं. मगर इसके लिए उन्हें इंसुलिन की ज़रूरत पड़ती है.
दरअसल, इंसुलिन, ग्लूकोज़ को खून से निकालकर सेल्स तक पहुंचाने में मदद करता है. लेकिन जब शरीर सही से इंसुलिन नहीं बनाता. या कम बनाता है. तो ग्लूकोज़ सेल्स तक नहीं पहुंच पाता. इससे शरीर को एनर्जी नहीं मिलती. और, बच्चे को बार-बार भूख लगती है.
हर वक्त थकान रहना
एनर्जी न मिलने पर बच्चा हर समय थका-थका रहता है. उसे कमज़ोरी भी महसूस होती है.
वज़न तेज़ी से घटना
जब इंसुलिन की कमी होने पर शरीर ग्लूकोज़ को एनर्जी में नहीं बदल पाता. तब शरीर मसल्स और फैट को तोड़कर एनर्जी लेने लगता है. इससे बच्चे का वज़न भी तेज़ी से घटता है.
यानी बच्चे को बार-बार भूख लगना, हर वक्त थकान, वज़न तेज़ी से घटना, ये तीनों ही टाइप-1 डायबिटीज़ के लक्षण हैं.
बार-बार यूरिन पास करने जाना
डॉक्टर सौरभ आगे बताते हैं कि अगर बच्चा बार-बार यूरिन पास करने जा रहा है. जो बच्चे पहले बिस्तर गीला नहीं करते थे. मगर अब करने लगे हैं. तो ये भी डायबिटीज़ का लक्षण है. दरअसल, जब खून में शुगर का लेवल बहुत बढ़ जाता है. तब किडनी इसे बैलेंस करने के लिए एक्स्ट्रा शुगर बाहर निकालने की कोशिश करती है. कैसे? यूरिन के ज़रिए. इसीलिए बच्चा बार-बार यूरिन पास करने जाता है.
बहुत प्यास लगना
अब जब बार-बार वो यूरिन पास करने जा रहा है. तो ज़ाहिर है, शरीर में पानी की कमी भी होने लगती है. ऐसे में बच्चे को प्यास भी ज़्यादा लगती है. वो नॉर्मल से ज़्यादा पानी पीता है.
अन्य लक्षण
वहीं अगर बच्चे की स्किन ड्राई है. उसका मुंह बहुत सूखता है. अक्सर पेट में दर्द और उल्टी होती है. छोटे-मोटे घाव भरने में ज़्यादा टाइम लगता है. तो ये भी बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज़ के लक्षण हैं. इन्हें बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ न करें और तुरंत डॉक्टर से मिलें. आगे का इलाज बताने में वो आपकी मदद करेंगे.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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