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ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया: वो बीमारी जिसमें चेहरा तेज़ दर्द से झन्ना जाता है, सलमान ने भी कराई थी सर्जरी

Trigeminal Neuralgia एक बहुत ही दर्दनाक बीमारी है. इसमें चेहरे में बर्दाश्त के बाहर दर्द होता है. डॉक्टर से जानिए इस बीमारी की वजह और इसके इलाज के तरीके.

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ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया में दर्द जबड़े के निचले हिस्से, चेहरे के बीच, चेहरे के ऊपरी हिस्से या पूरे चेहरे में हो सकता है.

बॉलीवुड एक्टर सलमान खान. साल 2011 में उनकी एक फिल्म आई थी. नाम था Bodyguard. फिल्म हिट रही. मगर इस फिल्म की रिलीज़ के कुछ दिनों पहले सलमान को एक सर्जरी करानी पड़ी थी. सर्जरी एक बीमारी की, जिसमें करेंट लगने जैसा दर्द होता है. चेहरा झन्ना जाता है. इस बीमारी का नाम है, ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया (Trigeminal Neuralgia). ये एक बहुत ही दर्दनाक बीमारी है. इसमें चेहरे में बर्दाश्त के बाहर दर्द होता है.

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बॉलीवुड एक्टर सलमान खान  (फोटो : @beingsalmankhan इंस्टाग्राम)

पहले के टाइम में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था. तब लोगों को इतना दर्द होता था कि वो बीमारी से जूझने की बजाए मरना बेहतर समझते थे. इसी वजह से इसका नाम ‘सुसाइड डिज़ीज़’ पड़ गया. मगर अब इस ‘सुसाइड डिज़ीज़’ का इलाज मौजूद है. 

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ट्राइजेमिनल नर्व दिमाग से चेहरे तक आती है और किसी भी सेंसेशन को दिमाग तक पहुंचाती है

इसके मामले अभी भी आते हैं. लेकिन, समय पर इलाज हो तो दर्द से जल्दी राहत पाई जा सकती है. लिहाज़ा डॉक्टर से समझिए कि ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया क्या है. ये बीमारी क्यों होती है? किन लोगों को ये बीमारी होने का रिस्क होता है? इससे बचाव और इसका इलाज क्या है? 

क्या है ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया?

ये हमें बताया डॉक्टर अनुराग सक्सेना ने. 

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डॉ. अनुराग सक्सेना, क्लस्टर हेड, न्यूरोसर्जरी, मणिपाल हॉस्पिटल, नई दिल्ली

ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया एक तरह का दर्द है. ये आमतौर पर चेहरे के एक तरफ महसूस होता है. ये दर्द बहुत ही तेज़ और करेंट के झटके जैसा महसूस होता है. दर्द जबड़े के निचले हिस्से, चेहरे के बीच, चेहरे के ऊपरी हिस्से या पूरे चेहरे में हो सकता है.

ज़्यादातर ये कुछ सेकंड तक ही होता है, मगर इसकी तीव्रता बहुत ज़्यादा होती है. दर्द इतना तेज़ होता है कि मरीज़ अपना काम छोड़ने पर मजबूर हो जाता है. जैसे अगर वो गाड़ी चला रहा है, तो गाड़ी साइड में लगा देता है. दर्द की वजह से कई बार चीज़ें हाथ से गिर जाती हैं.

ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया का कारण

हमारे चेहरे की एक नस है. ट्राइजेमिनल नर्व नाम की. ये दिमाग से चेहरे तक आती है और किसी भी सेंसेशन को दिमाग तक पहुंचाती है. वहीं न्यूरालजिया यानी नर्व में दर्द या नर्व के डिस्ट्रीब्यूशन में दर्द. डिस्ट्रीब्यूशन यानी जहां-जहां नस फैलती है. 

जब ट्राइजेमिनल नर्व के डिस्ट्रीब्यूशन में दर्द होता है, तो इसे ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया कहा जाता है. इस दर्द का मुख्य कारण ट्राइजेमिनल नर्व का एक खास जगह पर खून की नस में फंस जाना है. इसे वैस्कुलर लूप कहते हैं. 

इस लूप में फंसी नस पर दिल की धड़कन के झटकों का असर पड़ता है, जिससे ये नस धीरे-धीरे खराब होने लगती है. नस को नुकसान होने पर दर्द शुरू होता है, जिसे शॉर्ट सर्किटिंग पेन कहते हैं. ये दर्द ठंडी चीज़ें खाने, ठंडे पानी से मुंह धोने, आइसक्रीम या बर्फीली चीजें खाने, और कई बार ब्रश करने की वजह से भी शुरू हो सकता है. 

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कुछ बीमारियां या स्थितियां ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया की वजह बन सकती हैं

ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया किसे हो सकता है?

ज़्यादातर मामलों में ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया का कारण पता नहीं होता. हां, मगर कुछ बीमारियां या स्थितियां इस दर्द की वजह बन सकती हैं. इसमें एक है वैस्कुलर लूप (vascular loop) है. जहां खून की नस ट्राइजेमिनल नर्व पर दबाव डालती है. दूसरा कारण दिमाग में ट्यूमर हो सकता है, जो इस नस पर असर डालता है. मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple sclerosis) जैसी बीमारी भी इस दर्द की वजह बन सकती है. इसमें चेहरे के दोनों तरफ दर्द हो सकता है. इन बीमारियों का पता लगाकर और सही इलाज लेने से, इस दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है. 

ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया से बचाव और इलाज

अगर व्यक्ति को ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया है, तो सबसे पहले उसका MRI किया जाता है. इसमें नर्व के रास्ते को देखा जाता है कि नस कहां से निकल रही है, वो फ्री है या नहीं, और कहीं उस पर कोई दबाव तो नहीं है. इसके आधार पर व्यक्ति का इलाज शुरू किया जाता है.

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 ज़्यादातर मरीज़ दवाई खाने से इस बीमारी के दर्द को दबा सकते हैं.

ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया का इलाज तीन भागों में बांटा जाता है. पहला भाग दवाइयां हैं. ये नसों को शांत करती हैं और दर्द कंट्रोल करने में मदद करती हैं. ज़्यादातर मरीज़ दवाई खाने से इस दर्द को दबा सकते हैं. दूसरा भाग ऑपरेशन है. अगर दर्द नर्व के फंसे होने या ट्यूमर के कारण हैं तो ऑपरेशन किया जाता है.

एक तरीका रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (Radiofrequency ablation) है. इसमें एक सुई डालकर नर्व को जला दिया जाता है. या नर्व को हल्का दबाव देकर आराम दिया जाता है. ये पर्क्यूटेनियस तकनीक है (स्किन के ज़रिए किसी अंग तक पहुंचना) जिसमें मरीज़ जगा रहता है. ये उनके लिए ज़्यादा बेहतर है, जो उम्रदराज़ हैं या सर्जरी नहीं झेल सकते. या जिन लोगों में किसी कारण से सर्जरी नहीं की जा सकती. अगर MRI में कुछ नहीं आया, कोई दबाव नहीं दिख रहा. लेकिन फिर भी ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया है, तब इसे कर सकते हैं. ये एक टेम्पररी उपाय है और दर्द कुछ समय बाद वापस आ सकता है. यानी ये इलाज नहीं है, बस दर्द को कुछ समय के लिए दूर करने का एक तरीका है. 

सबसे बेहतर इलाज सर्जरी के ज़रिए ही होता है. सर्जरी करना सुरक्षित भी है, इसे माइक्रोवैस्कुलर डिकंप्रेशन (Microvascular decompression) कहा जाता है. इस प्रक्रिया में चेहरे के पीछे, कान के पास एक छोटा-सा कट लगाया जाता है. ये सर्जरी माइक्रोस्कोप या एंडोस्कोप के द्वारा की जाती है. इसमें नर्व और खून की नस के बीच में टेफ्लॉन मटेरियल रखा जाता है. ये मटेरियल वाइब्रेशन को नर्व से दूर कर देता है, जिससे नस को ठीक होने का समय मिलता है. इसमें 90% से ज़्यादा सफलता का चांस होता है. ये हमेशा के लिए दर्द दूर करने का एक बहुत अच्छा तरीका है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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