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गले में दर्द है, कुछ अटका हुआ लग रहा है? हल्के में न लें, टॉन्सिल स्टोन भी हो सकता है

टॉन्सिल्स हमारे गले के पिछले हिस्से में मौजूद होते हैं. गले के दोनों तरफ. अब वैसे तो इनका काम इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाना, वायरस-बैक्टीरिया को शरीर में फैलने से रोकना है. लेकिन, कई बार इनमें पथरी होने लगती है, जिसे टॉन्सिल स्टोन कहा जाता है.

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टॉन्सिल बड़े और फूले हुए दिखें, तो एक बार डॉक्टर से जांच करा लें (फोटो: Getty Images)

किडनी में स्टोन. पित्त की थैली में स्टोन. इनके बारे में आपने कभी न कभी ज़रूर सुना होगा. लेकिन, क्या आप टॉन्सिल स्टोन के बारे में जानते हैं?

टॉन्सिल्स हमारे गले के पिछले हिस्से में मौजूद होते हैं. गले के दोनों तरफ. अब वैसे तो इनका काम इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाना, वायरस-बैक्टीरिया को शरीर में फैलने से रोकना है. लेकिन, कई बार इनमें पथरी होने लगती है, जिसे टॉन्सिल स्टोन (Tonsil Stone) कहा जाता है.

आज की स्टोरी में हम इसी टॉन्सिल स्टोन के बारे में बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि टॉन्सिल स्टोन क्या हैं. ये क्यों होते हैं. टॉन्सिल स्टोन होने के लक्षण क्या हैं. और, इनसे बचाव व इलाज कैसे किया जाए. 

टॉन्सिल स्टोन क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर शीतल राडिया ने. 

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डॉ. शीतल राडिया, ईएनटी एंड हेड नेक सर्जन, वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स, मुंबई

हमारे टॉन्सिल के अंदर छोटी-छोटी दरारें होती हैं, जिन्हें क्रिप्टा मैग्ना कहते हैं. जब खाने के छोटे-छोटे टुकड़े, बैक्टीरिया, बलगम और अन्य गंदगी इन दरारों में फंस जाती है, तो ये धीरे-धीरे जमा होने लगती है. लंबे समय तक फंसे रहने पर इसमें कैल्सिफिकेशन (कैल्शियम जमना) होने लगता है. इसके बाद ये कठोर होकर टॉन्सिल स्टोन बन जाता है. इसे टॉन्सिलोलीथ भी कहते हैं.

टॉन्सिल स्टोन के कारण

- बार-बार टॉन्सिल में इंफेक्शन होना

- बार-बार गले में इंफेक्शन होना

- मुंह की सफाई न रखना

- खाने के बाद गरारे न करना

- बार-बार साइनस इंफेक्शन होना. साइनस हमारी नाक के दोनों तरफ हड्डी के अंदर खाली जगह होती है

- गले या टॉन्सिल में बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन होना

- जिन लोगों को ये समस्याएं होती हैं, उनमें टॉन्सिल स्टोन बनने की संभावना ज़्यादा होती है

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गले में कुछ अटका महसूस होता है, तो टॉन्सिल स्टोन हो सकता है (फोटो: Getty Images)

टॉन्सिल स्टोन के लक्षण

- गले में दर्द रहना

- गले में जलन महसूस होना

- गले में कुछ अटका हुआ लगना या खराश रहना

- टॉन्सिल का बड़ा और फूला हुआ दिखना

- टॉन्सिल में गहरी और चौड़ी दरारें (क्रिप्टा) होना

- कभी-कभी कान में दर्द रहना

- बार-बार बीमार पड़ना और इंफेक्शन होना

- सांस से बदबू आना

- मुंह खोलने पर टॉन्सिल से सफेद या पीले रंग का मवाद निकलना

- ये सभी लक्षण टॉन्सिल स्टोन (टॉन्सिलोलीथ) के मरीज़ों में आमतौर पर पाए जाते हैं

टॉन्सिल स्टोन से बचाव और इलाज

- बार-बार गरारे करें

- मुंह साफ रखें

- ढेर सारा पानी पिएं

- पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत ज़रूरी है

- गरारे करने और पर्याप्त पानी पीने से टॉन्सिल में फंसी गंदगी साफ होती रहती है

- इसलिए, गरारे करना और खूब पानी पीना बहुत ज़रूरी है

- अगर मरीज़ को दर्द हो रहा है, तो उसे पेनकिलर्स दिए जाते हैं

- अगर इंफेक्शन बढ़ जाए, तो एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं

- कभी-कभी सर्जरी की ज़रूरत भी पड़ती है

- तब लेज़र क्रिप्टोलिसिस या कोब्लेशन क्रिप्टोलिसिस से स्टोन को निकाला जाता है

- इसमें टॉन्सिस की दरारों को कम करके स्टोन हटा दिया जाता है

- अगर समस्या ज़्यादा बढ़ जाए, तो टॉन्सिलेक्टॉमी (टॉन्सिल हटाने की सर्जरी) करनी पड़ सकती है

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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