Bollywood Actress Rakul Preet Singh 5 अक्टूबर को जिम में एक्सरसाइज कर रही थीं. वहां उन्होंने 80 किलो वज़न उठाने की कोशिश की. ऐसा करते हुए उन्होंने बेल्ट नहीं पहनी थी. कुछ ही देर में उनकी पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव आ गया. उन्हें दर्द और ऐंठन महसूस होने लगी. इसके बावजूद रकुल रुकी नहीं. वो काम करती रहीं. एक्सरसाइज करती रहीं. दर्द से निपटने के लिए रकुल ने दवाई खाई. जिससे थोड़ी देर के लिए राहत ज़रूर मिली. लेकिन, दर्द पूरी तरह गया नहीं. वो बार-बार वापस आता रहा. अब हालत ये है कि पिछले कई दिनों से रकुल अस्पताल में हैं. उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर अपलोड एक स्टोरी में बताया कि अभी कई और दिन भी उन्हें अस्पताल में गुज़ारने पड़ सकते हैं.
एक्ट्रेस रकुल प्रीत बैक स्पाज़्म से जूझ रही हैं, जानिए क्या है ये बला?
रकुल अपने जिम में 80 किलो का वज़न उठाने की कोशिश कर रही थीं, नुकसान उठाना पड़ गया.
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रकुल को बैक स्पाज़्म (Back Spasm) हुआ है. स्पाज़्म यानी मांसपेशियों का झटके से सिकुड़ जाना. नतीजा, ऐंठन और दर्द. ऐसा अक्सर जिम में एक्सरसाइज करने वालों के साथ होता है. ख़ासतौर पर उनके साथ जो इंटेंस एक्सरसाइज करते हैं या ज़्यादा वज़न उठाते हैं. आपके साथ ऐसा न हो, उसके लिए क्या करना चाहिए, ये हमने पूछा डॉक्टर गौरव से.

डॉक्टर गौरव ने बताया कि स्पाज़्म (Spasm) का मतलब होता है ऐंठन. ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है. अगर ये पीठ में होगी तो इसे बैक स्पाज़्म कहा जाएगा. स्पाज़्म में दर्द तेज़ी से उठता है. कई बार पहले हल्की मरोड़ महसूस होती है. फिर धीरे-धीरे भयानक दर्द होने लगता है.
ये दिक्कत एथलीट्स को ज़्यादा होती है. खासकर फुटबॉल जैसे खेल खेलने वालों को. दरअसल ऐसे खेलों में पीठ को बार-बार या अचानक मोड़ना पड़ता है. जिससे मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है. इसके अलावा, जो लोग जिम में हेवी वेट उठाते हैं. जिनकी मांसपेशियां कमज़ोर हैं. जिन्हें गठिया है. या रीढ़ की हड्डी में स्लिप डिस्क की समस्या है. उन्हें भी बैक स्पाज़्म होने का ख़तरा रहता है.

बैक स्पाज़्म होने पर आपको पीठ के निचले हिस्से में दबाव महसूस होगा. लगेगा, जैसे कोई मांसपेशियां मरोड़ रहा है या कोई गांठ पड़ गई है. झुकने या हिलने-डुलने में परेशानी होगी. कमज़ोरी लगेगी. ये भी हो सकता है कि दर्द थोड़ी-थोड़ी देर में आता-जाता रहे.
कई बार बैक स्पाज़्म में दर्द कमर से आगे बढ़ जाता है. वो पैरों और कूल्हों तक पहुंच जाता है. इसे रेडिएटिंग पेन कहते हैं. हालांकि दर्द कितना ज़्यादा होगा, ये कई चीज़ों पर डिपेंड करता है. जैसे दर्द कब से हो रहा है. आपकी ओवरऑल हेल्थ कैसी है.

जैसे ही बैक स्पाज़्म महसूस हो. तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. वो कुछ दवाइयां और फिज़िकल थेरेपीज़ देंगे. आपका X-Ray, CT Scan या MRI भी किया जा सकता है. ये देखने के लिए, कि दिक्कत बहुत ज़्यादा गंभीर तो नहीं है.
हालांकि कुछ चीज़ें आप फौरी तौर पर भी कर सकते हैं. जैसे जहां दर्द हो रहा है, वहां पहले बर्फ , फिर हॉट वॉटर बैग रखें. ये प्रोसेस बार-बार दोहराएं. बर्फ आपकी सूजन कम करेगी. वहीं हीट खून का बहाव सुधारेगी. फिर जैसे ही आपको थोड़ा आराम मिले, तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
एक बात और, अपनी मांसपेशियों पर अचानक से बहुत प्रेशर न डालें.
बचावबैक स्पाज़्म से बचना है तो जिम या घर पर एक्सरसाइज करते हुए कुछ बातों का ध्यान ज़रूर रखें.
-भारी वज़न उठाने से पहले कोच या ट्रेनर की सलाह ज़रूर लें. वो आपको सही पोस्चर सिखाएंगे. डेडलिफ्ट करते हुए पीठ पर एक आर्च बनना ज़रूरी है. यानी कंधों और कूल्हों को उठाना है और कमर को नीचे रखना है.
-भारी वज़न उठाते समय आपके लोअर बैक यानी कमर पर ज़ोर नहीं पड़ना चाहिए
-वेट उठाते वक़्त अच्छे जूते पहनें
-डेडलिफ्ट करते हुए बेल्ट ज़रूर पहनें
-वज़न उठाते हुए अपने हाथों को एक दूसरे से बहुत दूर न रखें
-उतना ही वज़न उठाएं, जितना शरीर झेल पाए
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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