आप मैदान में हैं. आप के 3-4 दोस्त भी साथ हैं. सबमें रेस लगी है. जो हारेगा, वो पार्टी देगा. आप दौड़ना शुरू करते हैं. एकदम फुल स्पीड में. हवा की गति से भी तेज़. आप जीतने ही वाले थे कि तभी पैर मुड़ता है और आप धड़ाम से ज़मीन पर गिर पड़ते हैं.
मोच आने पर सबसे पहले क्या करें? डॉक्टर ने समझा दिया
मोच आने पर टखने और पैर में दर्द महसूस होता है. पैर में सूजन आ सकती है, जो एक या दोनों तरफ हो सकती है.

आप देखते हैं कि आपका टखना, यानी एंकल सूज गया है. उसमें बहुत तेज़ दर्द हो रहा है. आपके दोस्त भी आपके पैर का मुआयना करते हैं. फिर बताते हैं कि भई, तुम्हें तो मोच आ गई है.
मगर मोच होती क्या है, और कैसे आती है ये? यही जानेंगे आज की स्टोरी में. डॉक्टर से समझेंगे कि मोच आने पर पैर में क्या होता है. मोच क्यों आती है. अगर मोच आ जाए तो तुरंत क्या करना चाहिए. और, मोच से बचने व इलाज का तरीका क्या है.
ये हमें बताया डॉक्टर विनय कुमार गौतम ने.
मोच आने पर टखने और पैर में दर्द महसूस होता है. दर्द टखने या पैर के आसपास हो सकता है. पैर में सूजन आ सकती है, जो एक या दोनों तरफ हो सकती है. सूजन और दर्द के कारण चलने में तकलीफ होती है. मोच के कारण लंगड़ाकर चलना पड़ सकता है. ये लक्षण एंकल और फुट इंजरी में आम होते हैं.
मोच आने के क्या कारण हैं?- मोच आमतौर पर असमतल सतह पर चलने, दौड़ने या खेलने से आती है
- एक तरफ से घिसे फुटवियर पहनने से मोच का ख़तरा बढ़ सकता है
- बरसात में फिसलन वाली जगह पर चलने से भी मोच आ सकती है
- खेल-कूद के दौरान गलत तरीके से पैर टिकाने के कारण मोच आ सकती है
- अगर ट्रेनिंग सही से न हुई हो, तो मोच आ सकती है
- वॉर्मअप और स्ट्रेचिंग न करने से भी मोच आने के चांस बढ़ जाते हैं

- मोच आने के बाद सबसे ज़रूरी है RICE टेक्नीक
- R (रेस्ट): पैर को आराम दें, तुरंत खेलना-कूदना शुरू न करें
- I (आइस): सूजन कम करने के लिए प्रभावित हिस्से पर बर्फ लगाएं
- C (कंप्रेशन): चोट वाले हिस्से पर हल्का दबाव डालने के लिए बैंडेज या गर्म पट्टी का इस्तेमाल करें
- E (एलिवेशन): सूजन कम करने के लिए पैर को थोड़ा ऊंचा रखें
- इससे सूजन कम होगी और आपको जल्दी आराम मिलेगा
मोच से बचाव और इलाजमोच से बचने के लिए सतह का ध्यान रखें. हर कुछ समय में अपना फुटवियर बदलें. खेलने से पहले अच्छी तरह वॉर्मअप और स्ट्रेचिंग करें. कम वॉर्मअप करने से चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है. खासकर कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स में, वॉर्मअप के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए.
इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह लें. ज़रूरत पड़ने पर एक्स-रे या MRI कराएं. एक्स-रे से लिगामेंट (हड्डियों को जोड़ने वाला मजबूत ऊतक) की चोट का पता लगाया जाता है. सबसे आम लिगामेंट जो जल्दी चोटिल होता है, वो एंटीरियर टैलो-फाइबुलर लिगामेंट है. लिगामेंट की चोट को उसकी गंभीरता के आधार पर तीन ग्रेड में बांटा जाता है.
अगर लिगामेंट में हल्की चोट है तो ग्रेड 1 होगा. अगर लिगामेंट थोड़ा-सा टूटा है तो ग्रेड 2 होगा. अगर लिगामेंट पूरी तरह टूट गया है तो ग्रेड 3 होगा. आमतौर पर, ग्रेड 1 और 2 में आराम करना होता है. कभी-कभी प्लास्टर की ज़रूरत भी पड़ सकती है. ग्रेड 3 में गंभीर स्थिति में सर्जरी करनी पड़ती है. सर्जरी या प्लास्टर के बाद थोड़े समय के लिए एक्सरसाइज़ और फिज़ियोथेरेपी ज़रूरी है. सही इलाज के बाद आप सामान्य दिनचर्या और खेल-कूद में वापस आ सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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