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क्या है पल्मोनरी हाइपरटेंशन, जिसमें बढ़ जाता है फेफड़ों का ब्लड प्रेशर?

पल्मोनरी हाइपरटेंशन में फेफड़ों का ब्लड प्रेशर बहुत ज़्यादा हाई हो जाता है. इससे दिल को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है ताकि वो फेफड़ों तक सही से खून पहुंचा सके. जिससे दिल पर प्रेशर बढ़ जाता है और उसे नुकसान पहुंचने लगता है.

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छाती में दर्द हो, काम करने की क्षमता घट जाए तो पल्मोनरी हाइपरटेंशन हो सकता है

चार कदम चले और थक गए. दो-चार सीढ़ियां चढ़ीं और हांफने लगे. सांस फूलने लगी. खांसी आने लगी.

अगर इन दिनों आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो ये एक इशारा है. इशारा इस ओर, कि आपको पल्मोनरी हाइपरटेंशन हो सकता है. इस बीमारी में फेफड़ों का ब्लड प्रेशर बहुत ज़्यादा हाई हो जाता है.

इससे दिल को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है ताकि वो फेफड़ों तक सही से खून पहुंचा सके. इससे दिल पर प्रेशर बढ़ जाता है. और, उसे नुकसान पहुंचने लगता है. वक्त पर इलाज न हो, तो हार्ट फेल भी हो सकता है.

देखिए, पल्मोनरी हाइपरटेंशन रेयर, लेकिन बहुत गंभीर बीमारी है. इसलिए आज हम पल्मोनरी हाइपरटेंशन पर ही बात करेंगे.

पल्मोनरी हाइपरटेंशन क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर नीतू जैन ने. 

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डॉ. नीतू जैन, सीनियर कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी, पीएसआरआई हॉस्पिटल, नई दिल्ली

पल्मोनरी हाइपरटेंशन बहुत आम बीमारी नहीं है, लेकिन ये काफी गंभीर है. इसमें फेफड़ों की खून की नलियों (ब्लड वेसल्स) और दिल पर असर पड़ता है. कई बीमारियों के कारण फेफड़ों का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है.

पल्मोनरी हाइपरटेंशन के कारण

फेफड़ों में हाई ब्लड प्रेशर (पल्मोनरी हाइपरटेंशन) होने के कई कारण होते हैं. इन कारणों के आधार पर इस बीमारी को 5 ग्रुप्स में बांटा गया है. इसमें सबसे ज़रूरी इडियोपैथिक पल्मोनरी हाइपरटेंशन है, जिसमें असली कारण मालूम नहीं होता. ये सबसे आम तरह का पल्मोनरी हाइपरटेंशन है. ये महिलाओं को ज़्यादा होता है. कई बार नवजात बच्चों को भी हो सकता है. 

पल्मोनरी हाइपरटेंशन के कुछ कारणों का इलाज किया जा सकता है. जैसे फेफड़ों की कोई बीमारी होना. मसलन COPD यानी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ और ILD यानी इंटरस्टिशियल लंग डिज़ीज़. इनकी वजह से फेफड़ों में ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. फेफड़ों में खून के थक्के जमने यानी पल्मोनरी एम्बॉलिज़्म से भी ये समस्या हो सकती है. दिल की बीमारियों, जैसे वॉल्वुलर हार्ट डिज़ीज़ या दिल के बायीं तरफ होने वाली बीमारियों से भी ये दिक्कत हो सकती है. सिस्टेमिक स्क्लेरोसिस जैसे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स से भी फेफड़ों में हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है. इनमें से कुछ कारणों का इलाज किया जा सकता है तो कुछ का नहीं.

पल्मोनरी हाइपरटेंशन के लक्षण

- सांस लेने में तकलीफ़ होना

- काम करने की क्षमता घटना

- चलने-फिरने पर सांस फूलना

- छाती में दर्द होना

- होंठ नीले पड़ना

- पैरों में सूजन आना

- खांसी होना

- इन लक्षणों की जांच करने पर ही पता चलता है कि फेफड़ों में ब्लड प्रेशर ज़्यादा है

pulmonary hypertension
पल्मोनरी हाइपरटेंशन एक रेयर लेकिन गंभीर बीमारी है

पल्मोनरी हाइपरटेंशन से बचाव और इलाज

- पल्मोनरी हाइपरटेंशन का पता लगाने के लिए सबसे पहले ईकोकार्डियोग्राफी (ECHO) की जाती है

- अगर ECHO से पल्मोनरी हाइपरटेंशन होने का इशारा मिलता है, तो कारण पता करने के लिए आगे जांच की जाती है

- जब बीमारी का कोई कारण पता नहीं चलता, तो इसे इडियोपैथिक पल्मोनरी हाइपरटेंशन कहा जाता है

- पल्मोनरी हाइपरटेंशन की जांचों में खून की कुछ जांचें होती हैं

- पल्मोनरी एंजियोग्राफी भी की जाती है

- इससे खून की नलियों का साइज और उसमें कोई खून का थक्का है या नहीं, ये पता चलता है

- कभी-कभी MRI कराने की ज़रूरत भी पड़ती है

- इसमें देखा जाता है कि दिल की कोई बीमारी तो नहीं है

- राइट हार्ट कैथीटेराइजेशन जांच से पक्का हो जाता है कि पल्मोनरी हाइपरटेंशन है या नहीं

- इस बीमारी के इलाज के लिए ऑक्सीज़न थेरेपी दी जाती है

- खून पतला करने वाली दवाएं दी जाती हैं, खासकर उन मरीज़ों के लिए जिनके फेफड़ों में खून के थक्के जम जाते हैं

- अगर पैरों में सूजन है तो शरीर का पानी निकालने के लिए डाययूरेटिक्स दवाएं दी जाती हैं

- कुछ मामलों में वेसोडायलेटर्स भी दिए जाते हैं (ये दवाएं खून की नलियों को चौड़ा करती हैं)

- इसमें कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स नाम की दवाएं शामिल हैं

- कुछ और वेसोडायलेटर्स भी होते हैं, जैसे सिल्डेनाफिल, टाडालाफिल, बोसेंटन

- ये खासतौर पर पल्मोनरी आर्टियल हाइपरटेंशन में दी जाती हैं

- इसके अलावा, अपने फेफड़ों को हेल्दी रखने की कोशिश करें

- स्मोकिंग न करें

- धूल-धुएं से बचकर रहें

- हर साल फ्लू की वैक्सीन लगवाएं

- निमोनिया से बचने के लिए भी वैक्सीन लगवाएं

- अगर पल्मोनरी हाइपरटेंशन होने के साथ अपने फेफड़ों का ख्याल रखें, तो बहुत समय तक एक आम ज़िंदगी गुजार सकते हैं

पल्मोनरी हाइपरटेंशन को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता. लेकिन, अगर समय पर बीमारी का पता चल जाए. तो इलाज के ज़रिए इसके लक्षणों को कंट्रोल किया सकता है. आपका जीवन बेहतर किया जा सकता है. अगर आपको पल्मोनरी हाइपरटेंशन से जुड़े लक्षण दिखें, तो डॉक्टर के पास ज़रूर जाएं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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