आपने COPD का नाम सुना है? COPD यानी Chronic Obstructive Pulmonary Disease. ये फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है, जो सांस लेने में परेशानी पैदा करती है. हमारे देश में बहुत सारे लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. The Lancet Global Health जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक, 2016 में साढ़े 5 करोड़ से ज़्यादा भारतीयों को COPD था. अनुमान है कि ये आंकड़ा 2024 आते-आते और बढ़ गया होगा.
पुरुष हैं, जवान हैं, सिगरेट नहीं पीते तो COPD नहीं होगा? आज सारे भ्रम टूटेंगे
COPD फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है, जो सांस लेने में परेशानी पैदा करती है.
अब जितनी बड़ी ये बीमारी है, उतने ही इससे मिथ जुड़े हैं. COPD से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथकों के बारे में हमें बताया डॉक्टर विकास मित्तल ने.
पहला मिथ: COPD सिर्फ सिगरेट पीने वालों को होता है.
सच्चाईः COPD होने की एक वजह स्मोकिंग है. लेकिन, ये इकलौती वजह नहीं है. जो सिगरेट नहीं पीते, उन्हें भी COPD हो सकता है. जैसे अगर आप पहले स्मोक करते थे, अब नहीं करते. या अगर आप सेकंड हैंड स्मोकिंग कर रहे हैं, तो भी आपको COPD हो सकता है. सेकंड हैंड स्मोकिंग में आप खुद सिगरेट, बीड़ी नहीं पीते, लेकिन आपके आसपास वाले पीते हैं. फिर उसका धुआं सांस के ज़रिए आपके अंदर जाता है. ये स्मोकिंग जितना ही खतरनाक है. वायु प्रदूषण, सांस के रास्ते में किसी इंफेक्शन और जीन्स में म्यूटेशन की वजह से भी COPD हो सकता है.
दूसरा मिथ: COPD सिर्फ बुज़ुर्गों को होता है.
सच्चाईः ये केवल बुज़ुर्गों को नहीं होता. हालांकि, ये 60-65 साल से ज़्यादा के लोगों में ज़्यादा आम ज़रूर है. मगर ये युवाओं को भी हो सकता है. जैसे अगर किसी युवा को अस्थमा है, कोई खास जेनेटिक कंडिशन है. या फिर COPD की फैमिली हिस्ट्री है. तो, उस युवा को भी ये बीमारी हो सकती है.
तीसरा मिथ: COPD महिलाओं को नहीं होता, सिर्फ पुरुषों को होता है.
सच्चाईः COPD महिलाओं और पुरुषों, दोनों को ही हो सकता है. जिस भी व्यक्ति में COPD के रिस्क फैक्टर्स होंगे, ये उसे हो जाएगा. व्यक्ति का जेंडर मायने नहीं रखता.
चौथा मिथ: अगर COPD हो जाए तो इससे बचने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता.
सच्चाईः COPD के लक्षणों को ठीक करके इसे बढ़ने से रोका जा सकता है. इसके लिए मरीज़ को कुछ दवाएं दी जाती हैं. इन्हेलर दिया जाता है. लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने को कहा जाता है. अगर ज़रूरत पड़ी तो लंग ट्रांसप्लांट भी किया जा सकता है.
COPD एक इर्रिवर्सिबल बीमारी है. यानी ये समय के साथ बढ़ती है और पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती. इसका मतलब है कि एक बार हो जाने के बाद, ये जीवनभर चलती रहती है. इसलिए, ज़रूरी है कि इसे होने ही न दिया जाए. तो, अगर आपको सांस लेने में तकलीफ होती है. सीने में जकड़न लगती है. घरघराहट होती है. खांसी के साथ कफ आता है. बहुत थकान लगती है. तो, एक बार डॉक्टर से ज़रूर मिलें. ताकि COPD का समय पर इलाज हो. और, इसे बढ़ने से रोका जा सके.
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