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लिवर में क्यों हो जाता है कैंसर? डॉक्टर से जानिए लक्षण और बचाव के तरीके

देश में हर साल लिवर कैंसर के करीब 35 हज़ार मामले सामने आते हैं.

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लिवर कैंसर

हमारा जिगर यानी लिवर शरीर का बहुत ही मेहनती अंग है. किसी कॉरपोरेट मजदूर की तरह ये गज़ब का मल्टीटास्क करता है. यानी एक साथ कई काम. ये खाना पचाने में मदद करता है. शरीर की गंदगी बाहर निकालता है. कई हॉर्मोन्स का बैलेंस बनाए रखता है. कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करता है. चोट लग जाने पर खून के थक्के बनाने में मदद करता है. और भी बहुत कुछ.

मगर कई बार लिवर में कैंसर (Liver Cancer) पनपने लगता है. इसकी कई वजहें हो सकती हैं. हमारे जीन्स. हमारा लाइफस्टाइल. या शरीर के किसी दूसरे अंग में फैला हुआ कैंसर, जो लिवर तक आ जाता है.  

आपको पता है? हर साल, देश में लिवर कैंसर के करीब 35 हज़ार मामले सामने आते हैं. हर साल करीब चौंतीस हज़ार मौतें होती हैं. इसलिए, इसके लक्षण पता होना और लिवर कैंसर के बारे में सही जानकारी होना बेहद ज़रूरी है. लिहाज़ा डॉक्टर से जानिए कि लिवर में कैंसर क्यों होता है. कौन लोग लिवर कैंसर के ज़्यादा रिस्क पर हैं. लिवर कैंसर के लक्षण क्या हैं. और, लिवर कैंसर से बचाव और इलाज कैसे किया जाए. 

लिवर में कैंसर क्यों होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर (प्रो.) चिंतामणि ने. 

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डॉ. (प्रो) चिंतामणि, चेयरमैन, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, सर गंगा राम हॉस्पिटल

लिवर के कैंसर मुख्यतः दो तरह के होते हैं- प्राइमरी और सेकेंडरी. सेकेंडरी (Secondary Liver Cancer) यानी कैंसर कहीं और से फैलकर लिवर में आ गया है. इसे मेटास्टेटिक लिवर डिज़ीज़ भी कहते हैं. प्राइमरी कैंसर (Primary Liver Cancer) यानी जो लिवर की कुछ बीमारियों के कारण होता है. प्राइमरी और सेकेंडरी लिवर कैंसर होने के अलग-अलग कारण होते हैं.

कौन लोग लिवर कैंसर के ज़्यादा रिस्क पर हैं?

जिन लोगों के लिवर में कोई बीमारी है, उन्हें लिवर कैंसर होने का ज़्यादा रिस्क है. जैसे हेपेटाइटिस ए, बी, सी. 

हेपेटाइटिस ए, बी हमारे पानी और खाने पर निर्भर करता है. वहीं हेपेटाइटिस सी पहले से इस्तेमाल सिरिंज का उपयोग करने से हो सकता है. संक्रमित खून के ज़रिए भी ये एक से दूसरे व्यक्ति को हो सकता है. इससे बचने का तरीका इन बातों का ध्यान रखना ही है. हेपेटाइटिस सी लिवर सिरोसिस के मरीज़ों में होना बहुत आम है. लिवर सिरोसिस (liver cirrhosis) शराब पीने वालों में ज़्यादा होता है. इसलिए, शराब अपने आप में एक रिस्क फैक्टर है. 

वहीं जिनकी लाइफस्टाइल बहुत अनहेल्दी है. जो बहुत ज़्यादा अनसैचुरेटेड फैटी एसिड लेते हैं. रेड मीट खाते हैं. कम एक्सरसाइज करते हैं, उन्हें भी लिवर कैंसर होने का रिस्क है. 

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बेवजह भूख लगना बंद हो जाना लिवर कैंसर का लक्षण है

लिवर कैंसर के लक्षण

प्राइमरी लिवर कैंसर का सबसे मुख्य लक्षण बिना किसी वजह के भूख लगना बंद हो जाना है. इसके अलावा, पीलिया होना. काले रंग का स्टूल आना. स्टूल में खून आना. उल्टी में खून आना. 

सेकेंडरी लिवर कैंसर में जहां से कैंसर आया है, उस अंग से जुड़े लक्षण होंगे. जैसे पेट से जुड़े लक्षण होंगे. कोलन में कैंसर है तो उससे जुड़े लक्षण होंगे. जैसे कब्ज़ होना, मलाशय (रेक्टम) में खून आना.

कुछ और मुख्य लक्षण भी हैं. जैसे भूख लगना एकदम से बंद हो जाना, इसे एनोरेक्सिया (Anorexia) कहते हैं. बेवजह वेट लॉस होना. हल्का पीलिया होना जो आगे चलकर बढ़ जाए. पीलिया बढ़ने की वजह से शरीर में खुजली शुरू होना. अगर पीलिया एडवांस हो जाए तो व्यक्ति बेहोश भी हो जाता है.

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लिवर कैंसर का इलाज उसके टाइप पर निर्भर करता है

लिवर कैंसर से बचाव और इलाज

लिवर कैंसर का इलाज उसकी पहचान से शुरू होता है. अगर प्राइमरी कैंसर है तो लिवर का इलाज होगा. अगर सेकेंडरी कैंसर है तो वो जहां से आया है, उस जगह का भी इलाज होगा. जैसे पेट, अमाशय, बड़ी आंत या छोटी आंत. जब कैंसर कहीं और से फैलता है तो वो बीमारी कई अंगों में फैली होती है. ऐसी बीमारी का ठीक से निपटारा होने का चांस अच्छा नहीं होता. 

लिहाज़ा हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं. एक्सरसाइज़ करें और शुद्ध शाकाहारी खाना खाएं. रेड मीट न लें क्योंकि ये कोलन और दूसरे कैंसर के साथ जुड़ा हुआ है. कई बार लिवर में हेरेडिटरी कैंसर भी हो जाता है. जैसे HNPCC सिंड्रोम या फ़ैमिलियल एडेनोमेटस पॉलीपोसिस. जिनके परिवार में किसी भी तरह के कैंसर की हिस्ट्री है, उन्हें ज़्यादा सावधान रहना चाहिए. अगर कैंसर लिवर में फैल जाए या लिवर में ही शुरू हो तो लिवर को बचाना बहुत मुश्किल हो जाता है.

लेकिन, अगर मेटास्टेटिक लिवर डिज़ीज़ है. कैंसर बड़ी आंत, छोटी आंत या गुदा से आया है. तब कीमोथेरेपी का सहारा लिया जाता है. कुछ मरीज़ों में सर्जरी करके कैंसर ठीक कर दिया जाता है. दोनों ही स्थितियों में इलाज बिल्कुल अलग है.

लिवर कैंसर के लक्षण शुरुआत में हल्के होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, लक्षण गंभीर होते जाते हैं. ऐसे में अगर आपकी भूख अचानक से कम हो गई है. या दूसरे लक्षण दिख रहे हैं. तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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