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अगले 25 साल में भारत की बड़ी आबादी पर मोटापे का खतरा, ये रिपोर्ट डराने वाली

सबसे ज़्यादा चिंता की बात तो ये है कि 15 से 24 साल के लोगों में मोटापा तेज़ी से बढ़ा है. और, आगे भी बढ़ेगा. अगर ग्लोबली देखें तो 2050 तक दुनियाभर के आधे से ज़्यादा एडल्ट्स और एक-तिहाई बच्चे व युवा ओवरवेट होंगे.

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मोटापा महामारी बनने वाला है (फोटो: Getty Images)

‘2050 तक भारत की एक-तिहाई आबादी मोटापे से ग्रस्त होगी.’ ये कहना है, द लैंसेट जर्नल में छपी एक रिपोर्ट का. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के करीब 21.8 करोड़ पुरुष और 23.1 करोड़ महिलाएं, साल 2050 तक ओवरवेट होंगे. यानी उनका वज़न तय मानक से ज़्यादा होगा. अगर इन पुरुषों और महिलाओं की संख्या को जोड़ दिया जाए, तो नंबर आता है, 44.9 करोड़. यानी करीब 45 करोड़. ये देश की अनुमानित जनसंख्या का लगभग एक-तिहाई है.

सबसे ज़्यादा चिंता की बात तो ये है, कि 15 से 24 साल के लोगों में मोटापा तेज़ी से बढ़ा है. और, आगे भी बढ़ेगा. अगर ग्लोबली देखें तो 2050 तक दुनियाभर के आधे से ज़्यादा एडल्ट्स और एक-तिहाई बच्चे व युवा ओवरवेट होंगे.

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15 से 24 साल के लोगों में मोटापा तेज़ी से बढ़ा है

अभी पूरी दुनिया में 211 करोड़ एडल्ट्स मोटापे का शिकार हैं. 2050 तक ये आंकड़ा बढ़कर 380 करोड़ पहुंचने का अनुमान है. वहीं, फिलहाल 5 से 24 साल के 49.3 करोड़ बच्चे और युवा मोटापे से जूझ रहे हैं. लेकिन, अगले 25 सालों में ये आंकड़ा भी बढ़कर 74.6 करोड़ पहुंच जाएगा.

यानी मोटापे की समस्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है. ये इसलिए भी चिंता की बात है, क्योंकि मोटापे से ग्रस्त आधे से ज़्यादा एडल्ट्स सिर्फ 8 देशों में रहते हैं. इनमें से भारत भी एक है. चीन के बाद, भारत में सबसे ज़्यादा लोग मोटापे या अधिक वज़न की समस्या से जूझ रहे हैं.

जब किसी का वज़न बढ़ता है. तो कई बीमारियों का रिस्क भी बढ़ने लगता है. जैसे टाइप-2 डायबिटीज़, दिल की बीमारियां, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, जोड़ों की दिक्कतें, लिवर से जुड़ी समस्याएं और सांस से जुड़ी बीमारियां. इसलिए, वज़न कंट्रोल में रखना बहुत ज़रूरी है.

मगर, मोटापे की समस्या बढ़ क्यों रही है? और, इससे छुटकारा कैसे पाया जाए? ये हमने पूछा डॉक्टर मोहित शर्मा से.

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डॉ. मोहित शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

डॉक्टर मोहित कहते हैं कि मोटापे की समस्या बढ़ने की कई वजहें हैं. जैसे लोगों का बहुत ज़्यादा प्रोसेस्ड फूड खाना. शुगरी ड्रिंक्स पीना. अपनी डाइट में ऐसी चीज़ें शामिल करना, जिनमें वसा बहुत ज़्यादा हो. साथ ही, पर्याप्त नींद न लेना. बहुत ज़्यादा स्ट्रेस में रहना. इमोशनल ईटिंग करना. यानी दुखी होने, परेशान होने पर ज़्यादा खाने लगना. एक्सरसाइज़ न करना. घंटों कुर्सी पर जमे रहना. आलस करना. PCOS, हाइपो-थायरॉइडिज़्म और इंसुलिन रेज़िस्टेंस जैसे हॉर्मोनल इंबैलेंस होने पर भी वज़न बढ़ने लगता है.

जहां तक बात मोटापे से छुटकारा पाने की है. तो फिज़िकल एक्टिविटी करना बहुत ज़रूरी है. जैसा रिसर्च से पता चला है, बड़े किशोरों में, यानी 15 से 24 साल के लोगों में मोटापा तेज़ी से बढ़ा है. इसलिए, इस आयुवर्ग के लोगों को रोज़ एक्सरसाइज़ करनी चाहिए. इस पर World Health Organization की गाइडलाइंस भी हैं. इसके मुताबिक, एक एडल्ट इंसान को हर हफ्ते कम से कम 150 से 300 मिनट तक हल्की एक्सरसाइज़ करनी चाहिए. यानी हफ्ते में ढाई से 5 घंटे. इंटेंस एक्सरसाइज़ कर रहे हैं तो 75 से 150 मिनट तक करें. अगर क्षमता हो, तो इससे ज़्यादा भी कर सकते हैं.

हालांकि एक्सरसाइज़ के लिए जिम जाना ज़रूरी नहीं है. आप घर के दौड़-भाग वाले कामों से शुरूआत कर सकते हैं. वॉकिंग, जॉगिंग, अपने पालतू जानवर को टहलाना, किसी दोस्त के साथ पैदल चलना या दौड़ लगाना.

इसके साथ ही, अपने खाने का भी खास ध्यान रखें. बहुत ज़्यादा तेल-मसालेदार खाने से बचें. बाहर की प्रोसेस्ड या फ्राइड चीज़ें न खाएं. एक अच्छी बैलेंस्ड डाइट ही लें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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