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Ozempic के बाद अब वज़न घटाने की 'गोली' बिकने वाली है, जानिए ये कैसे काम करती है?

वज़न घटाने वाली इस 'गोली' का नाम ऑरफॉरग्लिप्रॉन है. हाल ही में, इसका फेज़-3 क्लीनिकल ट्रायल हुआ है. इस गोली को एली लिली एंड कंपनी ने बनाया है.

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जल्द मार्केट में वज़न घटाने वाली गोली आ सकती है

आपने ओज़ेम्पिक का नाम तो सुना ही होगा. ये डायबिटीज़ की दवा है. लेकिन, दुनियाभर में इसे वज़न घटाने के लिए भी लिया जा रहा है. भारत में ओज़ेम्पिक नहीं बिकती. लेकिन, हाल-फिलहाल में मोंजारो नाम की दवा बिकना शुरू हुई है. ये डायबिटीज़ और ओबेसिटी की दवा है. मगर, ओज़ेम्पिक और मोंजारो, दोनों ही इंजेक्टिबल हैं. यानी इंजेक्शन के रूप में लिए जाते हैं.

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नई खबर ये है कि अब जल्द ही मार्केट में डायबिटीज़ और वज़न घटाने की एक टैबलेट आने वाली है. इसका नाम है ऑरफॉरग्लिप्रॉन.

इससे पहले हम आपको इस दवा के बारे में और बताएं. पहले देश में बढ़ते मोटापे के बारे में बात कर लेते हैं.

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साल 2050 तक हिंदुस्तान की करीब एक-तिहाई आबादी मोटापे से ग्रस्त होगी. ये कहना है, द लैंसेट जर्नल में छपी एक रिपोर्ट का. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के करीब 21.8 करोड़ पुरुष और 23.1 करोड़ महिलाएं, साल 2050 तक ओवरवेट होंगी. यानी लगभग पैतालीस करोड़ लोग. ये देश की अनुमानित जनसंख्या का लगभग एक-तिहाई है. सबसे ज़्यादा चिंता की बात ये है कि 15 से 24 साल के लोगों में मोटापा तेज़ी से बढ़ा है. ये आगे और बढ़ेगा.

अब वापस आते हैं मुद्दे पर. ऑरफॉरग्लिप्रॉन को एली लिली एंड कंपनी तैयार कर रही है.

17 अप्रैल को कंपनी ने एक न्यूज़ रिलीज़ जारी की. इसमें उसने टैबलेट के फेज़-थ्री क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे बताएं. पता चला ये दवा वज़न कम करने और हाई ब्लड शुगर लेवल को घटाने में मदद करती है.

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इसके क्लीनिकल ट्रायल में 549  ओबीज़ लोग शामिल थे. ओबीज़ यानी वो लोग जिनका वज़न बहुत ज़्यादा है. अगर BMI 30 से ऊपर है तो व्यक्ति को ओबीज़ माना जाता है. BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स. ये एक तरह का स्केल है, जिससे पता चलता है किसी इंसान का वज़न उसकी हाइट और उम्र के हिसाब से सही है या नहीं.

ट्रायल में शामिल हुए लोगों को टाइप-2 डायबिटीज़ भी थी. ये सभी यूएसए, चाइना, इंडिया, जापान और मेक्सिको से थे. ट्रायल में इस टैबलेट के तीन डोज़ेज़ को टेस्ट किया गया. 3mg, 12mg और 36mg.

पता चला कि जिन्होंने 36mg की ऑरफॉरग्लिप्रॉन टैबलेट ली. उन्होंने 9 महीनों में औसतन 7.3 किलोग्राम वज़न घटाया. दवा को लेने से ब्लड शुगर लेवल भी घटा. कुछ मामलों में तो शुगर नॉर्मल हो गई.

40 हफ्तों तक चले ट्रायल में पाया गया कि अगर रोज़ ऑरफॉरग्लिप्रॉन टैबलेट ली जाए. तो ब्लड शुगर लेवल 1.2 परसेंट से 1.5 परसेंट तक घट जाता है. अब क्योंकि ये दवा वज़न भी घटाती है, तो अगर 40 हफ्तों तक इसकी 3mg डोज़ ली जाए तो औसतन साढ़े 4 परसेंट वज़न घटता है. 12mg डोज़ लेने पर 5.8 परसेंट और 36mg डोज़ लेने से 7.6 परसेंट वज़न कम होता है.

हालांकि ऑरफॉरग्लिप्रॉन के कुछ साइड इफेक्ट्स भी देखे गए हैं. जैसे उबकाई आना, उल्टी, अपच, डायरिया और कब्ज़. वैसे, इस तरह के साइड इफेक्ट्स कई दवाओं के साथ देखे जाते हैं.

ये तो हुई क्लीनिकल ट्रायल की बात. अब आकाश हेल्थकेयर में एंडोक्राइनोलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर मोनिका शर्मा से समझते हैं कि आखिर ऑरफॉरग्लिप्रॉन काम कैसे करती है.

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डॉ. मोनिका शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, एंडोक्राइनोलॉजी, आकाश हेल्थकेयर

डॉक्टर मोनिका बताती हैं कि ऑरफॉरग्लिप्रॉन टैबलेट GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट की तरह काम करती है. GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट वो दवाएं होती हैं, जो टाइप-2 डायबिटीज़ के इलाज में काम आती हैं. ये दवाएं GLP-1 नाम के हॉर्मोन की नकल ऊतारती हैं.  GLP-1 यानी ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 हॉर्मोन. ये शरीर में ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद करता है.

थोड़ा और विस्तार से समझते हैं. देखिए, हमारे शरीर में एक अंग होता है, पैंक्रियाज़. ये इंसुलिन नाम का हॉर्मोन बनाता है. इंसुलिन का काम है, ब्लड शुगर को कंट्रोल करना. पर डायबिटीज़ के मरीज़ों में या तो इंसुलिन बनता ही नहीं है. या बहुत कम मात्रा में बनता है. नतीजा? उनका ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ रहता है. लेकिन, Orforglipron पैंक्रियाज़ को ज़्यादा इंसुलिन बनाने के लिए उत्तेजित करती है. जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है.

शरीर में ग्लूकागन नाम का हॉर्मोन भी होता है. ये लिवर को सिग्नल भेजकर ग्लूकोज़ रिलीज़ करवाता है. जिससे शुगर लेवल बढ़ जाता है. लेकिन, Orforglipron ग्लूकागन का लेवल घटाती है. जिससे शुगर कंट्रोल में रहती है.

ऑरफॉरग्लिप्रॉन टैबलेट भूख को भी कम करती है. जिससे व्यक्ति ज़्यादा नहीं खाता और उसका वज़न घटता है.

ऑरफॉरग्लिप्रॉन के साथ एक फायदा और है. इसे कभी भी खाया जा सकता है. यानी ख़ाली पेट या खाने के बाद.

कंपनी का कहना है कि ऑरफॉरग्लिप्रॉन से जुड़े ट्रायल्स के नतीजे जून में अमेरिकन डायबिटीज़ एसोसिएशन की बैठक में पेश किए जाएंगे. उसके बाद इन्हें किसी पियर-रिव्यूड जर्नल में छापा जाएगा. कंपनी का प्लान है कि वो इस साल के आखिर तक वज़न घटाने के लिए इस दवा को मार्केट में लाने के लिए अप्रूवल मांगेगी. वहीं, डायबिटीज़ के इलाज के लिए इस दवा के इस्तेमाल की मंज़ूरी कंपनी अगले साल मांगेगी.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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