आपको पता है, इंसान आमतौर पर एक दिन में लगभग 22 से 25 हज़ार बार सांस लेता है. सांस लेना इतना नेचुरल है कि वो दिन में एक बार भी इस पर गौर नहीं करता. गौर तब करता है, जब नाक बंद हो जाती है और ठीक से सांस नहीं आती. तब मुंह से सांस लेनी पड़ती है और बहुत उलझन होती है.
नाक से सांस लें या फिर मुंह से? जानिए, सांस लेने का बेस्ट तरीका क्या है?
चाहें आप मुंह से सांस लें या नाक से, दोनों ही तरीकों से ऑक्सीज़न आपके शरीर में जा रही है. लेकिन, एक तरीका आपके फेफड़ों और सेहत के लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद होता है.

वैसे तो इंसान नाक से सांस लेने के लिए बना है. लेकिन, कुछ लोगों को मुंह से सांस लेने की आदत होती है. देखिए, आप मुंह से सांस लें या नाक से, दोनों ही सूरतों में ऑक्सीज़न आपके शरीर में जा रही है. लेकिन, एक तरीका आपके फेफड़ों और सेहत के लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद होता है. कौन-सा, चलिए बताते हैं आपको.
नाक से सांस लेना ज़्यादा हेल्दी है या मुंह से?
ये हमें बताया डॉक्टर उज्जवल पराख ने.

हम सबको नाक से सांस लेने की आदत है. आमतौर पर इंसान मुंह बंद कर के नाक से सांस लेता है. मुंह से सांस तभी लेता है, जब जल्दी-जल्दी सांस लेनी हो या नाक बंद हो जाए. रेस्टिंग पोज़ीशन में या नॉर्मल काम करते हुए हम नाक से सांस लेते हैं. भागते हुए हमें जल्दी-जल्दी सांस लेनी पड़ती है. तब हम मुंह से सांस लेते हैं क्योंकि नाक से सांस लेने में थोड़ी रूकावट आती है. सांस फूलने की वजह से मुंह से सांस लेना आसान पड़ता है. मगर नाक से सांस लेना ज़्यादा फायदेमंद है.
हमारी नाक एक फिल्टर की तरह काम करती है, जिससे गंदगी फिल्टर हो जाती है. जो सांस हमारे अंदर जा रही है, उसमें नमी मिल जाती है. ड्राईनेस खत्म हो जाती है. नाक के हिस्से में नमी होती है, जिस वजह से अंदर जाने वाली हवा में नमी मिल जाती है. इसलिए ठंडी और सूखी हवा फेफड़ों में नहीं जाती. ये ज़्यादा हेल्दी है, नाक की इम्यूनिटी इन्फेक्शंस को भी रोकती है. इसलिए, नाक से सांस लेना ज़्यादा हेल्दी है.

मुंह से सांस लेने के नुकसान
कुछ कारण होते हैं जिनके चलते इंसान मुंह से सांस लेता है. लेकिन मुंह से सांस लेने के कुछ नुकसान हैं. जैसे मुंह में ड्राईनेस आ जाती है यानी मुंह सूखता है. सारी नमी हवा के साथ चली जाती है. मुंह से सांस लेने पर तापमान अच्छी तरह कंट्रोल नहीं हो पाता. मुंह से सांस लेने पर थकान ज़्यादा होती है.
नाक जाम होने पर मुंह से सांस लेनी पड़ती है. ज़ुकाम, नाक की टेढ़ी हड्डी, पॉलीप्स यानी एलर्जी की वजह से नाक में होने वाली सूजन के चलते नाक जाम होती है. नतीजा? नाक का रास्ता टाइट हो जाता है. नेज़ल कैविटी (नाक के अंदर मौजूद जगह) छोटी हो जाती है. इससे सांस लेने में दिक्कत होती है. तब इंसान सांस लेने के लिए मुंह खोलता है. मगर ऐसे सांस लेना सहज महसूस नहीं होता, न ही हेल्दी होता है,
इलाज
अगर किसी की नाक बंद है और उसे मुंह से सांस लेनी पड़ रही है, तो वो दो तरह के डॉक्टर्स को दिखा सकता है. पहला, कान, नाक और गले के डॉक्टर को. डॉक्टर देखेंगे कि नाक में कोई ब्लॉकेज तो नहीं, जिसे ठीक किया जा सके. जनरल फिजिशियन या चेस्ट फिजिशियन को भी दिखा सकते हैं. अगर ये प्रॉब्लम अचानक होती है तो इसके पीछे एलर्जी या इन्फेक्शन वजह हो सकती है. दवा से एलर्जी या इन्फेक्शन को ठीक किया जा सकता है. अगर मुंह से सांस लेनी पड़ रही है, तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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