कॉफ़ी के ऐसे कई शौक़ीन हैं, जो दिनभर पानी से ज़्यादा कॉफ़ी गटक जाते हैं. नींद आ रही है. ठंड लग रही है. बोर हो रहे हैं. थकान लग रही है. चलो कॉफ़ी पीते हैं! ये सब बहाने हैं. सच तो ये है कि इंसान को कॉफ़ी की लत लग जाती है. कॉफ़ी पिए बिना गुज़ारा नहीं होता.
कॉफी छोड़ना चाहते हैं लेकिन छूट नहीं रही, तो ये तरीका अपनाएं
जब कोई कॉफ़ी छोड़ने का फ़ैसला लेता है तो उसका शरीर कॉफ़ी छोड़ने नहीं देता. कुछ घंटे कॉफ़ी शरीर में न जाए तो सिर में दर्द होने लगता है. मजबूरन इंसान कॉफ़ी पी लेता है. और ये साइकिल चलती रहती है.
अब जब ऐसा इंसान कॉफ़ी छोड़ने का फ़ैसला लेता है तो उसका शरीर कॉफ़ी छोड़ने नहीं देता. कुछ घंटे कॉफ़ी शरीर में न जाए तो सिर में दर्द होने लगता है. मजबूरन इंसान कॉफ़ी पी लेता है. और ये साइकिल चलती रहती है.
तो ऐसा क्या किया जाए जिससे कॉफ़ी की लत भी छूट जाए और सिर में दर्द न हो. ये हमें बताया डॉक्टर मिक्की मेहता ने.
कोई भी लत आसानी से नहीं छूटती. दरअसल शरीर को उस चीज़ की आदत लग जाती है. जैसे कॉफ़ी के केस में, शरीर कैफीन का आदी हो जाता है. फिर जब हम अचानक से कॉफ़ी पीना बंद करते हैं तो शरीर को कुछ लक्षण महसूस होते हैं. इन्हें Withdrawal Symptoms कहा जाता है.
कॉफ़ी छोड़ने पर क्या लक्षण महसूस होते हैं?कॉफ़ी छोड़ने पर सिरदर्द होने लगता है. चिढ़ मचने लगती है. काम में मन नहीं लगता और बहुत थकान रहती है. ये लक्षण कितने तेज़ होंगे, ये इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर को कैफीन की कितनी आदत है. इसलिए, कॉफ़ी पीना एकदम-से बंद नहीं करना चाहिए. हमें एक सिस्टमैटिक तरीके से कॉफ़ी छोड़नी चाहिए.
कैसे छोड़ें कॉफ़ी ?देखिए, कॉफ़ी पीना धीरे-धीरे बंद करें. दो दिन में कॉफ़ी छोड़ने का न सोचें. महीने-डेढ़ महीने का समय लें और धीरे-धीरे कॉफ़ी के कप घटाएं. जैसे अगर कोई दिन में 4 कप कॉफ़ी पीता है तो पहले 3 कप कॉफ़ी पीना शुरू करें. फिर दिन में दो कप कॉफ़ी पिएं. फिर धीरे-धीरे एक या आधे कप पर आएं.
वैसे कुछ समय पहले, ICMR-NIN ने भारतीयों के लिए डाइटरी गाइडलाइंस जारी की थीं. इसके मुताबिक, हमें दिन में 300 मिलीग्राम से ज़्यादा कैफीन नहीं लेना चाहिए. यानी एक दिन में एक-दो कप कॉफ़ी पी सकते हैं. ये सेफ लिमिट है.
कॉफ़ी की जगह क्या?अगर कॉफ़ी छोड़ रहे हैं तो उसकी जगह कुछ और पिएं. जैसे पानी. इससे सेल्स ठीक से काम करते हैं और शरीर को एनर्जी मिलती है. Herbal Tea या फिर Decaf Coffee भी पी जा सकती है. डिकैफ कॉफ़ी में कैफीन न के बराबर होता है. इसके एक कप में सिर्फ 2 मिलीग्राम कैफीन होता है. वहीं एक नॉर्मल कॉफ़ी के कप में 95 मिलीग्राम तक कैफीन होता है. इसलिए, नॉर्मल कॉफ़ी के बजाय डिकैफिनेटेड कॉफ़ी पीना ज़्यादा सही रहेगा.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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