थायरॉइड एक ग्रंथि है, यानी ग्लैंड, जो हमारे गले में होता है. इसका आकार एक तितली जैसा होता है. थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid Gland) का काम है, T3 और T4 नाम के हॉर्मोन बनाना. ये दोनों हॉर्मोन शरीर के मेटाबॉलिज़्म को दुरुस्त रखते हैं. मेटाबॉलिज़्म यानी हम जो खाना खाते हैं, उसे एनर्जी में बदलने, नए सेल्स बनाने और पुराने को बचाए रखने का पूरा प्रोसेस.
थायरॉइड कंट्रोल में रखना है? Lifestyle में करिए ये 5 बदलाव
थायरॉइड गले मेें मौजूद एक ग्रंथि है. ये T3 और T4 नाम के हॉर्मोन बनाती है.
साथ ही, ये हॉर्मोन्स दिल, हड्डियों, मांसपेशियों और रीप्रोडक्टिव अंगों को ठीक तरह से चलाने में भी मदद करते हैं. कई बार थायरॉइड ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती. तब शरीर में दिक्कतें होने लगती हैं. जैसे वज़न बढ़ना. हर वक्त थकान रहना. मांसपेशियां कमज़ोर हो जाना. जोड़ों में सूजन, दर्द रहना और कब्ज़ हो जाना. इसलिए, ज़रूरी है थायरॉइड ग्रंथि सही से काम करे.
डॉक्टर हिमिका चावला ने हमें 5 ऐसी आदतें बताईं, जिन्हें अपनाकर थायरॉइड ग्रंथि की सेहत सुधारी जा सकती है.
पहली आदत. खूब पानी पीना. डॉक्टर हिमिका कहती हैं कि पानी, थायरॉइड ग्रंथि तक आयोडीन पहुंचाने का काम करता है. आयोडीन, टी3 और टी4 हॉर्मोन्स के लिए बहुत ज़रूरी है. पानी पीने से खाना पचाने में भी मदद मिलती है. अगर हम कम पानी पीते हैं तो खाना पचने का प्रोसेस बहुत धीमा हो जाता है. इससे आयोडीन और सेलेनियम जैसे पोषक तत्व शरीर में एब्ज़ॉर्व नहीं हो पाते. स्टूल भी हार्ड हो जाता है. वहीं पर्याप्त पानी पीने से मेटाबॉलिज़्म सुधरता है. शरीर के लिए टॉक्सिंस यानी गंदगी को निकालना भी आसान हो जाता है. जिससे थायरॉइड ग्रंथि ठीक से काम कर पाती है.
दूसरी आदत. अच्छी नींद लेना. 7 से 8 घंटे की बढ़िया नींद लेने से मेटाबॉलिज़्म सुधरता है. स्ट्रेस कम होता है. जिससे थायरॉइड ग्रंथि अच्छे से काम कर पाती है. अच्छी नींद से इम्यूनिटी बढ़ती है. मज़बूत इम्युनिटी यानी थायरॉइड से जुड़ी दिक्कतों का कम रिस्क.
तीसरी आदत. रोज़ एक्सरसाइज़ करना. इससे मेटाबॉलिज़्म सुधरता है. थायरॉइड हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन बढ़ाता है. साथ ही, एंडोर्फिन (Endorphins) नाम का हैप्पी हॉर्मोन भी रिलीज़ होता है. ये हैप्पी हॉर्मोन हमारा मूड सुधारता है और डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी के लक्षणों को कम करता है. एक्सरसाइज़ से एक हेल्दी वेट मेन्टेन करने में भी मदद मिलती है.
चौथी आदत. स्ट्रेस मैनेज करना. डॉक्टर हिमिका कहती हैं कि जब हम स्ट्रेस में होते हैं तो शरीर में कोर्टिसोल हॉर्मोन (Cortisol Hormone) का लेवल बढ़ जाता है. फिर ये थायरॉइड ग्रंथि को मैसेज पहुंचाता है कि हॉर्मोन्स कम रिलीज़ करो. इसके अलावा, जब हम स्ट्रेस में होते हैं तो एक्सरसाइज़ करने का मन नहीं करता. ठीक से नींद नहीं आती. खाना गड़बड़ा जाता है. जिससे थायरॉइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचता है.
पांचवीं आदत. आयोडीन और सेलेनियम से भरपूर चीज़ें लें: आयोडीन के लिए दूध, योगर्ट, चीज़, डेयरी प्रोडक्ट्स, अंडा, आयोडीन वाला नमक, टूना मछली और सूखा आलूबुखारा खाया जा सकता है. वहीं सेलेनियम के लिए ब्राज़ील नट्स, मीट, मछली, अंडे, सनफ्लावर सीड्स, पके हुए ब्राउन राइस, ब्रेड, मशरूम, पालक, दूध, दालें और योगर्ट ले सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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