कोई महिला प्रेग्नेंट है, ये कैसे पता चलता है? सबसे पहला तरीका तो यही है, कि आप मेडिकल स्टोर से प्रेग्नेंसी टेस्ट किट खरीदें. घर पर टेस्ट करें. फिर कुछ ही पलों में रिज़ल्ट आपके सामने आ जाएगा. लेकिन, घर पर जो प्रेग्नेंसी टेस्ट किए जाते हैं, वो काम कैसे करते हैं? कैसे यूरिन की कुछ बूंदों से प्रेग्नेंट होने, न होने का पता चल जाता है? इसके बारे में हमने पूछा डॉक्टर नैंसी नागपाल से.
यूरिन की कुछ बूंदों से कैसे पता चलता है, आप प्रेग्नेंट हैं या नहीं?
प्रेग्नेंसी टेस्ट में एक खास हॉर्मोन का लेवल जांचा जाता है. इस हॉर्मोन का नाम है, ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन यानी hCG.


डॉक्टर नैंसी बताती हैं कि प्रेग्नेंसी टेस्ट में एक खास हॉर्मोन का लेवल जांचा जाता है. इस हॉर्मोन का नाम है, ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन यानी hCG. जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है, तो उसके खून और यूरिन में hCG हॉर्मोन का लेवल तेज़ी से बढ़ता है. सारे प्रेग्नेंसी टेस्ट इसी hCG हॉर्मोन का लेवल जांचते हैं.
अब प्रेग्नेंसी टेस्ट किट में एंटीबॉडीज़ होती हैं. जो hCG हार्मोन की पहचान करती हैं. जब महिला के यूरिन में hCG हार्मोन का लेवल बढ़ा होता है. तो ये किट में मौजूद केमिकल से रिएक्ट करता है. जिससे टेस्ट स्ट्रिप का रंग बदल जाता है. या उस पर एक खास लाइन दिखने लगती है.
अगर स्ट्रिप पर मौजूद दोनों लाइनों का रंग उभर आए. तो महिला प्रेग्नेंट है. अगर सिर्फ एक लाइन दिखे तो इसकी दो वजहें हो सकती हैं. पहली, महिला प्रेग्नेंट नहीं है. दूसरी वजह, प्रेग्नेंसी बहुत ही शुरुआती स्टेज में है. और, शरीर में hCG का लेवल उतना नहीं है जो टेस्ट में दिख सके.

सही रिज़ल्ट के लिए प्रेग्नेंसी टेस्ट हमेशा पीरियड मिस होने के 7 दिन बाद करना चाहिए. या फिर अनप्रोटेक्टेड सेक्स करने के 21 दिन बाद. सुबह के पहले यूरिन का इस्तेमाल ही प्रेग्नेंसी टेस्ट में करना चाहिए. इससे सही रिज़ल्ट आने का चांस बढ़ जाता है.
हालांकि अगर आपका टेस्ट रिज़ल्ट निगेटिव है. लेकिन, फिर भी पीरियड्स नहीं हो रहे तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें. साथ ही, अगर टेस्ट में हल्की लाइन दिखे. तो भी डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है. क्योंकि, ये एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic pregnancy) का लक्षण हो सकता है. एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में गर्भ गर्भाशय के बाहर, आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब में विकसित होता है. फैलोपियन ट्यूब यानी वो नली जो अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है. ये खतरनाक और जानलेवा कंडीशन है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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