‘सफ़र का ही था मैं, सफ़र का रहा.’ ये लाइन है अरिजीत सिंह के एक गाने की. और, यही सवाल है हमारा आपसे भी. क्या आप ज़्यादातर वक्त सफ़र में रहते हैं? घंटों फ्लाइट में बैठना पड़ता है? ट्रेन की बर्थ या कुर्सी पर जमे रहते हैं? अगर आपका जवाब हां है, तो ज़रा बचके. लंबे सफ़र में घंटों बैठने से पैरों में खून के थक्के (Blood Clots) जमने का खतरा रहता है. अगर इन थक्कों का वक्त पर इलाज न हो, तो ये बहुत ख़तरनाक हो सकता है.
देर तक बैठने से खून के थक्के क्यों जमने लगते हैं? इलाज जान लीजिए
जब हम देर तक बैठे रहते हैं. बिल्कुल चलते नहीं हैं. तब पैरों में खून का बहाव धीमा हो जाता है. इससे खून का थक्का जमने लगता है. अगर इन थक्कों का वक्त पर इलाज न हो, तो ये बहुत ख़तरनाक हो सकता है.
ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है. इसलिए, डॉक्टर से समझिए कि लंबे सफ़र में देर तक बैठने से खून के थक्के क्यों जमने लगते हैं. खून के थक्के जमने से किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं? जब नसों में खून के थक्के जमते हैं तो क्या लक्षण देखने को मिलते हैं? और, इससे बचाव और इलाज कैसे किया जाए?
देर तक बैठने से खून के थक्के क्यों जमने लगते हैं?
ये हमें बताया डॉक्टर राजीव पारख ने. जो मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम में पेरिफेरल वस्कुलर एंड एंडोवस्कुलर साइंसेज़ के चेयरपर्सन हैं.
खून के बहाव यानी उसके फ्लो के लिए हमारा चलना ज़रूरी है. हमारे पैरों का चलना ज़रूरी है. अगर हम रुक जाएंगे या लंबे सफ़र के दौरान बैठे रहेंगे तो खून का बहाव धीमा हो जाएगा. इससे खून का थक्का जमने लगता है. यही वजह है कि लंबी दूरी की फ्लाइट, बहुत देर गाड़ी में बैठे रहने से पैरों में थक्का जमने का रिस्क बढ़ जाता है.
किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं?
अचानक खून का थक्का जमने से पैरों में सूजन आ जाती है. उनमें दर्द होने लगता है. पैर बहुत टाइट हो जाते हैं. इससे हमारे खून का बहाव रुक जाता है. खून के थक्के बहकर फेफड़ों में जा सकते हैं जिससे फेफड़ों में थक्के जमा होने लगते हैं. इसे पल्मोनरी एम्बोलिज्म (Pulmonary embolism) कहते हैं. ये एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है.
नसों में खून के थक्के जमने पर क्या लक्षण देखने को मिलते हैं?
- पैर की नसों में थक्के जमने पर सूजन आती है.
- पैर में दर्द होने लगता है.
- चलना मुश्किल हो जाता है.
- पैर बहुत भारी हो जाते हैं.
- ज़्यादा चलने पर दर्द होने लगता है.
- पैरों में जख्म बन जाते हैं.
- पैरों में कालापन आ जाता है.
- इसमें आगे चलकर ब्लीडिंग भी हो सकती है.
बचाव और इलाज
खून का बहाव ठीक रखने के लिए हमारा चलना बहुत ज़रूरी है. लिहाज़ा एक्सरसाइज़ करें ताकि खून का बहाव रहे और थक्का न जमे. एक स्पेशल तरह के स्टॉकिंग्स भी (एक तरह के मोज़े) आते हैं. इन्हें मेडिकल कंप्रेशन स्टॉकिंग्स (Medical Compression Stockings) कहा जाता है. अगर इन्हें पहनकर टहला जाए तो सूजन कम होती है.
अगर खून के थक्के जमने की फैमिली हिस्ट्री रही है तो अपना बहुत ध्यान रखना चाहिए. अगर कोई दवा खा रहे हैं, जैसे ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स, जो प्रेग्नेंसी रोकने की दवाएं होती हैं. तो इनके साथ खून का थक्का जमने का रिस्क बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है. अगर ऐसी कोई दिक्कत है और आपके पैरों में सूजन आ जाए, दर्द होने लगे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. इसका जल्दी पता चलना ज़रूरी है.
अगर दिक्कत का जल्दी पता चल जाए तो इसकी रोकथाम वहीं की जा सकती है. खून पतला करने के लिए कुछ इंजेक्शन, कुछ दवाइयां दी जाती हैं. अगर बहुत ज़्यादा थक्के बन जाते हैं, तब मशीन की मदद से इन थक्कों को निकाला जा सकता है. फिर मेडिकल कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पहनकर व्यक्ति चलता रहता है. खून पतला करने की दवाइयां लंबे समय तक खाना ज़रूरी है. इससे बचाव बहुत ज़रूरी है क्योंकि इलाज बहुत लंबा और परेशान करने वाला है.
देखिए, सफ़र पर निकलें. मगर अपनी सेहत का भी ख्याल रखें. आपकी सीट रिक्लाइनर वाली होनी चाहिए. यानी जो पीछे की तरफ हो जाती है. इससे खून का फ्लो ठीक रहता है. इसके अलावा, हर एक-दो घंटे में अपनी सीट से उठें. थोड़ा चल-फिर लें. घर आएं तो अपने पैरों की मसाज करें. आप कंप्रेशन स्टॉकिंग्स भी पहन सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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