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स्मोकिंग से सिर्फ फेफड़ों की ही नहीं दिल की भी हालत खराब हो जाती है

Cigarette पीने से दिल की धमनियां सिकुड़ जाती हैं. खून गाढ़ा होने लगता है. इससे खून की नलियों में थक्का जमने का चांस बढ़ जाता है.

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स्मोकिंग नहीं करनी चाहिए.

'एक कश लगा लो. एक कश से क्या ही होता है.’ सिगरेट के शौकीन दोस्तों से ये बात तो आपने कई बार सुनी होगी. हो सकता है, अमल भी करने लगे हों. या फिर अमल करने का सोच रहे हों.

खैर, एक कश से क्या होता है, इसका जवाब हम आज दिए ही देते हैं. एक कश से सिगरेट पीने की आदत लग सकती है. पहले दिन एक सिगरेट, धीरे-धीरे दो, फिर तीन. ये नंबर लगातार बढ़ता जाता है. कुछ लोग तो बन जाते हैं चेन स्मोकर. अब सिगरेट पीने से फेफड़े खराब हो जाते हैं. लंग कैंसर हो सकता है. ये सबको पता है. लेकिन सिगरेट से सिर्फ़ फेफड़े बर्बाद नहीं होते. इससे दिल को भी नुकसान पहुंचता है. कैसे, ये डॉक्टर साहब से जानेंगे. समझेंगे कि सिगरेट पीने से दिल को किस तरह का नुकसान पहुंचता है. सिगरेट पीने से किन बीमारियों का रिस्क बढ़ता है. अगर आप सिगरेट पीते हैं तो दिल से जुड़े किन लक्षणों पर नज़र ज़रूर रखें. और, अगर सिगरेट छोड़ना चाहते हैं, तो इसका सही तरीका क्या है. 

सिगरेट पीने से दिल को क्या नुकसान पहुंचता है?

ये हमें बताया डॉक्टर भूपेंद्र सिंह ने. 

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डॉ. भूपेंद्र सिंह, कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, गाज़ियाबाद

सिगरेट पीने से दिल को कई तरह से नुकसान पहुंच सकता है. स्मोकिंग से निकोटीन और दूसरे कई नुकसानदेह केमिकल्स रिलीज़ होते हैं. जिनकी वजह से दिल की धमनियां सिकुड़ जाती हैं और खून गाढ़ा होने लगता है. इससे थ्रोम्बोसिस होने का चांस बढ़ जाता है. थ्रोम्बोसिस (Thrombosis) यानी खून की नलियों में थक्का जम जाना. धमनियों में प्लाक जमने का खतरा भी रहता है. इसे एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) कहते हैं. 

आगे जाकर यही सारी चीज़ें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर, एथेरोस्क्लेरोसिस और कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ का रिस्क बढ़ाती हैं. सिगरेट पीने से दिल की गति यानी पल्स रेट भी अनियमित या तेज़ हो सकती है.

सिगरेट पीने से किन बीमारियों का रिस्क बढ़ता है?

सिगरेट पीने से बहुत सारी बीमारियों होती हैं. ये बीमारियां सिर्फ दिल ही नहीं बल्कि फेफड़ों और दूसरे अंगों से भी जुड़ी होती हैं. इसमें दिल की बीमारियां, जैसे हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ और पेरिफ़ेरल आर्टरी डिज़ीज़ शामिल हैं. पेरिफ़ेरल आर्टरी डिज़ीज़ (Peripheral artery disease) में हाथ-पैरों तक खून ले जाने वाली धमनियों में ब्लॉकेज का जाता है. 

इसके अलावा, स्मोकिंग से लंग कैंसर हो सकता है. सांस से जुड़ी बीमारियां, जैसे COPD या क्रोनिक कफ हो सकता है. शरीर के कुछ दूसरे अंगों के कैंसर भी स्मोकिंग से संबंधित होते हैं. जैसे मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, ब्लैडर या किडनी का कैंसर. युवाओं में इनफर्टिलिटी की दिक्कत भी हो सकती है. 

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चलने-फिरने पर सीने में भारीपन लगे तो नज़रअंदाज़ न करें

अगर सिगरेट पीते हैं तो दिल से जुड़े किन लक्षणों पर नज़र ज़रूर रखें?

- चलने-फिरने पर सीने में दबाव या भारीपन

- चलने-फिरने या कोई भी काम करने पर सांस फूलना

- थकान और घबराहट होना

- चलने-फिरने पर हाथ-पैरों में दर्द होना

- सांस से जुड़ी दिक्कतें होना. जैसे बार-बार खांसी आना या थोड़ा चलने पर सांस फूलना

सिगरेट छोड़ने का सही तरीका क्या है?

सिगरेट छोड़ने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका आपका दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति है. दृढ़ निश्चय करने और सिगरेट छोड़ने में आप अपने परिवार और दोस्तों की मदद ले सकते हैं. अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं. कुछ दवाएं भी स्मोकिंग छुड़ाने में मदद करती हैं. निकोटीन गम्स और कुछ पैचेज़ भी आते हैं, जो सिगरेट छोड़ने के बाद के लक्षणों को कम करते हैं. हालांकि सबसे ज़रूरी चीज़ आपका दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति ही है. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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