डायबिटीज़. डायबिटीज़. डायबिटीज़. जब देखो, जहां देखो. इस बीमारी के ही चर्चे हैं. कई बार तो ऐसा लगता है कि हमारे आसपास हर दूसरे इंसान को ये बीमारी है. शायद तभी हिंदुस्तान को ‘डायबिटीज कैपिटल ऑफ़ द वर्ल्ड’ कहते हैं. दुनियाभर में डायबिटीज़ के जितने भी मामले हैं, उनमें से 17 फीसदी तो अकेले भारत में ही हैं.
कैसे काम करती हैं डायबिटीज़ की दवाइयां? अगर इन्हें लेना बंद कर दें तो क्या होगा? डॉक्टर से समझिए
डायबिटीज़ की दवाइयां या तो शरीर से ज़्यादा इंसुलिन बनवाती हैं या फिर बने हुए इंसुलिन का एक्शन बढ़ा देती हैं. हालांकि आजकल ऐसी दवाइयां भी हैं जो यूरिन के रास्ते शुगर बाहर निकाल देती हैं.
साल 2023 में हमारे देश में 10 करोड़ से ज़्यादा डायबिटीज के मामले सामने आए थे और ये नंबर लगातार बढ़ रहा है. उस पर डायबिटीज़ के बारे में हमारी जानकारी भी सुई की नोक बराबर है. ज़्यादातर लोगों को लगता है कि सिर्फ ज़्यादा मीठा खाने से ही डायबिटीज़ होती है. ऐसा नहीं है. डायबिटीज़ क्यों होती है? ये हमने डॉक्टर साहब से जाना. साथ ही समझा कि डायबिटीज़ की दवाएं काम कैसे करती हैं. अगर एकदम से इन्हें लेना बंद कर दिया जाए तो शरीर में क्या होता है. ये इसलिए जानना ज़रूरी है क्योंकि कई लोग शुगर कंट्रोल में आते ही, बिना डॉक्टर से पूछे, दवा लेना बंद कर देते हैं. इसके अलावा, ये भी जानिए कि दवाओं के साथ-साथ लाइफस्टाइल में वो कौन-से बदलाव हैं, जिनसे डायबिटीज़ को मैनेज किया जा सकता है.
डायबिटीज़ क्यों होती है?
ये हमें बताया डॉक्टर धीरज कपूर ने.
आजकल डायबिटीज़ होना बहुत आम हो गया है. इसका अहम कारण खानपान है. जब हम तला-भुना खाना या मिठाई ज़्यादा खाते हैं. तब हमारा बैली फैट (पेट की चर्बी) बढ़ जाता है. फिर इंसुलिन हॉर्मोन को जितना असर करना चाहिए, वो उतना नहीं कर पाता. इस वजह से शरीर में मौजूद बीटा सेल्स को ज़्यादा काम करना पड़ता है. बीटा सेल्स इंसुलिन फैक्ट्री हैं यानी इनका काम इंसुलिन बनाना है. जब ये बीटा सेल्स काम करते-करते थक जाते हैं तो इंसुलिन कम बनता है. ऐसे में इंसान को डायबिटीज़ हो जाती है.
डायबिटीज़ की दवाएं कैसे काम करती हैं?
डायबिटीज़ की दवाइयां या तो शरीर से ज़्यादा इंसुलिन बनवाती हैं या फिर बने हुए इंसुलिन का एक्शन बढ़ा देती हैं. हालांकि आजकल ऐसी दवाइयां भी हैं जो यूरिन के रास्ते शुगर बाहर निकाल देती हैं. इससे वज़न घटाने में भी मदद मिलती है. ये दवाइयां इंसुलिन पर निर्भर नहीं होतीं. इन्हें डायबिटीज़ में कभी भी दिया जा सकता है. लेकिन, कई बार इनसे प्राइवेट पार्ट में इंफेक्शन हो सकता है. वैसे इंसुलिन बनाने या उसका असर बढ़ाने वाली पुरानी दवाइयां आज भी मान्य हैं. हालांकि अब डायबिटीज़ की नई दवाइयां भी आ रही हैं.
अगर एकदम से डायबिटीज़ की दवा लेना बंद कर दें तो शरीर में क्या होगा?
कई बार शुगर कंट्रोल में आते ही मरीज़ दवाई खाना बंद कर देता है. वो भूल जाता है कि परहेज़ करने की वजह से ही डायबिटीज़ कंट्रोल में थी. डायबिटीज़ नहीं बढ़ रही थी क्योंकि आप टहल रहे थे, अपनी दवाइयां ले रहे थे. अगर आप दवाइयां खाना बंद कर देंगे तो शुगर बढ़ जाएगी. ये भी हो सकता है कि शुगर लेवल बहुत हाई हो जाए.
दवाओं के साथ-साथ लाइफस्टाइल में किन बदलावों से डायबिटीज़ मैनेज कर सकते हैं?
डायबिटीज़ मैनेज करने के लिए आपको परहेज़ करना होगा, दवाइयां लेनी होंगी. कई बार लोग सोचते हैं कि दवा नुकसान भी कर सकती है. उन्हें लगता है कि फलाना व्यक्ति 20-25 साल से दवा खा रहा था, इसलिए उसकी किडनी डैमेज हो गई. ऐसा नहीं होता है. डायबिटीज़ की कोई भी दवा किडनी डैमेज नहीं करती. कई बार हम सिर्फ दवा खाते हैं और डॉक्टर के कहने के बावजूद इंसुलिन नहीं लगवाते. इससे शुगर अनकंट्रोल्ड हो जाती है और किडनी खराब करती है.
कुल मिलाकर, डायबिटीज़ की दवा नुकसान नहीं करती. इसलिए अपने डॉक्टर की राय मानिए. जो दवा खाने से पहले खानी है, उन्हें पहले खाइए. साथ ही, परहेज़ और एक्सरसाइज़ करिए. आप दवा खा रहे हों या इंसुलिन लगवा रहे हों, परहेज़ और व्यायाम कभी बंद मत करिए.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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