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बढ़ते प्रदूषण से 5 से 8 साल तक घट सकती है हमारी उम्र, जानें कैसे

Air Pollution से दिल और फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं. लिवर और किडनी पर भी प्रदूषित हवा का असर पड़ता है.

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प्रदूषण शरीर के हर हिस्से पर असर डालता है

साल का वो वक़्त दोबारा वापस आ गया है, जब सांस लेना मुहाल हो जाता है. हर तरफ़ धुआं और प्रदूषण. ऐसा लगता है जैसे देशभर ने प्रदूषण और धुएं की चादर ओढ़ ली है. Air Quality Index यानी AQI रोज़ नए रिकॉर्ड तोड़ता है. AQI एक पैमाना है, जिससे पता चलता है कि हवा की क्वालिटी कैसी है. 

ये ऐसे समझिए कि अगर AQI 0 से 100 के बीच है तो हवा अच्छी मानी जाती है. फिर जैसे-जैसे लेवल बढ़ता है, हवा बिगड़ने लगती है. हाल-फ़िलहाल की बात करें तो राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में AQI 200 के पार जा चुका है. एक-दो इलाके तो ऐसे हैं, जहां AQI 450 के पार है. इसे एक इमरजेंसी सिचुएशन माना जाता है.

प्रदूषण और हवा जितनी ख़राब, सेहत पर उसका उतना ही बुरा असर पड़ता है. पर ये बातें तो आप हर साल सुनते हैं. सुनकर भूल जाते हैं.  चलिए, आज आपको कुछ ऐसा बताते हैं जो आप आसानी से भूल नहीं पाएंगे. यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट: 2024 के मुताबिक, भारत की हवा इतनी खराब है कि ये आपकी जिंदगी के 5 साल कम कर रही है. वहीं अगर आप दिल्ली या उसके आसपास रहते हैं, तो आपकी ज़िंदगी के लगभग 8 साल प्रदूषण की वजह से घट रहे हैं. 

लेकिन क्यों, ये आज हम डॉक्टर से जानेंगे. ये भी समझेंगे प्रदूषण में रहने से शरीर के अलग-अलग अंगों को क्या नुकसान पहुंचता है. और, इससे बचाव कैसे किया जाए. 

क्या प्रदूषण से ज़िंदगी के साल घटते हैं?

ये हमें बताया डॉ. प्रो. बॉबी भालोत्रा ने. 

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डॉ. प्रो. बॉबी भालोत्रा, वाइस चेयरमैन, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, सर गंगा राम हॉस्पिटल, दिल्ली

प्रदूषित हवा का लाइफ एक्सपेक्टेंसी (जीवन प्रत्याशा) पर गहरा असर पड़ता है. जीवन के लिए हवा, पानी और खाना बहुत ज़रूरी है. अगर किसी पौधे को भी प्रदूषित जगह पर उगाने की कोशिश करें या साफ पानी न दें तो वो पौधा अच्छे से पनप नहीं पाएगा. इसी तरह, इंसान को भी ताज़ी, प्रदूषण-फ्री हवा चाहिए.

प्रदूषण में रहने से शरीर के अलग-अलग अंगों को क्या नुकसान होता है?

प्रदूषण में सांस लेने से फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं. फेफड़ों में प्रदूषण जमने लगता है, जिससे वो सिकुड़ने लगते हैं. प्रदूषित हवा में PM 2.5 पार्टिकल्स होते हैं. PM 2.5 धूल, मिट्टी और केमिकल आदि के छोटे-छोटे कण हैं. जब ये पार्टिकल्स सांस के ज़रिए शरीर में घुसते हैं तो ऑक्सीज़न के साथ हर अंग में पहुंच जाते हैं. फिर ये हर अंग को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर फैलाने की कोशिश करते हैं. दिल की बीमारियों का रिस्क बढ़ाते हैं. जैसे दिल का दौरा पड़ना, दिल का कमज़ोर हो जाना. 

प्रदूषण से तुरंत असर तो पड़ता ही है, इसके लॉन्ग टर्म इफेक्ट भी होते हैं. व्यक्ति के फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं. दिल कमज़ोर हो जाता है. लिवर और किडनी पर भी प्रदूषित हवा का असर पड़ता है. ज़ाहिर है इन सबसे व्यक्ति की उम्र कम होती है.

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प्रदूषण से बचने के लिए मास्क लगाएं

प्रदूषण से शरीर में अंदरूनी सूजन भी होती है. जब प्रदूषित हवा सांस के ज़रिए अंदर जाती है. तब साइनस, नाक, कान और गले में प्रदूषण के कण चिपक जाते हैं. जिससे वहां पर रिएक्शन होता है. इस रिएक्शन की वजह से बलगम बनता है. छोटे-छोटे ज़ख्म भी होते हैं जिनमें इंफेक्शन हो जाता है. ये कण जो PM 2.5 से भी छोटे साइज़ के हैं. वो खून में मिलकर दिल और दिमाग की धमनियों पर असर डालते हैं, उनमें सूजन पैदा करते हैं. जिससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का रिस्क बढ़ जाता है. ऐसे में जब बीमारियां फैलेंगी तो व्यक्ति की उम्र कम हो जाएगी. इसलिए प्रदूषण से बचना बहुत ज़्यादा ज़रूरी है

पॉल्यूशन से बचने के लिए मास्क लगाएं. एयर प्योरिफायर का इस्तेमाल करें. जितना हो सके पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें. और, कोई भी ऐसा काम न करें, जिससे पॉल्यूशन फैले.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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