आपने घोड़े की नाल देखी है? U शेप की होती है. इसे घोड़े के पैरों में लगाया जाता है, ताकि उसके पैरों को चोट न लगे. घोड़ा सही से चल सके.
Horseshoe Kidney: बच्चे की किडनी घोड़े की नाल जैसी है तो ये दिक्कत की बात है
आमतौर पर, हमारी किडनियां आपस में जुड़ी नहीं होतीं. मगर कभी-कभार कुछ लोगों में ये किडनियां आपस में जुड़ जाती हैं.
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अब कई बार हमारे शरीर का एक अंग भी घोड़े की नाल जैसा दिखने लगता है. ये अंग है किडनी. कभी-कभी कुछ लोगों में किडनी, घोड़े के नाल जैसी दिखती है.
देखिए, हमारी दो किडनियां होती हैं. ये दोनों दिखने में राजमा जैसी लगती हैं. आमतौर पर, हमारी किडनियां आपस में जुड़ी नहीं होतीं. पर, कभी-कभार कुछ लोगों में ये किडनियां आपस में जुड़ जाती हैं. यानी दोनों किडनियों का निचला हिस्सा आपस में चिपक जाता है. इससे उनकी बनावट घोड़े की नाल जैसी हो जाती है. मेडिकल भाषा में, इसे हॉर्सशू किडनी (Horseshoe Kidney) कहते हैं.
ये एक जन्मजात बीमारी है. यूरोलॉजी केयर फाउंडेशन के मुताबिक, हॉर्सशू किडनी हर 500 में से 1 बच्चे में पाई जाती है. ऐसी किडनी होना दिक्कत की बात है. क्योंकि, तब बच्चों को कई परेशानियां होने लगती हैं.

ऐसे में, डॉक्टर से जानिए कि हॉर्सशू किडनी क्या है. किडनी घोड़े की नाल जैसी क्यों दिखने लगती है. इसके लक्षण क्या हैं. और, इससे बचाव व इलाज कैसे किया जाए.
हॉर्सशू किडनी क्या होती है?
ये हमें बताया डॉक्टर सिद्धार्थ कुमार सेठी ने.

किडनी के विकास के दौरान, किडनी भ्रूण के पेल्विक एरिया से धीरे-धीरे ऊपर पेट में अपनी जगह बनाती है. हॉर्सशू किडनी में दोनों किडनियों के निचले हिस्से (पोल) आपस में जुड़ जाते हैं, जिससे इनकी बनावट घोड़े की नाल (हॉर्सशू) जैसी हो जाती है.
हॉर्सशू किडनी के कारण
- कुछ बच्चों में जेनेटिक डिसऑर्डर, जैसे टर्नर सिंड्रोम, में हॉर्सशू किडनी देखी जाती है
- इसके अलावा, कुछ दूसरे जेनेटिक डिसऑर्डर्स में भी हॉर्सशू किडनी होने के चांस रहते हैं
हॉर्सशू किडनी के लक्षण
हॉर्सशू किडनी वाले 100 में से 50 बच्चों में VUR यानी वेसिकोयूरेट्रिक रिफ्लक्स हो सकता है. इसमें यूरिन किडनी से ब्लैडर (मूत्राशय) के बजाय वापस किडनी की ओर चला जाता है. वहीं करीब 100 में से 30 बच्चों में यूरिन इंफेक्शन हो सकता है. कुछ बच्चों में किडनी स्टोन्स भी बन सकते हैं. ऐसे बच्चों का रेगुलर अल्ट्रासाउंड कराना बहुत ज़रूरी है.
कुछ बच्चों को कैंसर की बीमारी भी हो सकती है. हालांकि, ऐसा होना बहुत रेयर है. फिर भी, नियमित अंतराल पर अल्ट्रासाउंड कराना ज़रूरी है.

हॉर्सशू किडनी से बचाव और इलाज
हॉर्सशू किडनी से बचाव के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान मां का अल्ट्रासाउंड कराना सबसे ज़रूरी है. इससे हॉर्सशू किडनी की दिक्कत पकड़ में आ सकती है. अगर इन बच्चों की किडनी में कहीं रुकावट या स्टोन हो, तो इसका सर्जरी से इलाज भी किया जा सकता है.
देखिए, वैसे तो हॉर्सशू किडनी होने पर आमतौर पर कोई गंभीर दिक्कत नहीं होती, लेकिन कभी-कभी कॉम्प्लिकेशंस हो सकती हैं. इसलिए, प्रेग्नेंसी में अल्ट्रासाउंड कराना ज़रूरी है ताकि दिक्कत को जल्दी पकड़ा जा सके. एक बार दिक्कत का पता चल जाए, तो समय पर इलाज कराना आसान हो जाता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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