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हर्निया होने पर कैसे पता चलेगा कि अब सर्जरी की ज़रूरत है? डॉक्टर से सबकुछ जानिए

हर्निया (Hernia) में जांघ के ऊपर, पेट, कमर या नाभि के आसपास उभार आ जाता है. इस उभार में बहुत दर्द भी होता है. लेकिन ये सब होता क्यों है? कैसे इससे बच सकते हैं? और कब इसमें सर्जरी की जरूरत पड़ती है?

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हर्निया का इलाज व्यक्ति की स्थिति और बीमारी की स्टेज पर निर्भर करता है

भारत के स्टार जेवलिन थ्रोअर. नीरज चोपड़ा. पेरिस ओलंपिक्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता. वैसे उम्मीद तो गोल्ड की थी, लेकिन नीरज चूक गए. खैर, ओलंपिक्स के बाद कई खबरें चलीं कि उनकी परफॉर्मेंस पर एक बीमारी ने बहुत बुरा असर डाला. इस बीमारी का नाम है हर्निया. 

दरअसल नीरज को काफी समय से इनगुइनल हर्निया (inguinal hernia) था. लेकिन, पेरिस ओलंपिक्स के चलते वो अपनी इस बीमारी पर ध्यान नहीं दे रहे थे. धीरे-धीरे दिक्कत बढ़ गई. फिर उनके पास आखिरी ऑप्शन बचा सर्जरी का.

वैसे सिर्फ नीरज ही नहीं, भारत में बहुत सारे लोग हर्निया से परेशान हैं. इसमें पेट के किसी हिस्से में पहले उभार आता है. वो सूज जाता है और दर्द करने लगता है. समय पर ध्यान न दिया जाए तो सर्जरी ही इकलौता रास्ता बचती है. लेकिन, हर्निया के मरीज़ों को कैसे पता चलेगा कि अब सर्जरी की ज़रूरत है. आज डॉक्टर साहब से यही जानेंगे. साथ ही समझेंगे कि हर्निया क्या है. ये क्यों होता है. किन लक्षणों से पता चलता है कि हर्निया सर्जरी की ज़रूरत है. और, इससे बचाव कैसे किया जाए. 

हर्निया क्या है?

ये हमें बताया डॉ. कविता वर्मा ने. 

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डॉ. कविता वर्मा, कंसल्टेंट, जनरल सर्जरी, मणिपाल हॉस्पिटल, पुणे

हर्निया के बारे में जानने से पहले पेट को समझना ज़रूरी है. हमारे पेट में दो हिस्से होते हैं. एक मस्कुलर वॉल, जिसमें स्किन और मसल्स होते हैं. दूसरा, अंदर का भाग जिसमें पेट और आंत जैसे अंग होते हैं. इन दोनों के बीच में एक पतली परत होती है. अगर ये परत कमज़ोर हो जाए तो बाहर की ओर बढ़ने लगती है. साथ ही, आंत भी बाहर आने लगती है. इसी को हर्निया कहते हैं. 

परत कहां कमज़ोर हुई है, उस हिसाब से हर्निया को नाम दिया जाता है. मसलन अगर ये नाभि पर कमज़ोर हुई है तो इसे अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical hernia) कहते हैं. अगर नाभि के पास हुई है तो इसे पैराअम्बिलिकल हर्निया (paraumbilical hernia) कहते हैं. परत ऊपरी हिस्से में कमज़ोर है तो इसे एपिगैस्ट्रिक हर्निया (epigastric hernia) कहते हैं. अगर निचले हिस्से (पेट और जांघ के बीच) में है तो इसे इनगुइनल हर्निया (inguinal hernia) कहते हैं. वहीं अगर पेट के ऑपरेशन के बाद हर्निया हुआ है तो इसे इंसिज़नल हर्निया (Incisional hernia) कहते हैं. 

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हर्निया पेट की मांसपेशियों में कमज़ोरी की वजह से होता है

हर्निया होने के क्या कारण होते हैं?

हर्निया पेट की मांसपेशियों में कमज़ोरी की वजह से होता है. कुछ वजहें हैं जिनसे हमारा इंट्रा-एब्डोमिनल प्रेशर (पेट के अंदर का दबाव) बढ़ जाता है और फिर पेट की परत कमज़ोर हो जाती है. जैसे अगर किसी को बहुत ज़्यादा खांसी आ रही हो. ब्रोन्कियल अस्थमा, एलर्जिक ब्रोंकाइटिस या कब्ज़ हो. जब कब्ज़ होता है तो स्टूल पास करने के लिए बहुत ज़ोर लगाना पड़ता है. अगर पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ी हुई है तो उन्हें यूरिन पास करने के लिए बहुत प्रेशर लगाना पड़ता है.

वहीं अगर आप जिम में बहुत ज़्यादा वेट उठाते हैं तो इससे भी हर्निया होने के चांस बढ़ जाते हैं. इसके अलावा, अगर कोई पेट का ऑपरेशन हुआ है. तो ऑपरेशन का निशान एक वीक पॉइंट है, जहां हर्निया हो सकता है.

किन लक्षणों से पता चलता है कि हर्निया सर्जरी की ज़रूरत है?

जब हर्निया का मरीज़ खड़ा होता है या खांसता है. तो उसे अपने वीक पॉइंट पर उभार दिखता है और सूजन महसूस होती है. ये उभार दबाने या लेटने पर वापस अंदर चला जाता है. इसमें दर्द भी नहीं होता है. लेकिन, जो आंत बाहर आ रही है, उसके अटकने का रिस्क होता है. इसे मेडिकल भाषा में ऑब्स्ट्रक्शन कहते हैं. 

ऑब्स्ट्रक्शन एक इमरजेंसी सिचुएशन है क्योंकि अटकी हुई आंत में खून की सप्लाई बंद हो जाती है. फिर उस आंत में गैंग्रीन हो सकता है. गैंग्रीन में शरीर के कुछ खास हिस्सों में टिशूज़ नष्ट होने लगते हैं, जिससे वहां घाव बन जाता है जो लगातार फैलता रहता है. लिहाज़ा हर तरह के हर्निया के लिए इलाज़ ज़रूरी है ताकि गैंग्रीन की स्थिति न आने पाए. 

शुरू में जो उभार दर्द नहीं दे रहा था, अगर वो दर्द देने लगे या उसकी सूजन खत्म न हो. तो इसका मतलब आंत अटक रही है. ऐसे में मरीज़ों को जल्द से जल्द इलाज की ज़रूरत होती है. हर्निया में ऑपरेशन ही इकलौता इलाज है. हालांकि उभार की जगह के आधार पर ऑपरेशन अलग-अलग तरह के हो सकते हैं.

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खूब खांसी आती हो तो अपनी खांसी का इलाज कराएं (सांकेतिक तस्वीर)

हर्निया से बचाव कैसे करें?

हर्निया से बचाव किया जा सकता है. इसके लिए पेट पर जिस वजह से प्रेशर पड़ रहा है. उस वजह को दूर करना होगा. जैसे अपनी खांसी का उपचार कराएं. कब्ज़ और प्रोस्टेट ग्रंथि का इलाज कराएं. अनरेगुलेटेड जिम एक्टिविटी न करें. हमेशा इंस्ट्रक्टर के सुपरविज़न में ही वेट उठाएं. कभी भी अचानक वेट न उठाएं. अगर आप ये सब करेंगे तो हर्निया होने के चांस कम हो जाएंगे.

हर्निया का इलाज क्या होगा, ये व्यक्ति की स्थिति और बीमारी की स्टेज पर निर्भर करता है. अगर आप परहेज़ और सतर्कता बरतें, तो कई मामलों में ये खुद से ठीक हो जाता है. लेकिन, अगर लापरवाही हुई तो सर्जरी के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचता. हर्निया की सर्जरी कराने में 50 हज़ार से लेकर 1 लाख रुपए तक का खर्च आता है. हालांकि कुछ मामलों में ये खर्च और ज़्यादा बढ़ सकता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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