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डायबिटीज़ से परेशान हैं, तो खाने-पीने को लेकर आपको ये सलाह ज़रूर मान लेनी चाहिए!

खाने-पीने की किन चीज़ों में शुगर छिपी होती है और पैकेटबंद चीज़ों के लेबल पर क्या ज़रूर चेक करें? डायबिटीज़ के मरीज़ को कौन-सी एक्सरसाइज करनी चाहिए, ये सब जानकारी डॉक्टरों से जानिए.

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डायबिटीज़ वालों के लिए हेल्दी स्नैकिंग ज़रूरी है. (सांकेतिक तस्वीर)

अगर आपको या आपके घर में किसी को डायबिटीज़ है तो आपकी पूरी कोशिश होती है कि शुगर कम से कम खाई जाए. घर में मिठाई नहीं आती. चाय में शक्कर नहीं डाली जाती. बिस्किट ऐसे खरीदे जाते हैं, जिन पर 'नो ऐडेड शुगर' लिखा हो. मगर इतनी मेहनत के बावजूद आप रोज़ ऐसी बहुत सी चीज़ें खा रहे हैं, जिनमें शुगर छिपी है और आपको पता भी नहीं. जो बिस्किट आप 'शुगर मुक्त' समझकर खा रहे हैं, वो दरअसल छलावा हैं.

हम बाज़ार से ऐसी बहुत सारी चीज़ें ख़रीदकर लाते हैं, जिनमें शुगर होती है. बस हमें पता नहीं होता. पर आपने घबराना नहीं है. पैकेटबंद चीज़ें ख़रीदने से पहले उनका लेबल पढ़ना है. सारे राज़ अपने आप खुल जाएंगे और आप सही फैसला ले पाएंगे. लेकिन आप ये चोरी पकड़ेंगे कैसे? इसके लिए हमने तीन डॉक्टर्स से बात की. डॉ सुनील ढंड, ढंड डायबिटीज़ केयर, जयपुर, डॉ सुबोध जैन, फिज़ीशियन एंड डायबेटोलॉजिस्ट, डायबिटीज़ केयर एंड रिसर्च सेंटर, प्रयागराज और डॉ स्वाती श्रीवास्तव, सीनियर प्रोफेसर एंड यूनिट केयर, एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर से.

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डॉ. सुबोध, डॉ. (प्रो) स्वाती, डॉ. सुबोध 
खाने-पीने की किन चीज़ों में शुगर छिपी होती है?

खाने की कई चीज़ों में छिपी हुई शुगर होती है. जैसे बिस्कुट, तली-भुनी और फैटी चीज़ों में. इनसे बहुत ज़्यादा कैलोरीज़ मिलती हैं. चीनी, शहद और मिठाई से परहेज़ करना अच्छी बात है. लेकिन अगर आप तली हुई चीज़ें और बिस्कुट खा रहे हैं, जिनमें ज़्यादा कैलोरीज़ होती हैं तो इनसे दूरी बनाना ज़रूरी है.

इससे इतर, लोगों में एक भ्रम है कि आलू और चावल खाने से शुगर बढ़ती है. डायबिटीज़ वालों के लिए आलू और चावल बिल्कुल भी मना नहीं है. दरअसल, चावल और आलू खाने से कैलोरी या शुगर बढ़ने की संभावना स्टार्च की वजह से होती है. इसलिए हमें इन्हें अलग तरीके से बनाना चाहिए. 

जैसे अगर चावल को ज़्यादा पानी में उबालें और उसमें जितना भी स्टार्च (माड़) है, उसे निकाल दें. तो हम दोनों मील में चावल खा सकते हैं, जैसे दक्षिण भारत और पश्चिम बंगाल के लोग खाते हैं. यानी चावल खाना बिल्कुल मना नहीं है. इसी तरह, अगर हम आलू उबालकर खाएं क्योंकि उसके पानी में ज़्यादातर स्टार्च आ जाता है तो ऐसा आलू खाने में कोई दिक्कत नहीं है. कुल मिलाकर, डायबिटीज़ वालों के लिए आलू और चावल मना नहीं है.

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पैकेटबंद चीज़ों का लेबल ज़रूर चेक करें
पैकेटबंद चीज़ों के लेबल पर क्या ज़रूर चेक करें?

हर फूड पैकेट के ऊपर फूड लेबलिंग रहती है जो आगे, पीछे और किनारों पर दी जाती है. लेबलिंग पर लिखा रहता है कि उसमें कितनी सर्विंग्स हैं, और प्रति सर्विंग में कितनी कैलोरीज़, कार्बोहाइड्रेट्स, ऐडेड शुगर या ज़ीरो शुगर है. ज़्यादातर फूड पैकेट्स पर भले ज़ीरो शुगर लिखा रहता हो, मगर उनमें इनबिल्ट शुगर भी होती है. इसलिए, खरीदारी करते समय हमेशा फूड लेबल्स चेक करें. देखें कि उसमें प्रति सर्विंग्स पर कितनी कैलोरीज़, कार्ब्स और ऐडेड शुगर है.

आजकल पैकेटबंद जूस आते हैं. इन पर नो ऐडेड शुगर लिखा होता है लेकिन फिर भी इनमें इनबिल्ट शुगर होती है. जैसे अगर 150 ml के आसपास पैकिंग है तो उसमें करीब 14 ग्राम शुगर होती ही है. इसलिए, खरीदने पर ये ज़रूरी देखें कि पैकेट में कितनी शुगर है और सेहत के लिए वो कितनी फायदेमंद या नुकसानदेह है.

बहुत सारे कोल्ड ड्रिंक्स पर ज़ीरो शुगर लिखा होता है. इसका मतलब ये नहीं कि इनमें ज़ीरो शुगर है. इनमें इनबिल्ट शुगर तो होती ही है जो हमारे लिए हानिकारक है.

मीठे स्नैक्स के हेल्दी विकल्प

- सब्ज़ियों का सूप

- सेब, अमरूद और पपीता जैसे फल

- मेवे और भुना चना 

- रोस्टेड यानी सिके हुए स्नैक्स

- दही और छाछ 

- ताज़े काले चने या अंकुरित मूंग

मीठे से क्यों हो जाती है डायबिटीज़?

जब हम मीठा खाते हैं तो उनमें ग्लूकोज़, माल्टोज़, सूक्रोज़ और फ्रक्टोज़ जैसे कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जिन्हें पाचन की बहुत कम आवश्यकता होती है. ये सीधे खून में घुल जाते हैं इसीलिए इसे खाने के बाद शुगर लेवल तेज़ी से बढ़ता है.

डायबिटीज़ में एक्सरसाइज़ क्यों ज़रूरी?

शुगर कंट्रोल करने में एक्सरसाइज़ की बहुत अहम भूमिका है. ये ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और वज़न कंट्रोल करती है. भारत में जितने भी डायबिटीज़ के मरीज़ हैं, उनमें से 95 फ़ीसदी को टाइप 2 डायबिटीज़ है. टाइप 2 डायबिटीज़ का मुख्य कारण इंसुलिन रेज़िस्टेंस है. इस इंसुलिन रेज़िस्टेंस होने की वजह फिज़िकली एक्टिव न होना, असंतुलित डाइट और स्ट्रेस हैं. 

जब हम एक्सरसाइज़ करते हैं तब इंसुलिन रेज़िस्टेंस कम होता है और इंसुलिन सेंसेटिविटी बढ़ती है. ओवरवेट होने पर इंसुलिन सही तरीके से शरीर में काम नहीं कर पाता. इस वजह से इंसुलिन रेज़िस्टेंस होने लगता है. इस रेज़िस्टेंस को खत्म करने के लिए एक्सरसाइज़ बहुत ज़रूरी है. एक्सरसाइज़ करने से वज़न भी कम होता है. वज़न कम होने से ब्लड शुगर लेवल कम होते हैं. ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में आता है. ट्राइग्लिसराइड और LDL कोलेस्ट्रॉल के लेवल भी काफी कम होते हैं. साथ ही, HDL कोलेस्ट्रॉल (जिसे अच्छा माना जाता है) का लेवल बढ़ जाता है.

एक्सरसाइज़ न करने पर वज़न बढ़ जाता है. डायबिटीज़ बढ़ जाती है. ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है. इस वजह से हार्ट अटैक, किडनी फ़ेलियर, लिवर फ़ेलियर के चांस भी बढ़ जाते हैं. महिलाओं में PCOD के मामले बढ़ जाते हैं. यानी हर व्यक्ति के लिए चलना बहुत ज़रूरी है.

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अपने डॉक्टर से पूछना ज़रूरी कि कौन-सी एक्सरसाइज़ करनी चाहिए (सांकेतिक तस्वीर)
डायबिटीज़ के मरीज़ कौन-सी एक्सरसाइज करें?

एक्सरसाइज़ मुख्य रूप से तीन तरह की होती हैं- एरोबिक्स, रेज़िस्टेंस और फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज़. एरोबिक्स एक्सरसाइज़ को बार-बार एक लय में किया जाता है. जैसे चलना, दौड़ना, तैरना और साइकिल चलाना. इसमें हमारी मांसपेशियां एक ही काम बार-बार करती हैं. एरोबिक्स रेगुलर रेपिटेटिव एक्सरसाइज़ होती है. ये सबसे आम एक्सरसाइज़ है. गाइडलाइंस के मुताबिक, हफ्तेभर में 150 मिनट एरोबिक्स एक्सरसाइज़ करनी चाहिए. रोज़ के हिसाब से देखें तो प्रति दिन 20 मिनट पर्याप्त रहेंगे. हालांकि किस स्पीड पर चलना या दौड़ना है, ये आपकी क्षमता और आदत पर निर्भर करता है.

अगर आप बिल्कुल नहीं चल रहे और अब डॉक्टर ने चलने की सलाह दी है तो एकदम से अपनी स्पीड न बढ़ाएं. आप धीरे-धीरे आराम से एक्सरसाइज़ करें. इस तरह से कि एक्सरसाइज़ भी हो और आपको अच्छा भी लगे. अगर दिक्कत महसूस हो रही है तो इसका मतलब वो एक्सरसाइज़ आपके लिए सही नहीं है.

अब आती हैं स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज़. ये मांसपेशियों को ताकत देती हैं. इन्हें रेज़िस्टेंस एक्सरसाइज़ भी कहा जाता हैं. इनमें वेट उठाया जाता है, शरीर को वज़न बनाकर भी कई स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज़ की जाती हैं. हालांकि ये एक्सरसाइज़ डॉक्टर की सलाह पर ही करें. अगर इन्हें सही तरीके से न किया जाए तो चोट लगने के चांस होते हैं.

तीसरी हैं, फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज़. इन्हें करके बैलेंस बनाना सीखते हैं. बैलेंस के लिए जापान में ताई ची और भारत में योग है. ये बहुत ज़रूरी एक्सरसाइज़ हैं. इनसे संतुलन सुधरता है और शरीर लचीला बनता है. 

अगर रोज़ एक्सरसाइज़ कर रहे हैं तो प्रति दिन 20 से 30 मिनट करें. अगर रोज़ नहीं कर सकते तो हफ्ते में 5 दिन एक्सरसाइज़ करें. कोशिश करें कि जिन दो दिनों पर आपने एक्सरसाइज़ नहीं की है, वो लगातार न हों. अगर लगातार 2 दिन एक्सरसाइज़ नहीं करेंगे तो ये शरीर के लिए सही नहीं होगा. जैसे अगर आज एक्सरसाइज़ नहीं की तो आप 4 दिन बार दूसरा गैप दे सकते हैं.

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मीठा खाएं लेकिन किसी चींटी की तरह नहीं
डायबिटीज़ में किस तरह की डाइट लें?

- संतुलित आहार लें, जैसे रोटी, सब्ज़ी, दाल, चावल.

- सभी तरह की सब्ज़ियां ले सकते हैं.

- सर्दियों में गोभी, परवल, टमाटर, मटर खा सकते हैं.

- गर्मियों में भिंडी ले सकते हैं, करेला खा सकते हैं.

- कई मरीज़ करेले या लौकी का जूस पीते हैं तो उन्हें जूस के बजाय इसकी सब्ज़ी खानी चाहिए.

- जिन सब्ज़ियों में म्यूसिन ज़्यादा होता है, जैसे भिंडी, उन्हें भिगोकर उनके पानी का इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है. ये हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज़ के डायरेक्ट एब्जॉर्प्शन में देरी करता है.

- खाने में फैट और तली-भुनी चीज़ें कम हों.

आपकी थाली में प्रोटीन ज़रूर हो. आमतौर पर हमारी थाली में 60-70% कार्बोहाइड्रेट होता है, 20-25% फैट होता है. लेकिन हमारी थाली में 5% भी प्रोटीन नहीं होता इसलिए प्रोटीन ज़रूर लें. आप दालें, अंडा खा सकते हैं. अगर कोई नॉन-वेज खाता है तो वो रोस्टेड चीज़ें ले सकते हैं. जैसे मछली, चिकन और वाइट मीट. मटन और रेड मीट को अवॉइड करें. इस तरह की संतुलित डाइट से शुगर का कंट्रोल अच्छा रहेगा.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहतः अपने साथ और कितनी बीमारियां लेकर आती है डायबिटीज़? डॉक्टर ने बताया