गुलियन बैरे सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome) या GBS एक डिसऑर्डर है, जो वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है. पुणे में 59 लोगों को गुलियन बैरे सिंड्रोम हुआ है. 59 में से 12 लोग वेंटिलेटर पर हैं. महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने एक टीम का गठन किया है, जो इस बीमारी के फैलने का कारण पता लगाएगी.
पुणे में फैल रहा है 'गुलियन बैरे सिंड्रोम', डॉक्टर से जानिए क्या है ये?
पुणे में 59 लोगों को हुआ गुलियन बैरे सिंड्रोम. 12 वेंटिलेटर पर हैं.

आज हम डॉक्टर से जानेगें कि गुलियन बैरे सिंड्रोम क्या है, ये कैसे फैलता है और इसका इलाज क्या है?
गुलियन बैरे सिंड्रोम क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर मधुकर त्रिवेदी ने.
गुलियन बैरे सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome) या GBS एक रेयर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. यानी आमतौर पर इसके मामले नहीं देखे जाते हैं. गुलियन बैरे सिंड्रोम में पेरीफेरल नर्व्स ( Peripheral Nervous System) डैमेज हो जाती हैं. इस वजह से हाथ-पैरों में कमजोरी आने लगती है. GBS के बारे में जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि ये एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. अगर समय रहते GBS की जांच कर इलाज किया जाए तो मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है.
किस कारण से होता है गुलियन बैरे सिंड्रोम?> गुलियन बैरे सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Autoimmune Neurological Disorder) है.
> यानी हमारे शरीर की इम्यूनिटी जो हमें बीमारियों से बचाती है, गलती से हमारी पेरीफेरल नर्व्स पर हमला बोल देती हैं.
> पेरीफेरल नर्व्स के डैमेज होने से नर्वस सिस्टम में सूजन आ जाती है.
> इस वजह से हाथ-पैरों में कमजोरी आने लगती है.
> गुलियन बैरे सिंड्रोम किस कारण से होता है, उसके बारे में अभी तक ठीक से कुछ पता नहीं चल पाया है.
> लेकिन ऐसा माना जाता है कि ज्यादातर मामलों में GBS किसी वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण ही होता है.
> पिछले कुछ सालों में कोरोना वायरस और जीका वायरस (Zika virus) जैसे वायरल इंफेक्शन GBS के प्रमुख कारण रहे हैं.
> आमतौर पर कैम्पाइलोवैक्टर (Campylobacter) बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण लगने वाले दस्त के बाद गुलियन बैरे सिंड्रोम की समस्या हो सकती है.
गुलियन बैरे सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?- गुलियन बैरे सिंड्रोम में अचानक से हाथ-पैरों में कमजोरी महसूस होने लगती है.
- आमतौर पर पहले पैरों में कमजोरी महसूस होती है फिर हाथों में भी ऐसा होता है. साथ ही कुछ मरीजों को गर्दन में भी कमजोरी महसूस होती है.
- कुछ मामलों में मरीजों को सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है, ऐसे में उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है.
- GBS के लक्षण कुछ घंटों से लेकर 3-4 दिनों तक दिखाई दे सकते हैं. कई बार 1 से 2 हफ्तों तक भी ये लक्षण दिखते हैं.
- अगर समय रहते GBS का इलाज नहीं किया गया तो ये खतरनाक और जानलेवा भी हो सकता है.
इलाज- गुलियन बैरे सिंड्रोम का इलाज दो तरीकों से किया जाता है.
- पहला तरीका है इंट्रावीनस इम्युनोग्लोबुलिन (Intravenous Immunoglobulin) या IVIG.
- दूसरा तरीका है प्लाज्माफेरेसिस (Plasmapheresis).
- सही जांच के बाद ही हॉस्पिटल में इन दोनों तरीकों से मरीज का इलाज किया जाता है.
- इसलिए ये जरूरी है कि अगर हाथ-पैरों में कमजोरी महसूस हो रही है, खासकर किसी इंफेक्शन या दस्त के बाद. और कमजोरी बढ़ती ही जा रही है, तो तुरंत किसी न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाएं ताकि समय रहते GBS का इलाज हो सके.
- ज्यादातर मामलों में सही इलाज के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है.
गुलियन बैरे सिंड्रोम क्या होता है, ये आपने समझ लिया. हालांकि ये एक रेयर बीमारी है, पर इसके केस अचानक बढ़ने से इसके बारे में सही जानकारी होना बेहद ज़रूरी है. अक्सर किसी इंफेक्शन के बाद बॉडी को रिकवर करने में कुछ समय लगता है, इस दौरान हाथ-पैरों में कमजोरी महसूस होती है. लेकिन अगर ये कमजोरी 3-4 दिनों तक महसूस हो रही है साथ ही गर्दन में दर्द और सांस लेने में भी दिक्कत महसूस हो रही है तो एक बार डॉक्टर को जरूर दिखा लें.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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