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समोसे, फ्राइज़, फ्राइड चिकन के शौक़ीन हैं? जानिए इनसे डायबिटीज़ का ख़तरा क्यों है?

समोसे. छोले-भठूरे. ग्रिल्ड चिकन. तले हुए पकौड़े. वाह! नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ गया न? लेकिन, यही सारी फ्राइड और ग्रिल्ड चीज़ें, डायबिटीज़ के ख़तरे को बढ़ाती हैं.

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खाने को तलने या ग्रिल करने के बजाय उबालें या भाप में बनाएं

समोसे. छोले-भठूरे. ग्रिल्ड चिकन. तले हुए पकौड़े. वाह! नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ गया न? इन तली-भुनी चीज़ों को जितना खाओ, जीभ को उतना ही स्वाद मिलता है. है न? लेकिन, यही सारी फ्राइड और ग्रिल्ड चीज़ें, डायबिटीज़ के ख़तरे को बढ़ाती हैं.

हमारा देश डायबिटीज़ कैपिटल ऑफ़ द वर्ल्ड कहलाता है. दुनियाभर में डायबिटीज़ के जितने भी केसेज़ हैं, उनमें लगभग 25 फ़ीसदी अकेले भारत में हैं.  The Lancet Journal में छपी एक स्टडी के मुताबिक, दुनियाभर में 82 करोड़ से ज़्यादा डायबिटीज़ के मरीज़ हैं. इनमें से 21 करोड़ से ज़्यादा भारत में रहते हैं.

जानते हैं इसकी वजह क्या है? इसकी एक बड़ी वजह है, एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स. यानी AGEs. ये AGEs फ्राइड और ग्रिल्ड खाने की चीज़ों में पाए जाते हैं.

कुछ समय पहले ICMR, Madras Diabetes Research Foundation और कुछ दूसरे संस्थानों ने इससे जुड़ी एक स्टडी की थी. इसे International Journal of Food Sciences and Nutrition में छापा भी गया था.

इसमें भी यही बात निकलकर सामने आई थी. मगर, ये एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स हैं क्या, ये आज हम जानेंगे. डॉक्टर से समझेंगे इन AGEs से डायबिटीज क्यों होती है. खाने की किन चीज़ों में एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स पाए जाते हैं. और, डायबिटीज से बचना है तो क्या चीज़ें खाना ज़रूरी है.
 

एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs)क्या हैं?

ये हमें बताया डॉ. ऐश्वर्या कृष्णमूर्ति ने.

Dr. Aishwarya Krishnamurthy - Endocrinology & Diabetes, Book Online  Appointment, Video Consultation, Check OPD Timings, View Fees | Max Hospital
डॉ. ऐश्वर्या कृष्णमूर्ति, सीनियर कंसल्टेंट, एंडोक्राइनोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गाज़ियाबाद

एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs) तब बनते हैं, जब ग्लूकोज़ शरीर में फ़ैट, प्रोटीन या DNA से जुड़ता है. ये प्रक्रिया शरीर में आमतौर पर होती है. इसकी वजह से एजिंग, डायबिटीज़ और दूसरे कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं. वैसे तो AGEs का लेवल सामान्य रहता है. मगर जब ब्लड ग्लूकोज़ लेवल लंबे समय तक बढ़ा रहता है, तब शरीर में AGEs की मात्रा बढ़ने लगती है. इसके अलावा, खाने-पीने की कुछ चीज़ों में भी AGEs होते हैं, जो इसे शरीर में बढ़ा सकते हैं.

एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs) से डायबिटीज क्यों होती है?

- एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs) इंसुलिन हॉर्मोन के खिलाफ प्रतिरोध यानी इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ाते हैं

- इसकी वजह से शरीर में इंसुलिन का लेवल बढ़ जाता है

- फिर शुगर कंट्रोल से बाहर जाने लगता है

- AGEs के कारण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है (ये तब होता है जब शरीर के फ्री रेडिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स के बीच असंतुलन हो जाता है)

- इससे शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचता है

- डायबिटीज़ के मरीजों में इससे कॉम्प्लिकेशन रेट बढ़ जाता है

- AGEs शरीर में इंफ्लेमेशन यानी आंतरिक सूजन भी बढ़ाते हैं

- इंफ्लेमेशन से इंसुलिन का असर कम हो जाता है और वो अपना काम ठीक से नहीं कर पाता

- यही वजह है कि एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स के चलते डायबिटीज़ हो जाती है  

- जिन्हें पहले से ही डायबिटीज़ है, उनमें इससे जुड़ी कॉम्प्लिकेशंस बढ़ने लगती हैं

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एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स उन चीज़ों में ज़्यादा होते हैं, जिन्हें ज़्यादा तापमान  पर पकाया जाता है
खाने की किन चीज़ों में एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स पाए जाते हैं?

- एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स उन चीज़ों में ज़्यादा होते हैं, जिन्हें ज़्यादा तापमान  पर पकाया जाता है

- जैसे फ्राइड फ़ूड्स, ग्रिल्ड फ़ूड्स और फ़ास्ट फ़ूड्स

- पैकेज्ड फ़ूड्स में भी AGEs की मात्रा ज़्यादा होती है. जैसे चिप्स, कुकीज़ वगैरह

- ज़्यादा तापमान  पर बनाए जाने वाले डेयरी प्रोडक्ट्स में भी खूब AGEs होते हैं

- जैसे चीज़, क्रीम और मक्खन

- हालांकि इन्हें कम करने के भी तरीके हैं

- जैसे खाने को तलने या ग्रिल करने के बजाय उबालें या भाप में बनाएं

- साबुत अनाज, फल, और सब्ज़ियां ज़्यादा खाएं

- फ़ास्ट फ़ूड कम खाएं

एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स से सिर्फ डायबिटीज़ का ख़तरा ही नहीं है. ये दिल की बीमारियों, किडनी फ़ेलियर और एल्ज़ाइमर्स का रिस्क भी बढ़ाते हैं. इसलिए, ऐसी चीज़ें खाइए जिनमें AGEs कम है. या नहीं है. जैसे फल, हरी   सब्ज़ियां और अनाज. फ्राइड चीज़ें खाने से बचिए. साथ ही, तेल खाने में ज़्यादा इस्तेमाल न करें.  

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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