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ये बुखार चढ़ता ही क्यों है? इसे उतारने की दवा लेना कब सेफ है?

जब वायरस और बैक्टीरिया जैसे बाहरी दुश्मन शरीर पर हमला करते हैं. तब शरीर उनसे लड़ता है. इस दौरान शरीर का अंदरूनी तापमान बढ़ जाता है. यही कहलाता है बुखार.

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बुखार की दवा लेना सुरक्षित है

गला खराब हुआ. बुखार आ गया. पेट खराब हुआ. बुखार आ गया. ठंड लग गई. बुखार आ गया. यानी बुखार आना शरीर का एक बहुत आम रिस्पॉन्स है. जब भी शरीर पर कोई बाहरी दुश्मन हमला करता है. जैसे वायरस या बैक्टीरिया. तो शरीर उनसे लड़ता है. इस दौरान शरीर का अंदरूनी तापमान बढ़ जाता है. यही बढ़ा हुआ तापमान बुखार (Fever) कहलाता है. आमतौर पर, शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट होता है. मगर बुखार आने पर ये टेम्प्रेचर बढ़ जाता है. वो 100 डिग्री फॉरेनहाइट या उससे भी पार पहुंच जाता है.

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शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट होता है. मगर बुखार आने पर ये टेम्प्रेचर बढ़ जाता है.  (सांकेतिक तस्वीर)

कई लोग थोड़ा-सा बुखार चढ़ने पर तुरंत बुखार की दवा खा लेते हैं. यहां तक कि 99 डिग्री फॉरेनहाइट होने पर भी. लेकिन, क्या ऐसा करना चाहिए. ये डॉक्टर साहब से जानेंगे. समझेंगे कि बुखार क्यों चढ़ता है. क्या बुखार उतारने के लिए, बुखार की दवा लेनी चाहिए. बुखार की कौन सी दवा सबसे सेफ है. और, इस दवा को कब-कब खाना चाहिए.

बुखार क्यों चढ़ता है?

ये हमें बताया डॉक्टर राजीव डांग ने.

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डॉ. राजीव डांग, मेडिकल डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, मैक्स हॉस्पिटल, गुरुग्राम

बुखार चढ़ने की कई वजहें हो सकती हैं. एक वजह धूप की गर्मी में काम करना है. इससे शरीर का तापमान बढ़ता है. इसके अलावा, जब शरीर में कीटाणु प्रवेश करते हैं, तो वे टॉक्सिंस (विषैले पदार्थ) पैदा करते हैं. जैसे-जैसे टॉक्सिंस पैदा होते जाते हैं, वैसे-वैसे बुखार बढ़ता जाता है. टॉक्सिंस पैदा करने की क्षमता हर कीटाणु में अलग होती है. इस वजह से कुछ मरीज़ में लगातार बुखार रहता है, तो कुछ में टूट-टूटकर आता है. बुखार तब टूटता है, जब टॉक्सिंस का असर खत्म हो जाता है. या जब मरीज़ को बुखार की दवा दी जाती है. बुखार की दवा खाने से खून की नलियां खुल जाती हैं. इससे शरीर की सारी गर्मी, पसीने के रूप में बाहर निकल जाती है.

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एक एडल्ट मरीज़ को बुखार की दवा हर छह घंटे में दी जा सकती है

बुखार उतारने के लिए दवा लेनी चाहिए?

बुखार की दवा लेना सुरक्षित है. एक एडल्ट मरीज़ को बुखार की दवा हर छह घंटे में दी जा सकती है. बस ये ध्यान रखें कि दवा खाली पेट न लें. जिन मरीज़ों को लिवर या किडनी से जुड़ी दिक्कत है, वो बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न खाएं. परेशानी तब होती है, जब लोग अलग-अलग दवाइयों का कॉम्बिनेशन लेने लगते हैं. ऐसा करना जोखिम भरा हो सकता है. 

इसके बजाय, पूरे शरीर पर ठंडे पानी की पट्टी करना बेहतर है. ये सबसे सुरक्षित तरीका है. हालांकि, इसके लिए थोड़े संयम की ज़रूरत होती है.

वैसे क्रोसिन को एक सुरक्षित दवा माना जाता है. अगर तेज़ बुखार है तो क्रोसिन ली जा सकती है. अगर बुखार कम है और बदन में काफी दर्द है तो भी क्रोसिन ली जा सकती है. ये सिरदर्द और बुखार दोनों में अच्छा काम करती है. दूसरी दवाइयों के मुकाबले, इसे ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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