क्या आपके साथ भी ऐसा होता है? ज़ोरों की खांसी आती है और उसके बाद सिर में दर्द शुरू हो जाता है?
जोर से खांसी आने पर होने लगता है सिर में दर्द, डॉक्टर से सबकुछ समझ लीजिए
जब खांसी की वजह से सिरदर्द हो तो उसे कफ हेडेक कहते हैं.
ऐसा क्यों होता है, ये हमें बताया डॉक्टर कुलदीप कुमार ग्रोवर ने.
कफ हेडेक
जब खांसी की वजह से सिरदर्द हो तो उसे कफ हेडेक (Cough Headache) कहते हैं. कफ हेडेक दो तरह का होता है. प्राइमरी कफ हेडेक और सेकेंडरी कफ हेडेक.
प्राइमरी कफ हेडेक
इस तरह के सिरदर्द का मूल कारण अभी तक पता नहीं चल सका है. हालांकि, ऐसा माना जाता है कि खांसने से सीने और पेट पर दबाव पड़ता है. ये दबाव बढ़कर सिर तक महसूस होता है. जिससे सिरदर्द होता है. आमतौर पर, प्राइमरी कफ हेडेक से कोई नुकसान नहीं होता. कुछ देर बाद, यानी आधे-एक घंटे बाद, ये अपने आप ही ठीक हो जाता है. ये ज़्यादातर 40 पार कर चुके लोगों में होता है.
प्राइमरी कफ हेडेक सिर के आगे वाले हिस्से या सिर के दोनों तरफ महसूस होता है. ये तेज़, चुभने वाला दर्द होता है. ऐसा लगता है, जैसे सिर फटा जा रहा हो. मगर थोड़ी देर बाद, सिरदर्द कम होने लगता है. फिर कुछ घंटों बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है.
सेकेंडरी कफ हेडेक
ये सिरदर्द थोड़ा गंभीर होता है. दरअसल, खांसी इस तरह के सिरदर्द को ट्रिगर ज़रूर करती है. मगर ये शुरू दिमाग की किसी दिक्कत की वजह से होता है. जैसे अगर किसी की खोपड़ी का आकार असामान्य है. ब्रेन ट्यूमर है. सेरिबैलम में कुछ दिक्कत है. सेरिबैलम ब्रेन का एक हिस्सा है, जो दिमाग में पीछे की तरफ़ मौजूद होता है. ये शरीर का संतुलन बनाए रखता है. या फिर दिमाग से जुड़ी कोई और दिक्कत है. ये ज़्यादातर 40 से कम उम्र के लोगों में होता है.
सेकेंडरी कफ हेडेक देर तक रहता है. इसमें सिर के पिछले हिस्से में दर्द होता है. तेज़, चुभने वाला दर्द. ऐसा लगेगा, जैसे सिर फटा जा रहा है. बिल्कुल वैसे ही जैसे प्राइमरी कफ हेडेक में होता है. हालांकि इस सिरदर्द में कुछ दूसरे लक्षण भी दिखाई देते हैं. जैसे चक्कर आना, बेहोशी छाना, बैलेंस बिगड़ना, कान में घंटियां बजना और धुंधला दिखाई देना.
इलाज
अगर आपको किसी भी तरह का कफ हेडेक है. या बार-बार होता है. तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. प्राइमरी कफ हेडेक में कुछ दवाइयां दी जाएंगी. वहीं सेकेंडरी कफ हेडेक में, उस खास बीमारी का इलाज करके सिरदर्द ठीक किया जाएगा.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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