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क्या नसबंदी रिवर्स की जा सकती है? इससे सेक्स पावर पर कितना असर पड़ता है?

नसबंदी एक स्थाई प्रक्रिया है. इसमें अंडकोष के ऊपर से निकलने वाली वास डिफरेंस नली को एक छोटे से ऑपरेशन द्वारा बंद कर दिया जाता है, ताकि शुक्राणु बाहर न जा सकें.

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कइयों को लगता है कि नसबंदी से सेक्स लाइफ पर असर पड़ता है (क्रेडिट: Getty Images)

नसबंदी. जब भी कोई व्यक्ति इसे कराने के बारे में सोचता है, तो उसके मन में कुछ सवाल ज़रूर उठते हैं. मसलन, कहीं उसकी सेक्सुअल लाइफ पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा? कहीं उसकी सेक्स करने की इच्छा तो नहीं घट जाएगी? इन ख्यालों के चलते इंसान अक्सर नसबंदी कराने का फैसला टाल देता है.

नसबंदी को लेकर ये सवाल मन में आना जायज़ बात है. तो चलिए, आज इन्हीं सवालों के जवाब खोजते हैं. डॉक्टर से जानते हैं कि नसबंदी आखिर है क्या. ये क्यों की जाती है. कैसे की जाती है. ये भी समझेंगे कि क्या नसबंदी कराने से सेक्स लाइफ पर कोई असर पड़ता है. नसबंदी के क्या दूसरे साइड इफेक्ट्स भी हैं. और, अगर कोई नसबंदी को रिवर्स कराना चाहे तो क्या ये मुमकिन है. 

वासेक्टोमी या पुरुष नसबंदी क्या होती है?

ये हमें बताया डॉक्टर अभिनंदन मुखोपाध्याय ने. 

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डॉ. अभिनंदन मुखोपाध्याय, सीनियर कंसल्टेंट, यूरोलॉजी एंड एंड्रोलॉजी, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

नसबंदी कर के पुरुषों की प्रजनन क्षमता को रोका जाता है. ये एक स्थाई प्रक्रिया है. इसमें अंडकोष के ऊपर से निकलने वाली वास डिफरेंस नली को एक छोटे से ऑपरेशन द्वारा बंद कर दिया जाता है, ताकि शुक्राणु बाहर न जा सके.

नसबंदी क्यों की जाती है?

नसबंदी कराने की सलाह उन्हें दी जाती है, जिन्हें और बच्चे नहीं चाहिए. जिनका परिवार पूरा हो चुका है.

नसबंदी कैसे होती है?

नसबंदी एक डे-केयर प्रक्रिया है. मरीज़ को दिन में भर्ती किया जाता है और कुछ घंटों में प्रक्रिया पूरी हो जाती है. इसके बाद, उसी दिन मरीज़ को घर भेज दिया जाता है. ये छोटा-सा ऑपरेशन लोकल एनेस्थीसिया देकर किया जाता है. इसमें अंडकोष के ऊपर मौजूद वास डिफरेंस नाम की नली को ब्लॉक कर दिया जाता है, जिससे शुक्राणु बाहर नहीं जा पाते. इस प्रक्रिया में किसी बड़े चीरे या टांके की ज़रूरत नहीं होती. ऑपरेशन के बाद व्यक्ति को एक-दो दिन दवाई खानी पड़ती है. 5-7 दिनों तक भारी सामान उठाने से भी मना किया जाता है.

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नसबंदी से सेक्स लाइफ पर कोई असर नहीं पड़ता (क्रेडिट: Getty Images)

क्या नसबंदी से सेक्स लाइफ पर असर पड़ता है?

आमतौर पर, नसबंदी के बाद सेक्स लाइफ में कोई बड़ा बदलाव नहीं आता. इरेक्शन पर कोई असर नहीं पड़ता. सीमेन (वीर्य) की मात्रा पहले जैसी ही रहती है, बस उसमें शुक्राणु नहीं होते. नसबंदी से लिबिडो यानी यौन इच्छा पर भी कोई असर नहीं पड़ता. ये एक सुरक्षित प्रक्रिया है, जिसमें केवल परमानेंट स्टरलाइज़ेशन किया जाता है.

क्या नसबंदी के कोई साइड इफेक्ट हैं?

नसबंदी के बाद बहुत ही मामूली साइड इफेक्ट्स होते हैं. 1 या 2% मरीज़ों को कभी-कभी दर्द हो सकता है. कुछ मरीज़ों को इंफेक्शन हो सकता है, जिसका दवाई से इलाज किया जाता है. नसबंदी के बाद 3 महीनों तक कॉन्डम इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. वहीं, नसबंदी के 3 महीने बाद सीमेन का टेस्ट कराया जाता है. ये देखने के लिए कि उसमें कोई शुक्राणु तो नहीं हैं.

ये बिल्कुल सुरक्षित प्रक्रिया है. हालांकि, ध्यान रखें कि नसबंदी के बाद सेक्सुअली ट्रांसमिटिड डिज़ीज़ (STDs) का खतरा कम नहीं होता. इसलिए, सेक्सुअली ट्रांसमिटिड डिज़ीज़ से बचने के लिए प्रोटेक्शन इस्तेमाल करना ज़रूरी है.

क्या नसबंदी रिवर्स की जा सकती है?

नसबंदी को रिवर्स किया जा सकता है. मगर ये थोड़ा मुश्किल ऑपरेशन है. इसे माइक्रोस्कोप की मदद से अनुभवी यूरोलॉजिस्ट करते हैं. इस ऑपरेशन के बाद सफलता की दर करीब 70% है. नसबंदी जितना पहले हुई हो, उसे रिवर्स करना उतना ही मुश्किल होता है. कभी-कभी ऑपरेशन फेल भी हो जाता है. लेकिन, जो दंपति नसबंदी के बाद बच्चा पैदा करना चाहते हैं, वो IVF के ज़रिए ऐसा कर सकते हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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