हमारे देश में लाखों लोग हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और फैटी लिवर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. लेकिन, फिर भी उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. ये बात सामने आई है Health Of The Nation 2025 की रिपोर्ट में. इसे अपोलो हॉस्पिटल्स ने जारी किया है. इस रिपोर्ट के लिए डेटा अपोलो हॉस्पिटल्स के अलग-अलग जांच केंद्रों से लिया गया है.
देश के लाखों लोग नहीं जानते, उन्हें डायबिटीज़ और हाई बीपी हो रखा है! नई रिपोर्ट में खुलासा
World Health Day पर Apollo Hospitals ने Health Of The Nation 2025 Report जारी की. इस रिपोर्ट से कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में करीब 10 लाख लोगों ने अपना हेल्थ चेकअप कराया था. ये संख्या 2024 में बढ़कर 25 लाख हो गई. चेकअप कराने वाले 26% लोग हाई बीपी और 23% लोग डायबिटीज़ से ग्रस्त पाए गए. जबकि उनमें इन बीमारियों से जुड़ा कोई लक्षण नहीं था.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में करीब 10 लाख लोगों ने अपना हेल्थ चेकअप कराया था. ये संख्या 2024 में बढ़कर 25 लाख हो गई. चेकअप कराने वाले 26% लोग हाई बीपी और 23% लोग डायबिटीज़ से ग्रस्त पाए गए. जबकि उनमें इन बीमारियों से जुड़ा कोई लक्षण नहीं था.
रिपोर्ट में कुछ और बातें भी सामने आई हैं. जैसे लोगों में नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर होने का रिस्क बढ़ा है. जिन ढाई लाख लोगों ने फैटी लिवर से जुड़ी जांच कराई. उनमें से 65% लोगों को फैटी लिवर था. इनमें से 85% ऐसे थे, जिन्होंने शराब को कभी हाथ तक नहीं लगाया था. इन्हें फैटी लिवर, इनकी डाइट, सुस्त लाइफस्टाइल और दूसरी मेटाबॉलिज़्म से जुड़ी दिक्कतों के चलते हुआ था. मेटाबॉलिज़्म यानी हम जो खाना खाते हैं, उसे एनर्जी में बदलने, नई कोशिकाएं बनाने और पुरानी को बचाए रखने का काम.
ये भी पता चला कि इनमें से आधे से ज़्यादा लोगों की ब्लड रिपोर्ट नॉर्मल आई थी. यानी अब सिर्फ ब्लड टेस्ट से काम नहीं चलेगा. सही डायग्नोसिस के लिए एडवांस स्कैन और स्क्रीनिंग ज़रूरी है.
इसी रिपोर्ट के मुताबिक, मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं में डायबिटीज़ होने का रिस्क 14% से बढ़कर 40% तक पहुंच गया है. मोटापा होने का ख़तरा भी 76% से बढ़कर 86% हो जाता है.

मोटापा सिर्फ महिलाओं को ही नहीं, बच्चों और युवाओं को भी अपना निशाना बना रहा है. प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले 8% बच्चे मोटापे से जूझ रहे हैं. यही नहीं, देश के 28% कॉलेज स्टूडेंट या तो ओवरवेट हैं या ओबीज़ हैं. करीब 19% स्टूडेंट्स प्री-हाइपरटेंसिव हैं. यानी उनका ब्लड प्रेशर सामान्य से थोड़ा ज़्यादा है. ये स्टूडेंट्स आगे चलकर हाई बीपी के मरीज़ बन सकते हैं.
ज़ाहिर है, जब बीपी हाई होगा तो दिल की बीमारियों का ख़तरा भी बढ़ जाएगा. रिसर्च के मुताबिक, इसकी वजह अनहेल्दी डाइट, एक्सरसाइज़ न करना और स्ट्रेस में रहना है.
जिन लोगों में दिल की बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे. जब उनका कैल्शियम स्कोर टेस्ट किया गया. तो करीब 46% में दिल की बीमारियों के शुरुआती लक्षण मिले. हैरान करने वाली बात तो ये है कि इनमें भी 2.5 परसेंट लोग 40 साल से कम उम्र के थे.
कैल्शियम स्कोर टेस्ट, दिल से जुड़ा एक स्कैन है. इससे पता चलता है दिल की धमनियों में कितना कैल्शियम जमा है.
अब आते हैं मेंटल हेल्थ पर. करीब 47 हज़ार लोगों ने मेंटल हेल्थ से जुड़े टेस्ट कराए. पता चला कि 6% लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित 40 से 55 साल की महिलाएं हैं.
ये भी पता चला कि भारतीयों में नींद से जुड़ी समस्याएं भी बहुत आम हैं. हर 4 में 1 भारतीय ऑब्सट्र्क्टिव स्लीप एपनिया होने के हाई रिस्क पर है. इस बीमारी में नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट होती है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, इस बीमारी का रिस्क भी बढ़ता है. ये 55 साल से ऊपर के 68% पुरुषों और 22% महिलाओं को प्रभावित करती है. लेकिन, फिर भी अक्सर लोगों को ऑब्सट्र्क्टिव स्लीप एपनिया होने का पता नहीं चलता. वो इसे थकान या स्ट्रेस समझ लेते हैं.
रिपोर्ट ये भी बताती है कि करीब 45% महिलाओं और 26% पुरुषों को एनीमिया है. यानी उनके शरीर में खून की कमी है. सिर्फ यही नहीं, करीब 77% महिलाएं और 82% पुरुष विटामिन D की कमी से जूझ रहे हैं. वहीं, 38% पुरुषों और 27% महिलाओं में विटामिन B12 की कमी पाई गई. ये दिक्कत 40 साल से कम उम्र के लोगों में ज़्यादा पाई गई.
अब इस रिपोर्ट से ये तो पता चल गया, हमारे देश में लोग कितने बीमार हैं और किस चीज़ की कमी से जूझ रहे हैं. लेकिन, अहम बात ये है कि इनमें से ज़्यादातर बीमारियों के कोई लक्षण महसूस नहीं होते. इसलिए लोगों को पता भी नहीं चलता उनके शरीर में कुछ गड़बड़ है.
हमने डॉक्टर अनुग्रह दुबे से पूछा कि डायबिटीज़, बीपी, फैटी लिवर जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों के लक्षण आमतौर पर पता नहीं चलते. ऐसे में हेल्दी रहने के लिए और इन बीमारियों से बचने के लिए क्या करें?

डॉक्टर अनुग्रह कहते हैं कि इन बीमारियों से बचना है, तो अपना वज़न कंट्रोल में रखें. अगर आपको लगे कि वज़न बढ़ रहा है. तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच कराएं. अगर कोई दिक्कत निकलती है, तो लाइफस्टाइल में ज़रूरी सुधार करें. रोज़ थोड़ी देर टहलें. एक्सरसाइज करें. अपने खाने में सब्ज़ियों और फलों की मात्रा बढ़ा दें. जंक फूड और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स न खाएं. जैसे पास्ता, सीरियल्स, चिप्स, सफ़ेद ब्रेड, मैदा वगैरह. शराब-सिगरेट से दूरी बनाएं. साथ ही, खूब पानी पिएं, और रोज़ 7 से 8 घंटे की नींद लें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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