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हर बार बुखार आने पर एंटीबायोटिक खा लेते हैं? खुद 'डॉक्टर' बनने से पहले जरूरी बातें जान लें

ज़्यादातर बुखार वायरस की वजह से होते हैं, खासकर सर्दी-जुकाम के साथ होने वाला बुखार. ऐसी स्थिति में एंटीबायोटिक दवाई खाना सही नहीं है. जानिए एंटीबायोटिक्स और एंटीवायरल दवाइयों में क्या फर्क है.

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हर बुखार में एंटीबायोटिक्स नहीं खाई जाती. (सांकेतिक तस्वीर)

बुखार आने पर आप क्या करते हैं? घर पर रखी बुखार की कोई दवा खा लेते हैं. नहीं है तो मेडिकल स्टोर जाते हैं. वहां भैया को अपनी दिक्कत बताते हैं. फिर भैया जो दवा देते हैं, उसे ले लेते हैं.

आपको अंदाज़ा भी नहीं, ये आदत कितनी नुकसानदेह है. भई, बुखार चढ़ने की वजह समझना भी तो ज़रूरी है. बुखार किसी बैक्टीरिया से होने वाले इंफेक्शन से हुआ है या वायरस से, ये तो आप जानते ही नहीं. बस एंटीबायोटिक खा ली!

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बुखार की दवा खाने से पहले उसकी वजह जानना ज़रूरी है (सांकेतिक तस्वीर)

एंटीबायोटिक हर बुखार में नहीं ली जाती है. एंटीबायोटिक्स तभी काम करती हैं, जब इंफेक्शन बैक्टीरिया की वजह से हुआ हो. अगर वायरल फीवर है तो एंटीवायरल दवा दी जाती है. एंटीबायोटिक्स हर वायरल बुखार में काम नहीं करेगी. अगर आप बुखार की वजह जाने बिना दवाई पे दवाई खाते रहेंगे. तब तो वो बिल्कुल असर नहीं करेगी. उल्टा उससे शरीर को नुकसान ही होगा. इसलिए, ये जानना ज़रूरी है कि एंटीबायोटिक्स और एंटीवायरल दवाइयों में फर्क क्या है. एंटीबायोटिक्स कब लेनी चाहिए, एंटीवायरल दवाएं कब लेनी चाहिए? और, क्या वायरल फ़ीवर में एंटीबायोटिक्स काम करती है.

एंटीबायोटिक्स और एंटीवायरल दवाइयों में क्या फर्क है?

ये हमें बताया डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने, जो AIIMS, नई दिल्ली में सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के एडिशनल प्रोफेसर हैं.

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डॉ. हर्षल आर. साल्वे, एडिशनल प्रोफेसर, सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन, एम्स, नई दिल्ली

एंटीबायोटिक दवाइयां बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों के इलाज में कारगर होती हैं. जबकि एंटीवायरल दवाइयां वायरस से होने वाली बीमारियों के इलाज में कारगर होती है. लिहाज़ा दवाई लेने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि इंफेक्शन किस वजह से हुआ है.

एंटीबायोटिक्स कब लेनी चाहिए?

एंटीबायोटिक्स हमेशा बैक्टीरिया से होने वाले इंफेक्शन के लिए ही लें. अपने मन से कभी भी एंटीबायोटिक दवाई का इस्तेमाल न करें. अक्सर लोग बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से दवाई खरीद लेते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए. डॉक्टर के कहने पर ही एंटीबायोटिक्स लें. दवाई की मात्रा और तय समय का ध्यान रखते हुए अपना कोर्स पूरा करें. इस तरह की सावधानी न बरतने से एंटीमाइक्रोबियल रज़िस्टेंस हो सकता है. 

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एंटीमाइक्रोबियल रज़िस्टेंस होने पर बैक्टीरिया एंटीमाइक्रोबियल दवाइयों के लिए प्रतिरोध पैदा कर लेते हैं

एंटीमाइक्रोबियल रज़िस्टेंस (Antimicrobial Resistance) में बैक्टीरिया धीरे-धीरे एंटीमाइक्रोबियल दवाइयों के लिए प्रतिरोध पैदा कर लेते हैं. इससे दवाई शरीर पर असर नहीं करती. एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस बढ़ने का मुख्य कारण एंटीबायोटिक्स का बिना प्रिस्किप्शन गलत तरीके से इस्तेमाल करना है.

एंटीवायरल दवाइयां कब लेनी चाहिए?

एंटीवायरल दवाइयां वायरस से होने वाले इंफेक्शन में कारगर होती हैं. ज़्यादातर वायरल इंफेक्शन सेल्फ-लिमिटिंग होते हैं यानी ये बिना किसी दवाई के अपने आप ठीक हो जाते हैं. ऐसे बहुत कम वायरल इंफेक्शन हैं, जिनमें एंटीवायरल दवाइयां दी जाती हैं. जैसे HIV और एड्स, इनमें ये दवाएं काफी असरदार पाई गई हैं. 

चिकनपॉक्स जैसे इंफेक्शन में भी कुछ मात्रा में एंटीवायरल दवाइयां दी जाती हैं और ये कारगर भी हैं. कोविड-19 भी एक वायरल इंफेक्शन है, जिसमें कुछ दवाएं कारगर पाई गईं. कुल मिलाकर वायरल इन्फेक्शन में एंटीवायरल दवा दी जाती है. 

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दवाई तभी लें, जब डॉक्टर प्रिस्क्राइब करे (सांकेतिक तस्वीर)

क्या वायरल फ़ीवर में एंटीबायोटिक्स काम करती हैं?

ज़्यादातर बुखार वायरस की वजह से होते हैं, खासकर सर्दी-जुकाम के साथ होने वाला बुखार. ऐसी स्थिति में एंटीबायोटिक दवाई खाना सही नहीं है. इसका इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है. जब भी बुखार हो तो पहले जांच कराएं, ताकि उसके होने का कारण पता चल सके. फिर बुखार के कारण के हिसाब से उसका इलाज कराना चाहिए.

अगर हम बिना ज़रूरत एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करेंगे, खासकर बच्चों में, तो एंटीमाइक्रोबियल रज़िस्टेंस का ख़तरा बढ़ सकता है. एंटीमाइक्रोबियल रज़िस्टेंस होने पर इंफेक्शन रोकने में दिक्कत होती है. खासकर जब अस्पताल में किसी गंभीर बीमारी का इलाज चल रहा हो. तब एंटीमाइक्रोबियल रज़िस्टेंस की वजह से इंफेक्शन का इलाज करना मुश्किल हो जाता है. लिहाज़ा, एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल डॉक्टर के बताए अनुसार ही करें.

देखिए, एंटीबायोटिक्स तभी लें, जब डॉक्टर कहे. और, सिर्फ उतनी ही मात्रा और उतने ही समय के लिए, जितना बताया गया है. वहीं ज़्यादातर वायरल इंफेक्शन बिना दवाई के ठीक हो जाते हैं. तो इनमें भी एंटीवायरल दवा तभी दी जाती है, जब बहुत ज़रूरत हो. इसलिए, कोई इंफेक्शन हो तो डॉक्टर से मिलें. खुद डॉक्टर न बन बैठें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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