9 घंटे की शिफ्ट. आधे घंटे का ब्रेक. साढ़े 8 घंटे काम. लगातार बैठे-बैठे लैपटॉप-कंप्यूटर की स्क्रीन पर आंखें गड़ाए हुए. कीबोर्ड पीटते हुए.
रीढ़ की हड्डी मज़बूत बनानी है? ये 8 टिप्स तुरंत फॉलो कर लीजिए
Healthy Spine Tips: अगर रीढ़ की हड्डी मज़बूत रहेगी तो कमर, गर्दन और पीठ का दर्द भी नहीं सताएगा.
हममें से बहुत सारे लोगों की यही दिनचर्या है. हां, काम के घंटे कुछ ऊपर-नीचे ज़रूर हो सकते हैं. मगर कुर्सी पर घंटों बैठना, अपनी जगह से न हिलना तय है.
आप कहेंगे, कम से कम भाग-दौड़ तो नहीं करनी पड़ रही. अपनी गद्दी पर राजा की तरह बैठना है. भले ही थोड़ी कॉर्पोरेट मज़दूरी करनी पड़ती है लेकिन चलता है. दिक्कत क्या है?
हकीकत में, दिक्कत ही दिक्कत है. लगातार कुर्सी पर बैठे रहने से रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है. उसमें मौजूद डिस्क पर असर पड़ता है. कमर पर असर पड़ता है. जो आए दिन पीठ, कमर और गर्दन में दर्द है, इसी की वजह से है.
मगर नौकरी करनी ही पड़ेगी. उसका कोई दूसरा ऑप्शन तो है नहीं. हां, लेकिन आप अपनी रीढ़ की हड्डी को 8 आसान टिप्स से मज़बूत ज़रूर बना सकते हैं. इससे आप कमर, पीठ और गर्दन के दर्द से बचे रहेंगे.
रीढ़ की हड्डी मज़बूत करने के 8 टिप्स क्या हैं?
इनके बारे में हमें बताया डॉक्टर जसकरन सिंह ने.
पहली टिप: रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें. रोज़ एक्सरसाइज़ करने से रीढ़ की हड्डी और शरीर स्वस्थ रहता है.
दूसरी टिप: हेल्टी वेट मेंटेन करें. व्यक्ति ओवरवेट न हो. मोटापे से रीढ़ की हड्डी, खासकर कमर पर ज़्यादा ज़ोर पड़ता है. इससे डिस्क या इससे जुड़ी दूसरी बीमारियां बढ़ सकती हैं.
तीसरी टिप: पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन D लें. हर रोज़ कैल्शियम और विटामिन D लेना बहुत ज़रूरी है. आजकल लोगों का ज़्यादातर काम घर से ही होता है. लोग धूप में नहीं निकलते, इससे विटामिन D की कमी होने लगती है. भारतीयों में विटामिन D और कैल्शियम की कमी बहुत ज़्यादा है.
हर रोज़ करीब 1000 मिलीग्राम कैल्शियम लेना चाहिए. वहीं विटामिन D की मात्रा 600 इंटरनेशनल यूनिट्स (IU) प्रतिदिन होनी चाहिए. आमतौर पर, 50 साल के बाद पुरुषों और 40 साल के बाद महिलाओं को कैल्शियम और विटामिन D के सप्लीमेंट रोज़ लेने चाहिए.
चौथी टिप: जो लोग डेस्क जॉब करते हैं या फोन/लैपटॉप पर ज़्यादा देर तक काम करते हैं. उन्हें नेक फ्लेक्शन (Neck flexion) से बचना चाहिए. नेक फ्लेक्शन यानी ठुड्डी को सीने की ओर नीचे लाना. दरअसल, सर्वाइकल पेन की मुख्य वजह ज़्यादा देर मोबाइल/लैपटॉप पर गर्दन झुकाकर काम करना ही है. लिहाज़ा, गर्दन झुकाकर काम करना अवॉइड करें. ऐसा दो तरीकों से किया जा सकता है. पहला, लैपटॉप स्टैंड इस्तेमाल करें ताकि लैपटॉप थोड़ा ऊपर आ जाए और गर्दन में झुकाव कम हो. दूसरा, मोबाइल फोन को थोड़ा ऊपर उठाकर पकड़ें ताकि गर्दन सीधी रहे.
पांचवी टिप: सोने के दौरान पतला तकिया लगाएं ताकि गर्दन सीधी रहे. गद्दा थोड़ा सख्त होना चाहिए, जिससे पीठ पर असमान दबाव न पड़े. नरम गद्दे पर सोने से पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने का चांस ज़्यादा है.
छठवीं टिप: भारी वज़न को झुककर न उठाएं. उसे पैरों के बल बैठकर उठाएं यानी पैरों की ताकत लगाएं. पीठ टाइट और सीधी रखें, उस पर ज़्यादा ज़ोर न डालें. आमतौर पर हम भारी सामान झुककर उठाते हैं. जिससे पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने का चांस बढ़ जाता है.
सातवीं टिप: स्ट्रेंथ एक्सरसाइज़ करने में सावधानी बरतें. अचानक से ज़्यादा वज़न न उठाएं, खासकर अगर आप 40-50 साल के हैं और वज़न थोड़ा बढ़ गया है. जिम में एक्सरसाइज़ करते समय ज़्यादा हेवी वेट न उठाएं, इससे कमर में दर्द बढ़ सकता है. हेवी वेट उठाने की जगह उसकी फ्रीक्वेंसी बढ़ा सकते हैं यानी हल्के वेट को बार-बार उठा सकते हैं. जिम में एक्सरसाइज़ हमेशा जिम ट्रेनर की निगरानी में ही करें.
आठवीं टिप: अगर कोई व्यक्ति बैठकर काम कर रहा है, तो उसे हर 1 घंटे के बाद 2-3 मिनट के लिए टहलना चाहिए. इसके बाद, थोड़ी स्ट्रेचिंग करके अपनी सीट पर वापस आ जाना चाहिए. लगातार 2-3 घंटे बैठने से कमर से जुड़ी दिक्कतें काफी बढ़ जाती हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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