The Lallantop

'गोमूत्र' से धोना पड़ेगा इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे वाल्मीकि समाज के लोगों को 'भगाया गया'?

दावा किया जा रहा कि सुप्रीम कोर्ट का फूलों से सम्मान करने गए वाल्मीकि समाज को कोर्ट परिसर में घुसने ही नहीं दिया गया क्योंकि इससे कोर्ट 'अपवित्र' हो जाएगा और 'गोमूत्र' से धोना पड़ेगा.

post-main-image
वाल्मीकि समाज के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर समर्थन देने की बात कही. (तस्वीर: ईटीवी भारत/PTI)

सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने बीते दिनों SC/ST के आरक्षण के संबंध में एक ऐतिहासिक फैसला दिया. इस फैसले में इन दोनों कैटेगरी में सब कैटेगरी बनाने का अधिकार राज्यों को दे दिया गया. साथ ही एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने की बात भी कही गई. कोर्ट के फैसले को लेकर SC-ST समुदाय बंटा है. 21 अगस्त को फैसले के खिलाफ कई राज्यों में प्रदर्शन भी हुए. इसी बीच एक स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल है. दावा किया जा रहा कि सुप्रीम कोर्ट का फूलों से सम्मान करने गए वाल्मीकि समाज को कोर्ट परिसर में ‘घुसने ही नहीं दिया’ गया क्योंकि इससे कोर्ट ‘अपवित्र’ हो जाएगा और ‘गोमूत्र’ से धोना पड़ेगा.

फेसबुक पर राजेश गोठवाल नाम के एक यूजर ने स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, “वाल्मीकि समाज फूलों से स्वागत करने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, मिलार्ड ने कहा वापस जाओ कोर्ट अपवित्र हो जाएगा.”

वाल्मीकि समाज को लेकर किए गए दावे का स्क्रीनशॉट
वाल्मीकि समाज को लेकर किए गए दावे का स्क्रीनशॉट

इसी तरह के दावे कई अन्य यूजर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर किए हैं जिन्हें आप यहां और यहां देख सकते हैं.

पड़ताल

क्या वाल्मीकि समाज के लोगों का सुप्रीम कोर्ट में अपमान किया गया? गूगल सर्च करने पर हमें ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें इस दावे की पुष्टि की जा सके. सुप्रीम कोर्ट में अगर इस तरह की घटना घटी होती तो जरूर मीडिया संस्थानों में खबर छपी होती.

चूंकि स्क्रीनशॉट में ‘ETV Bharat’ की खबर होने का दावा है इसलिए हमने उसकी वेबसाइट पर भी चेक किया. वहां हमें 18 अगस्त, 2024 को वाल्मीकि समाज से जुड़ी एक रिपोर्ट मिली. इसके अनुसार, वाल्मीकि समाज ने सुप्रीम कोर्ट के कोटा में वर्गीकरण के आदेश का समर्थन किया है. इसमें कहीं भी ऐसी कोई बात नहीं लिखी है जैसा वायरल पोस्ट में दावा किया गया है. 

इसके अलावा इस खबर में भी वही फोटो का इस्तेमाल किया गया है जैसा वायरल स्क्रीनशॉट में मौजूद है. रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर एमसीडी सफाई कर्मचारी यूनियन और वाल्मीकि समाज के नेताओं की 18 अगस्त को एक बैठक हुई थी. इसमें आरक्षण में वर्गीकरण करने के फैसले का विरोध करने वालों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया. 

वाल्मीकि समाज यूनियन के नेता अशोक अज्ञानी ने बताया कि 40 सालों की लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 1 अगस्त को ‘कोटा में कोटा’ का आदेश दिया है. इससे कई ऐसे वंचित समाज के लोगों को फायदा होगा, जिनको अब तक कोटा की वजह से लाभ नहीं मिला है.

ईटीवी की असली खबर का स्क्रीनशॉट
ETV Bharat की वेबसाइट पर छपी खबर का स्क्रीनशॉट.

हमने अधिक जानकारी के लिए ‘ETV Bharat’ के दिल्ली ब्यूरो चीफ आशुतोष से संपर्क किया. उन्होंने वायरल स्क्रीनशॉट को फेक बताया है. आशुतोष ने कहा, “यह स्क्रीनशॉट फेक है. हमारे संस्थान ने ऐसी कोई खबर नहीं छापी है.”

नतीजा

कुल मिलाकर, वाल्मीकि समाज के लोगों का सुप्रीम कोर्ट में अपमान किए जाने का पूरी तरह से भ्रामक है. फर्जी स्क्रीनशॉट के जरिए समाज और सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाया जा रहा है. 

पड़ताल की वॉट्सऐप हेल्पलाइन से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.
ट्विटर और फेसबुक पर फॉलो करने के लिए ट्विटर लिंक और फेसबुक लिंक पर क्लिक करें.

वीडियो: बांग्लादेश में 'मुस्लिम छात्र' ने हिंदू शिक्षक से जबरन इस्तीफा लिया? वायरल वीडियो का फैक्ट चैक