महाकुंभ में मची भगदड़ (Mahakumbh Stampede) के बाद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने योगी सरकार (Yogi Government) की कड़ी आलोचना की थी. शंकराचार्य का वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगते नज़र आए. इसके बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें पुलिस उन्हें लाठियों से खदेड़ती नज़र आ रही है. कई यूजर्स दावा कर रहे हैं कि ‘योगी सरकार की आलोचना करने के बाद’ शंकराचार्य पर लाठियां बरसाई गईं.
यूपी में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पर बरसाई लाठी, लेकिन CM योगी से इस्तीफा मांगने के बाद नहीं
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर योगी सरकार की आलोचना की थी. वे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगते नज़र आए. इसके बाद बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें पुलिस उन्हें लाठियों से खदेड़ती नज़र आ रही है.

राजस्थान कांग्रेस के महासचिव डॉ. विजेंद्र सिंह सिद्धू ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “शंकराचार्य जी पर लाठी चार्ज करवाना बहुत ही शर्मनाक है. इसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है! कम से कम पदवी का ख्याल रख लेते.”
कांग्रेस से ही जुड़े रितेश सिंह ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “सनातन धर्म का ध्वज लिए शंकराचार्य जी पर इस कदर लाठीचार्ज. ये घोर निंदनीय कर्म है. हिंदू रक्षा के नाम पर राजनीति करनेवालों के मुंह में दही जम गया है क्या.”

इसी तरह के दावे कई अन्य यूजर्स ने भी किए हैं जिनके पोस्ट आप यहां देख सकते हैं.
पड़तालक्या शंकराचार्य पर हुए लाठीचार्ज का वीडियो योगी सरकार की आलोचना के बाद का है? क्या है शंकराचार्य पर लाठीचार्ज के वीडियो की सच्चाई?
वीडियो को थोड़ा गौर से देखने पर एक पोस्टर पर ‘विश्वनाथ मंदिर गंगा आरती’ लिखा नज़र आया. इससे हिंट लेते हुए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड सर्च किए. हमें ‘नवभारत टाइम्स’ की वेबसाइट पर 23 सितंबर, 2015 को छपी एक रिपोर्ट मिली. इसमें वायरल वीडियो में नज़र आ रहे विजुअल्स से मिलती-जुलती कुछ तस्वीरें मिलीं. इसके मुताबिक, पुलिस ने वाराणसी में गणेशभक्तों पर आधीरात में लाठीचार्ज किया. इस दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, बाबा बालक दास सहित दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
अभी वायरल हो रहा वीडियो शंकराचार्य से जुड़े फेसबुक पेज ‘1008.Guru’ पर भी मिला जिसे 28 सितंबर, 2015 को अपलोड किया गया था. इससे साफ है कि शंकराचार्य पर लाठीचार्ज का वीडियो 10 साल पुराना है. गौरतलब है कि उस समय यूपी में बीजेपी की सरकार नहीं थी.

इसके अलावा, ‘
यह घटना उस वक्त की है जब सूबे में अखिलेश यादव की सरकार थी. घटना के लगभग 6 साल बाद यानी 2021 में अखिलेश यादव ने संतों पर लाठीचार्ज को लेकर माफी भी मांगी थी. हमें हाल-फिलहाल की ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर लाठीचार्ज किए जाने की बात सामने आई हो.
नतीजाहमारी पड़ताल में साफ है कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का लगभग 10 साल पुराना वीडियो भ्रामक दावे के साथ शेयर किया गया है. उन पर लाठीचार्ज सितंबर, 2015 में गणेश प्रतिमा के विसर्जन को लेकर हुआ था.
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