कतर ने भारतीय नौसेना से जुड़े 8 पूर्व अधिकारियों को सज़ा ए मौत का ऐलान किया था (Qatar court sentenced eight former Indian Navy personnel to death). इन अधिकारियों को कतर में कथित जासूसी के आरोप में मार्च में गिरफ्तार किया गया था और 26 अक्टूबर को मौत की सज़ा सुना दी गई. भारतीय नेवी इन भारतीयों को वापस लाने का हरसंभव प्रयास कर रही है. लेकिन इसी बीच एक पोस्ट वायरल है जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी की फोटो के साथ लिखा जा रहा कि कतर ने भारतीय नौसेना के 8 अधिकारियों की सज़ा को माफ़ कर दिया है. कहा गया कि कतर भारत से अपना संबंध बेहतर करने के लिए ऐसा कर रहा है.
कतर ने पूर्व भारतीय नौसैनिकों की मौत की सजा रद्द की? PM मोदी के नाम पर वायरल पोस्ट का सच
पीएम Narendra Modi की एक फोटो शेयर करके कतर की जेल में बंद 8 पूर्व नौसैनिकों को लेकर दावा वायरल है. कहा जा रहा है कि कतर ने उनकी सजा रद्द करने का ऐलान किया है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक यूजर ने पोस्ट शेयर करके लिखा,
“कतर ने 8 लोगों की मौत की सजा रद्द करने की घोषणा की: उन्होंने कहा कि भारत की दोस्ती अधिक महत्वपूर्ण है.”
इसी तरह कई अन्य यूजर्स ने वायरल पोस्ट को फेसबुक पर भी शेयर किया है, जिसे आप यहां और यहां देख सकते हैं.
इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स सर्च किए. हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जिससे वायरल दावे की पुष्टि होती हो. 30 अक्टूबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर का इस मामले को लेकर एक ट्वीट मिला जिसमें उन्होंने कतर में सज़ा काट रहे भारतीयों को लाने के लिए हरसंभव प्रयास करने का भरोसा दिलाया है.
इसके बाद विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय की वेबसाइट को भी खंगाला. लेकिन यहां भी ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है.
द लल्लनटॉप ने मामले की पुष्टि के लिए कतर में सज़ा काट रहे एक नौसेना अधिकारी पूर्णेंदू तिवारी के परिवार से बात की. उनकी बहन मीतू भार्गव ने बताया कि सरकार की इस मामले में कोशिशें जारी हैं, लेकिन अभी तक सजा रद्द होने की जानकारी नहीं आई है. उन्होंने कहा,
“भारत सरकार सैनिकों की सज़ा खत्म कराने के लिए प्रयास कर रही है. सजा रद्द किए जाने का कोई कनफर्मेशन फिलहाल नहीं मिला हैं.”
इसके अलावा इंडिया टुडे को मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि कतर ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है.
नतीजादी लल्लनटॉप की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक निकला. कतर ने फिलहाल नौसेना के अधिकारियों की मौत की सज़ा को रद्द नहीं किया है.
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