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'मुझे आरक्षण पसंद नहीं', संसद में PM मोदी की बात काट कर खेला कर दिया

पीएम नरेंद्र मोदी के राज्यसभा में दिए भाषण का एक वीडियो वायरल है. इसे शेयर करके पीएम मोदी को आरक्षण विरोधी बताया जा रहा है. लेकिन मामले की सच्चाई कुछ और है.

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पीएम नरेंद्र मोदी के राज्यसभा में दिए भाषण का एक क्लिप वायरल है. (तस्वीर: संसद टीवी/India Today/Getty)
दावा:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बुधवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया. करीब दो घंटे के अपने भाषण में पीएम मोदी ने विपक्ष खासकर कांग्रेस की जमकर आलोचना की. इस दौरान उन्होंने देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के अलावा देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू का भी जिक्र किया. इसके बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस के नेता पीएम नरेंद्र मोदी का एक वीडियो शेयर कर रहे हैं, जिसमें वे आरक्षण पर बोलते नज़र आ रहे हैं. लगभग 33 सेकेंड के वीडियो क्लिप में पीएम मोदी को ये कहते सुना जा सकता है, “मैं किसी भी आरक्षण को पसंद नहीं करता. और खासकर नौकरी में आरक्षण तो कतई नहीं. मैं ऐसे किसी भी कदम के खिलाफ हूं जो अकुशलता को बढ़ावा दे.”

वीडियो को शेयर करके कहा जा रहा है कि पीएम मोदी आरक्षण के खिलाफ हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कांग्रेस नेता सुरेंद्र सिंह राजपूत ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “मोदी जी क्या कह रहे हैं? ये किसी भी प्रकार के आरक्षण के ख़िलाफ़ हैं? नौकरी में तो बिलकुल नहीं? क्या हो रहा है भाजपा में?”

इसके अलावा कई अन्य यूजर्स ने भी वीडियो को शेयर करते हुए पीएम मोदी को आरक्षण विरोधी बताया है.

पड़ताल

क्या है पीएम नरेंद्र मोदी के 33 सेकेंड के वायरल वीडियो की सच्चाई? इसका पता लगाने के लिए हमें ज्यादा मुश्किल नहीं हुई, क्योंकि वायरल वीडियो में चल रही प्लेट पर संसद टीवी का लोगो और भाषण की तारीख 7 फरवरी, 2024 साफ दिखाई दे रही है.

हमें Youtube पर पीएम मोदी का पूरा भाषण मिल गया, जिसे ‘’ पर अपलोड किया गया था. वीडियो के 32वें मिनट में पीएम मोदी कहते हैं, “एक बार नेहरू जी ने चिट्ठी लिखी थी. यह चिट्ठी उन्होंने उस समय के देश के मुख्यमंत्रियों को लिखी थी. मैं उसका अनुवाद पढ़ता हूं. “मैं किसी भी आरक्षण को पसंद नहीं करता और खासकर नौकरी में आरक्षण तो कतई नहीं. मैं ऐसे किसी भी कदम के खिलाफ हूं जो अकुशलता को बढ़ावा दे. जो दोयम दर्जे की तरफ ले जाए.” ये पंडित नेहरू की मुख्यमंत्रियों को लिखी चिट्ठी है. तब जाकर मैं कहता हूं कि ये जन्मजात इसके विरोधी हैं.”

इससे साफ़ है कि पीएम नरेंद्र मोदी का वायरल क्लिप अधूरा है. असल में मोदी अपने वक्तव्य में जवाहर लाल नेहरू को कोट कर रहे थे. उनके पत्र के बारे में बता रहे थे जो नेहरू ने उस वक्त के मुख्यमंत्रियों को लिखे थे.

इसके अलावा हमें ऐसी कोई हालिया प्रामाणिक रिपोर्ट या वीडियो नहीं मिला, जिसमें पीएम मोदी ने आरक्षण को यह तर्क देकर खारिज़ किया हो कि यह अकुशलता को बढ़ावा देता है.

अब बात नेहरू की चिट्ठी की. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जवाहर लाल नेहरू ने पीएम बनने के दो महीने बाद यानी 15 अक्टूबर 1947 को प्रांतीय सरकारों के प्रमुखों और बाद में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखना शुरू किया था. करीब 16 सालों का यह सिलसिला उन्होंने अपने निधन से चार महीने पहले तक जारी रखा था. रिपोर्ट के अनुसार, इन पत्रों में नेहरू के राजनीतिक विचारों के अलावा नागरिकता और लोकतंत्र से लेकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों तक कई विषयों को शामिल किया गया था.

नेहरू के जिस पत्र का पीएम मोदी जिक्र कर रहे हैं उसे 27 जून, 1961 को लिखा गया था. इसमें पूर्व पीएम ने आरक्षण के संबंध में बात की थी. उस वक्त 1950 में तैयार किए गए संविधान के अनुच्छेद 334 में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और एंग्लो-इंडियन समुदाय को 10 साल की अवधि के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में आरक्षण दिया गया था.

निष्कर्ष

कुलमिलाकर, पीएम नरेंद्र मोदी का अधूरा वीडियो क्लिप भ्रामक दावे के साथ वायरल है. असल वीडियो में पीएम मोदी देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के आरक्षण पर लिखे पत्र को पढ़  रहे थे.

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