अयोध्या (Ayodhya) के Ram Mandir में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) में अब एक सप्ताह से भी कम समय बचा है. इसे लेकर तैयारियां अपने अंतिम दौर पर हैं. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट वायरल है. जिसमें राम जन्मभूमि मंदिर के अलावा बाबरी मस्जिद को मार्क करके दिखाया गया है. इसे शेयर करके दावा किया जा रहा है कि जिस जगह पर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, वहां राम मंदिर का निर्माण नहीं हो रहा. बल्कि उससे 3 किलोमीटर दूर निर्माण किया जा रहा है.
क्या राम मंदिर का निर्माण उस जगह नहीं हो रहा जहां बाबरी मस्जिद का गुंबद था?
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों के बीच एक दावा वायरल है. कहा जा रहा कि जिस जगह बाबरी मस्जिद थी, वहां राम मंदिर का निर्माण नहीं हो रहा. सच क्या है?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर Manish Rj नाम के एक यूजर ने वायरल स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए लिखा, “Google मैप से उन 2 जगहों को देखा जा सकता है. एक जगह जहां कभी बाबरी मस्जिद थी और दूसरी जगह जहां अब राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. ऐसा लगता है कि आखिरकार मंदिर वहीं नहीं बनाया गया है. उम्मीद है कि विपक्ष इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाएगा.”
इसके अलावा शिवसेना नेता (उद्धव गुट) संजय राउत ने कल अपने एक बयान में कहा, अगर 3 किलोमीटर ही मंदिर बनाना था तो मस्जिद क्यों गिराई गई?
इसके अलावा मंदिर की जगह को लेकर कई यूजर्स ने भी सवाल उठाए हैं, जिनके ट्वीट आप यहां देख सकते हैं.
पड़तालक्या राम मंदिर का निर्माण बाबरी मस्जिद की जगह नहीं हो रहा है? इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2019 में दिए गए जजमेंट को खंगाला. इसके मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने राम मंदिर भूमि विवाद को लेकर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था. फैसले में कहा गया था कि विवादित स्थल पर पूजा के अधिकार को मंजूरी दी गई और मंदिर निर्माण की भी. यानी जहां बाबरी मस्जिद के गुंबद थे, उस जगह समेत 2.77 एकड़ की वो जमीन ‘राम लला विराजमान’ को दी गई. उसी जमीन पर राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. इस फैसले के आने के बाद अगस्त 2020 में पीएम मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन किया था.
हमने Google Earth की मदद भी ली. हमने एक रेफ्रेंस साल लिया 2011. उस वक्त वहां कोई निर्माण कार्य नहीं शुरू हुआ था. इसके बाद साल 2019 में फैसला आने के पहले तक भी वही स्थिति बनी रही. फिर अगस्त 2020 में निर्माण कार्य शुरू होने के बाद गूगल अर्थ में उस जगह निर्माण कार्य को देखा जा सकता है. और सितंबर 2023 जब मंदिर का ढांचा काफी कुछ बन गया था, उस वक्त की तस्वीर को भी गूगल अर्थ के जरिए देखा जा सकता है.

इसके अलावा हमने अयोध्या में ग्राउंड पर मौजूद अपने संवाददाता सिद्धांत मोहन से भी बात की. उन्होंने भी बताया कि राम मंदिर की निर्माण उसी जगह पर हो रहा है जहां बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था. उन्होंने बताया कि तीन किलोमीटर दूर निर्माण होने की बात बेबुनियाद है.
हमने अयोध्या के हनुमत निवास के पीठाधीश्वर डॉ. मिथिलेश नंदिनी शरण से भी संपर्क किया. उन्होंने बताया,
“आज जहां पर मंदिर बन रहा है, वहीं पहले टेंट में रामलला विराजमान थे. टेंट का एरिया छोटा था, मंदिर का एरिया बड़ा हो रहा है. उस टेंट में जहां रामलला विराजमान थे, जिसको गर्भगृह माना गया, वो वही जगह है जो ढांचे के भीतर पहले हुआ करती थी. हमारा मत यही है कि मंदिर तोड़कर ही मस्जिद बनाई गई थी. तो उस लिहाज से मंदिर वहां विराजमान है. अब ऐसे में कहना कि वो जगह हटकर दूसरी जगह चली गई है, ये निराधार है.”
अब बात उस जगह की, जिसे वायरल स्क्रीनशॉट में बाबरी मस्जिद बताया जा रहा है. हमने जब गूगल मैप पर उस जगह को सर्च किया तो ये जगह श्री सीता राम मंदिर का है. संभव है कि किसी ने गूगल मैप में जगह का नाम एडिट करने वाले फीचर से वहां ‘बाबर मस्जिद’ मार्क कर दिया हो. इसके अलावा हमने श्री सीता राम मंदिर परिसर के सामने स्थित सागर इलेक्ट्रॉनिक से भी संपर्क किया. वहां काम करने वाले सागर गुप्ता ने हमें बताया कि जिस जगह को ‘बाबर मस्जिद’ बताकर वायरल किया जा रहा, असल में वो सीता राम मंदिर है.

इसके अलावा ‘आजतक’ की पड़ताल में बताया कि जिस जगह को वायरल स्क्रीनशॉट में बाबर मस्जिद से मार्क किया गया है उसके पास एक छोटा सा खंडहर है. ये खंडहर कुतुबर रहमान दरगाह के हैं.

निष्कर्ष
कुल मिलाकर, हमारी पड़ताल में यह स्पष्ट है कि राम मंदिर के निर्माण की जगह को लेकर भ्रामक दावा फैलाया गया है. मंदिर का निर्माण उसी जगह पर हो रहा है जहां पहले बाबरी मस्जिद थी.
पड़ताल की वॉट्सऐप हेल्पलाइन से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.
ट्विटर और फेसबुक पर फॉलो करने के लिए ट्विटर लिंक और फेसबुक लिंक पर क्लिक करें.