राम मंदिर (Ram Mandir) की प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद अयोध्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. आंकड़ों के अनुसार, एक सप्ताह में 20 लाख लोग अयोध्या पहुंचकर राम मंदिर के दर्शन कर चुके हैं. इस दौरान सोशल मीडिया पर भी हिंदू भगवान से जुड़ी कई तस्वीरें और वीडियो शेयर किए जा रहे हैं. इन सबके बीच एक पोस्ट वायरल है. इसमें दावा किया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर की 14 किलोमीटर की रेंज में दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों का चप्पल पहनकर आना 'प्रतिबंधित' किया गया है.
'राम मंदिर से 14 KM के दायरे में चप्पल पहन कर नहीं आ सकते दलित-पिछड़े' वाले दावे का सच
Ayodhya में Ram Mandir प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद एक दावा वायरल है. कहा जा रहा है कि राम मंदिर की 14 किलोमीटर की रेंज में पिछड़े, दलित और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों का चप्पल पहनकर आना प्रतिबंधित किया गया है.
फेसबुक पर एक यूजर ने पोस्ट करके लिखा, "राम मंदिर बन गया है. मंदिर के 14 किलोमीटर के भीतर कोई भी SC, ST, OBC वाला चप्पल पहनकर नहीं जा सकता, नंगे पांव जाओ, यही है राम राज्य."
इसी तरह एक यूजर ने undefined पर सीएम योगी आदित्यनाथ की फोटो के साथ यही दावा किया है.
क्या राम मंदिर के 14 किलोमीटर के दायरे में दलित और पिछड़े समुदाय के लोगों का चप्पल पहनकर जाना प्रतिबंधित कर दिया गया है?
इसकी सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल से लेकर एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, हर जगह खंगाल डाला. लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, जहां से इस दावे की पुष्टि होती हो.
इसके बाद हमने इंडिया टुडे से जुड़े अयोध्या के संवाददाता बनजीत से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि यह दावा एकदम बेबुनियाद है.
इसके अलावा हमने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के यजमान और मंदिर के ट्रस्टी अनिल मिश्रा से भी बात की. उन्होंने भी वायरल दावे का खंडन किया. अनिल मिश्रा ने कहा, “ट्रस्ट ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है. राम मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ने से पहले किसी भी समुदाय के व्यक्ति को जूता-चप्पल उतार देना होता है. जैसा कि अमूमन सभी मंदिरों में होता है. लेकन ऐसा कोई नियम किसी खास समुदाय के लिए नहीं बनाया गया है.”
निष्कर्षकुलमिलाकर, राम मंदिर में दलित और पिछड़े समुदाय के प्रवेश को लेकर भ्रम फैलाया गया है. उनके चप्पल पहनकर प्रवेश करने संबंधित कोई नियम जारी नहीं किया गया.
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