Manipur पिछले लगभग एक साल से मैतई और कुकी समुदाय के बीच चल रहे जातीय संघर्ष के कारण चर्चा में है. वहां बीते करीब 10 महीनों में अबतक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इस दौरान मणिपुर से कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, हो रही हैं. मणिपुर में मैतई और कुकी के बीच चल रहे जातीय संघर्ष का मुद्दा संसद पटल पर भी उठा. इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक वीडियो वायरल है. वीडियो में शाह कह रहे हैं, “हमें मणिपुर की चिंता नहीं है, चुनाव की चिंता है. हमें डेमोक्रेसी की चिंता नहीं है, हमारी पार्टी का कोई सिद्धांत नहीं है. केवल और केवल राजनीति में चुनाव जीतने के लिए राजनीति में हैं.”
'हमें मणिपुर की चिंता नहीं, चुनाव की चिंता है', अमित शाह के वायरल वीडियो का सच
मणिपुर में पिछले एक साल से जारी जातीय हिंसा में अबतक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच अमित शाह का एक वीडियो वायरल है, जिसमें वे कह रहे हैं कि उन्हें मणिपुर की चिंता नहीं है.

वीडियो को इस तरह से शेयर किया जा रहा है कि अमित शाह ने ये बातें अपने और अपनी पार्टी के संदर्भ में बोली हैं. इंस्टाग्राम पर एक यूजर ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा,”कभी कभी गृह मंत्री जी भी सच बोल लेते हैं.”
इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर भी वायरल वीडियो को शेयर किया गया है.

क्या वायरल वीडियो में गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी पार्टी के संदर्भ में बातें कहीं हैं?
सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड सर्च किए. हमें

“जैसे ही गठबंधन टूटने वाला बिल आया, (विपक्ष को) मणिपुर भी याद नहीं आया. डेमोक्रेसी भी याद नहीं आई, दंगे भी याद नहीं आए. सारे इकठा होकर सामने बैठे हैं. और 130 करोड़ की जनता को बताते हैं हमें मणिपुर की चिंता नहीं है, चुनाव की चिंता है. हमें डेमोक्रेसी की चिंता नहीं है, हमारी पार्टी का कोई सिद्धांत नहीं है. केवल और केवल राजनीति में चुनाव जीतने के लिए राजनीति में हैं. बताइए भइया आप बाहर जाकर मीडिया को कहेंगे कि अगर ऐसा नहीं है तो आप सारे बिल में अनुपस्थित क्यों रहें? ये सभी बिल महत्वपूर्ण नहीं है क्या? सभी बिल महत्वपूर्ण हैं. आपको उपस्थित रहना चाहिए था.”
इससे साफ है कि अमित शाह के कथन के अधूरे हिस्से को काटकर शेयर किया गया है. वे असल में विपक्ष पर आरोप लगा रहे थे. इसके अलावा विधेयक पर हुई चर्चा का यह वीडियो अमित शाह के फेसबुक पेज से भी अगस्त, 2023 में शेयर किया गया था.
बता दें, लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद दिल्ली सर्विसे बिल को राष्ट्रपति ने 11 अगस्त को मंजूरी दे दी थी. इसके बाद यह कानून बन गया है. इसके तहत, दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का अधिकार उपराज्यपाल (LG) के पास चला गया. इस कानून में नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी बनाने की बात थी. इसी के पास अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का अधिकार होगा. इस कमेटी के प्रमुख दिल्ली के मुख्यमंत्री जरूर होंगे, लेकिन इसमें मुख्य सचिव और दिल्ली के गृह सचिव भी होंगे. किसी भी मुद्दे पर फैसला बहुमत से होगा. हालांकि कमेटी के फैसले के बाद आखिरी मंजूरी उपराज्यपाल से ही लेनी होगी.
निष्कर्षकुल मिलाकर, गृह मंत्री अमित शाह के 6 महीने पुराने वीडियो के अधूरे हिस्से को काटकर भ्रम फैलाया गया है.
पड़ताल की वॉट्सऐप हेल्पलाइन से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.
ट्विटर और फेसबुक पर फॉलो करने के लिए ट्विटर लिंक और फेसबुक लिंक पर क्लिक करें.
वीडियो: पड़ताल: अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद क्या बुर्ज खलीफ पर राम की तस्वीर बनाई गई?