आशुतोष गोवारिकर की एक फिल्म है 'स्वदेस'. उसमें एक आइकॉनिक शॉट है. इसमें मोहन भार्गव नाव में बैठा है और उसको चारों ओर से स्थानीय लोगों ने घेर रखा है. ऐसा ही एक मिलता-जुलता शॉट है, हिंदी में रिलीज़ हुई ओड़िया फिल्म 'दमन' में. आज के रिव्यू में इसी की बात करेंगे. 'दमन' पूरी तरह से सिद्धार्थ के इरादों की फ़िल्म है. 'दमन' की खास बात इसकी भव्यता और दिव्यता नहीं, बल्कि सत्यता है. जो है, उसे विशाल मौर्या और देबी प्रसाद लेंका ने बिना मिर्च मसाला लगाए, उसी तरह दिखाया है. कहा जाता है कि ये डॉक्टर ओमकार होता की असली कहानी है. ये फिल्म तमाम सोशल प्रॉब्लेम्स को ऐड्रेस करती है. देखिए वीडियो.